Aaj Samaj (आज समाज),Shri Digambar Jain Temple Panipat ,पानीपत : रविवार स्थानीय श्री दिगंबर जैन मंदिर जैन मोहल्ला के प्रांगण में पुष्पगिरि प्रणेता गणाचार्य श्री 108 पुष्पदंत सागर महाराज एवं क्षुल्लक श्री पर्व सागर व क्षुल्लक प्रशांत सागर के पावन सानिध्य में शांति महामंडल विधान का आयोजन किया गया। हरियाणा प्रवास में आचार्य श्री के सानिध्य यह विधान पहली बार किया गया। आज के महोत्सव का शुभारंभ सर्व प्रथम ध्वजारोहण के साथ किया गया। ध्वजारोहण करने का सौभाग्य प्रमुख समाजसेवी व पार्षद विजय जैन को प्राप्त हुआ।
सर्वप्रथम श्रीजी का अभिषेक सभी ने धूमधाम के साथ किया
शांति विधान के पावन अवसर पर आज विधान में सौधर्में इन्द्र बनने का सौभाग्य भूपेंद्र जैन परिवार, कुबेर इंद्र बनने का सौभाग्य राजेश जैन परिवार, महेंद्र इंद्र बनने का सौभाग्य टोनी जैन परिवार व ईशान इंद्र बनने का सौभाग्य मुकेश जैन परिवार दिल्ली को प्राप्त हुआ। इस शुभ अवसर पर सर्वप्रथम श्रीजी का अभिषेक सभी ने धूमधाम के साथ किया। आज के अभिषेक में पावन शांति धारा करने का सौभाग्य रविंद्र जैन परिवार को प्राप्त हुआ। तत्पश्चात मां जिनवाणी की स्थापना की गई, जिसका सौभाग्य टोनी जैन परिवार को प्राप्त हुआ। साथ ही उनको आचार्य महाराज के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ। वहीं आचार्य श्री को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य राजेश जैन परिवार को प्राप्त हुआ। सभी धूमधाम से भगवान शांतिनाथ की पूजा अर्चना कर विधान में सम्मिलित हुए। आज के विधान की यह खासियत रही कि आज विधान की सभी मंत्रों का उच्चारण आचार्य के श्री मुख हुआ।
जल चढ़ाने से अभिप्राय यह है कि हम लोग अपनी जिंदगी को सरल कर ले
आचार्य ने विधान के दौरान अपना आशीष देते हुए बताया कि किस प्रकार से हम पूजन करते वक्त अष्टद्रव्य भगवान को समर्पित करते हैं। यह अष्टद्रव्य चढाकर हम भगवान से यह प्रार्थना करते हैं कि हम इस जीवन रूपी काया को परमार्थ के कार्यों में लगाते हुए प्रभु चरणों में स्थान प्राप्त करें और एक दिन निर्वाण को भी प्राप्त करें। उन्होंने बताया की अष्टद्रव्य में सबसे पहले जल चढ़ाते हैं। जल जो सरल है हम लोग जल तो चढ़ाते हैं, मगर जल चढ़ाने से अभिप्राय यह है कि हम लोग अपनी जिंदगी को सरल कर ले। अपनी जिंदगी को उदार कर ले और फिर देखें जिंदगी जीने का आनंद। हम भगवान के चरणों में जल चढ़ा कर भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हम अपनी जिंदगी को सरल बना सकें और उसी सरल रूप में हम आपके समक्ष सदैव दर्शनों के लिए आते रहे।
हमेशा मुस्कुराते हुए मंदिर जी में प्रवेश करें
इसी प्रकार अष्टद्रव्य के दूसरे स्वरूप चंदन का व्याख्यान करते हुए आचार्य श्री ने बताया कि हम लोग चंदन चढ़ाते हैं। चंदन घिसकर भगवान को सुगंध करता है। इसी प्रकार हम सब अपनी मुस्कान रूपी चंदन से सदैव भगवान के दर्शनों को आएं। हम हमेशा मुस्कुराते हुए मंदिर जी में प्रवेश करें। हम अपने आप को सौभाग्यशाली माने कि हम सब लोग का सौभाग्य कि हम जिनदेव के प्रतिदिन दर्शन करते हैं, कर सकते हैं। उन्होंने अक्षत के चढ़ाते हुए बताया अक्षत चावल से नहीं, बल्कि अक्षत का अभिप्राय है भगवान मैं आपके चरण कमल में खुद को मन वचन काया से समर्पित करता हूं। उन्होंने कहा कि हमें किसी और की तरफ नहीं देखना चाहिए हमें सिर्फ और सिर्फ अपने कर्मों की निर्जरा के लिए काम करना चाहिए।
भगवान के चरणों में पुष्प की भांति आना चाहिए
