खरखौदा। शुक्रवार को शहर के छपडेश्वर धाम मंदिर में चल रहे 10 दिवसीय सांग में सूर्य कवि पंडित लख्मीचंद के पौत्र विष्णु दत्त शर्मा ने रागनियों के माध्यम से कीचक वध का किस्सा सुनाया। किस्सा सुनाते हुए उन्होंने बताया कि जब पांच पांडव जुए की शर्त के अनुसार 12 वर्ष का वनवास काटकर 1 वर्ष का अज्ञातवास पूरा करने के लिए अपने नाम बदलकर राजा विराट के यहां नौकरी करने लगे। द्रोपदी भी अपना नाम सारंदरी रखकर राजा विराट की पत्नी सुदेशना की दासी के रूप में काम करने लगी। एक दिन रानी सुदेशना का भाई कीचक अपनी बहन से पूछता है कि यह नई दासी कौन है। सुदेशना कीचक को बताती है कि यह बहुत दुखिया औरत है जिसे मैने अपनी दासी बना लिया है। द्रोपदी के रूप को देखकर कीचक उस पर मोहित हो जाता है। इसके बाद एक दिन रानी सुदेशना द्रोपदी को अपने भाई कीचक के पास शराब लाने के लिए कहती है। जब द्रोपदी कीचक के पास जाने से मना करती है तो रानी उसे नौकरी से निकालने का दबाव देकर महल से बाहर जाने को कहती है। द्रौपदी मजबूर होकर कीचक के पास शराब लेने के लिए पहुंच जाती है। इसके बाद कीचक द्रोपदी के साथ जोर जबरदस्ती करके दुर्व्यवहार करता है। किसी तरह द्रौपदी कीचक से पीछा छुड़ाकर भीम के पास जाकर सारा वृत्तांत सुनाती है। इसके बाद भीम स्त्री का वेश धारण करके रात्रि के समय कीचक के पास जाता है और वह कीचक का वध कर देता है। इस तरह पांडवों का 1 वर्ष का अज्ञातवास भी समाप्त हो जाता है। इससे शिक्षा मिलती है कि पर नारी पर बुरी नजर रखना मौत का कारण बन सकता है। इस मौके पर क्षेत्र के गणमान्य लोगों सहित सैकड़ो श्रोता मौजूद रहे। 19 केकेडी एक फोटो। कीचक वध का किस्सा सुनाते लोक गायक पंडित विष्णु दत्त शर्मा