पानीपत में प्रदेश का पहला स्वयंभू मंदिर 

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Panipat News/State's first Swayambhu temple in Panipat
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आज समाज डिजिटल, पानीपत :
पानीपत। एशिया की सबसे बड़ा टेक्सटाइल नगरी माना जाना वाला पानीपत न केवल ऐेतिहासिक शहर है, बल्कि यह धार्मिक नगरी भी है। यहां पर श्री हनुमान जी स्वयंभू मंदिर भी है। बुजुर्गों का दावा है कि यह प्रदेश का पहला स्वयंभू मंदिर है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता शायद कम ही लाेग जानते हैं कि यहां पर आने वाले भक्तों काे हर शनिवार मीठा पान प्रसाद के रूप में दिया जाता है। जाे पान भक्ताें काे प्रसाद स्वरूप दिए जाते हैं, उन्हें यहां आने वाले भक्त ही अप्रित करके मन्नते मांगते हैं। यह सिलसिला अनंत काल से जारी है। विकास गाेयल ने बताया कि मंदिर के नीचे एक सुरंग भी थी।

सुरंग अभी कुछ साल पहले ही बंद करवाई

सुरंग के बारे में मान्यता थी कि उसमें नाग देवताओं का वास हाेता था। यह सुरंग ताे अभी कुछ साल पहले ही बंद करवाई है, क्याेंकि उसमें किसी के जाने का खतरा बना रहता था। वहीं पास में ही एक कुआं था। इसका बहुत मीठा पानी हाेता था। जब रस्सियाें से पानी खींचने का दाैर खत्म हाे गया ताे आसपास के लाेगाें ने इसमें नलकूप लगवा लिया था। अब हर घर में पानी के कनेक्शन हाेने से काेई नलकूप प्रयाेग नहीं करता था। इसलिए कुआं भी बंद कर दिया गया। मंदिर पुजारी देव नारायणा उपाध्याय ज्योतिषाचार्य ने बताया कि यह मंदिर स्वयं प्रकट हुआ है। ऐसी इसके बारे में मान्यता है। यह शहर के बीचाें बीच पूर्वायन काॅलाेनी में स्थित है। इस काॅलाेनी का पूर्वायन नाम भी इसलिए पड़ा था, क्याेंकि यहां पुराने जमाने में टीले के ऐसे मुहाने पर थी, जिसमें सूर्य देश की पानीपत में पहली किरण पड़ती थी। किला पर सेना ठहरती थी। सैनिक देवी मंदिर के साथ-साथ यहां भी नतमस्तक हाेते थे। मंदिर के बारे में मान्यता भी है कि यहां पर शनिवार काे मीठा पान चढ़ाने पर काेई खाली हाथ नहीं जाता।

80 वर्षीय कृष्णा देवी ने बताई मंदिर से जुड़ी बात

बारे में मान्यता थी कि उसमें नाग देवताओं का वास हाेता था। यह सुरंग ताे अभी कुछ साल पहले ही बंद करवाई है, क्याेंकि उसमें किसी के जाने का खतरा बना रहता था। वहीं पास में ही एक कुआं था। इसका बहुत मीठा पानी हाेता था। जब रस्सियाें से पानी खींचने का दाैर खत्म हाे गया ताे आसपास के लाेगाें ने इसमें नलकूप लगवा लिया था। अब हर घर में पानी के कनेक्शन हाेने से काेई नलकूप प्रयाेग नहीं करता था। इसलिए कुआं भी बंद कर दिया गया।

हनुमान जयंती आज

मंदिर से संबंधित यह जानकारी सबकाे राेशनी फाउंडेशन के संस्थापक विकास गाेयल व कोषाध्यक्ष हरीश बंसल व 80 वर्षीय कृष्णा देवी ने दी। कृष्णा ने मंदिर से जुड़ी एक गजब बात भी बताई। उन्हाेंने कहा कि उनकी सास बताती थी कि तीसरे युद्ध के मराठा सैनिक भी युद्ध स्थल जाने से पहले इस मंदिर के सामने खड़े हाेकर हनुमान जी काे सेल्यूट करते थे। कृष्णा की सास काे यह बातें उनकी दादी सास बताती थी। बताया जाता है कि जब मराठा सैनिक सेल्यूट करते थे उनके जूतों की आवाज आसपास के घराें सुनाई देती थी। पुजारी हर मंगलवार और शनिवार काे सिंदूर का लेप करते हैं।