इसी प्रकार जब उन्होंने भगवान को पुष्प अर्पित करने का मंत्र का उच्चारण किया तो उन्होंने कहा जिस प्रकार पुष्प सुंदर होता है। पुष्प कोमल होता है पुष्प सुगंधित होता है हमें भी भगवान के चरणों में पुष्प की भांति आना चाहिए। अपने आप को सौभाग्यशाली समझना चाहिए। हमेशा जब भी मंदिर जाओ तो यह सोचो कि मैं कितना सौभाग्यशाली हूं कि आज मैं जिंदा हूं और आज मुझे जिनदेव के दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त होने जा रहा है। आप हमेशा अपने सौभाग्य को प्रबल मानो कि आप जिनदेव के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त कर रहे हो।
हम जिनदेव की पूजा करें तो हमारा मन एकाग्र होना चाहिए
उन्होंने कहानी सुनाते हुए कहा एक सेठ ध्यान कर रहे थे तो उन्हें बुलाने एक दोस्त आया मगर पत्नी ने जब यह जाना कि सेठ ध्यान कर रहे हैं, तो उसने दरवाजे से उस दोस्त को मना कर दिया तो उसने फिर आवाज लगाई सेठ आप घर पर हो क्या, परंतु अबकी बार फिर से पत्नी ने मना कर दिया, जब तीसरी बार दोस्त ने आवाज लगाई तो पत्नी ने जैसे ही मना किया तो सेठ चिल्लाकर बोले मैं तो घर पर ही हूं और पत्नी को कहा तुझे पता नहीं मैं घर पर ही था और ध्यान कर रहा था तो पत्नी ने कहा कि नहीं आप ध्यान नहीं कर रहे थे आपका ध्यान तो दोस्त की ओर था आपका ध्यान तो बाहर की ओर था। हमारा मन ध्यान एक तरफ होना चाहिए जब हम जिनदेव की पूजा करें तो हमारा मन एकाग्र होना चाहिए।
खुली आंखों से दर्शन करें
उन्होंने पूजन की स्वर्ण पात्र की व्याख्या करते हुए कहा कि हर घर में सोना नहीं मगर हम सोने जैसे बनकर भगवान के चरणों में समर्पित होना चाहिए। तत्पश्चात नैवेद्य चढ़ाते हुए उन्होंने बताया नैवेद्य मतलब का पकवान मिष्ठान भगवान के चरणों में समर्पित करना। हमें अपनी नजर रूपी मिष्ठान से अपने नेत्र रूपी पकवान से भगवान को निहारना चाहिए। भगवान के प्रति समर्पित हो यही भावना होनी चाहिए। हम जब भी मंदिर जाएं तो भगवान को खूब निहारे भगवान के खूब दर्शन करें खुली आंखों से दर्शन करें यह हमारा सौभाग्य होगा।
घर में सदैव कपूर व लॉन्ग जरूर रखें
वहीं दीप, कपूर के बारे में व्याख्यान करते हैं उन्होंने बताया जिस प्रकार कपूर सफेद है सुगंधित है कोमल है। उस प्रकार हमारा मन भी भगवान के दर्शनों को करते हुए साफ होना चाहिए। उसमें किसी प्रकार का छल कपट नहीं होना चाहिए। उन्होंने सभी को एक ज्ञान भी दिया कि आप अपने घर में सदैव कपूर व लॉन्ग जरूर रखें इससे दैवय शक्तियां प्रभावित होती हैं। घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अष्टद्रव्य के धूप को भी हमेशा घर में रखना चाहिए। धूप हमेशा घर में होना चाहिए क्योंकि धूप नेगेटिव शक्तियों को बाहर करती है।
परमात्मा तो हमारे हृदय में विराजमान हैं
अष्ट द्रव्य में अंतिम फल का विवरण करते हुए उन्होंने बताया एक तो हम पूजन में फल चढ़ाते हैं और श्रीफल चढ़ाते हैं। मगर सही मायने मे श्रीफल का अर्थ है कि हम अपने शीश को प्रभु चरणों में समर्पित करें वहीं सही में श्री फल है। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार तीर्थंकर की ओंकार ध्वनि पूरे सर्वांग से निकलती है और जीवो का कल्याण करती है। परमात्मा एक भी है और अनेक भी है परंतु वह हमारे हृदय में विराजमान हैं। हम जिस रूप में भी पूजते हैं। परमात्मा तो हमारे हृदय में विराजमान हैं। अपने हृदय रूपी भगवान को पहचानना होगा और प्रभु चरणों में समर्पित होगा तभी जीवन का कल्याण संभव है। इस अवसर पर श्री दिगंबर जैन पंचायत सभी अतिथियों का स्वागत किया गया। विशेष रूप से देहरादून जैन समाज, सफीदों जैन समाज, कैराना जैन समाज, अम्बाला जैन समाज एंव श्री रामलीला कमेटी के प्रधान आदर्श गुप्ता का सम्मान किया गया।
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर श्री दिगंबर जैन पंचायत के अध्यक्ष कुलदीप जैन, सुरेश जैन, मनोज जैन, मुकेश जैन, सुशील जैन, प्रदीप जैन, पुनीत जैन, सुनील जैन, पूर्व प्रधान राकेश जैन, दिनेश जैन, दीपक जैन, भूपेश जैन, संजीव जैन, मेहुल जैन एडवोकेट, हितेश जैन, पंकज जैन आदि विशेष रूप से मौजूद रहे।