आज समाज डिजिटल, पानीपत :
पानीपत। त्यौहारों का सीजन शुरू हो चुका है। इस समय सम्पूर्ण भारतवर्ष में हर परिवार अपने सामर्थ्य के अनुसार खरीददारी अवश्य करता है। जिसमें मिट्टी के दिए से लेकर स्वर्णाभूषण व वाहन तक शामिल हैं, जिसे देश में मौजूद स्वदेशी व विदेशी कंपनियां बनाती व आयात करती है, जिसे वह खुदरा बाजार व ऑनलाइन शॉपिंग साइटों के माध्यम से बेचती है। यदि हम सभी भारतीय दृढ़ निश्चय कर लें कि हम सभी तरह का सामान स्वदेश का बना व बाजार जाकर खुदरा विक्रेताओं से खरीदेंगे तो निश्चय ही आप न केवल आप भारतवर्ष को समृद्ध कर रहे है अपितु सामान को आयात न करके विदेशी मुद्रा को भी बचा रहे है। यह कहना है नरेंद्र गुप्ता (रक्तदाता व सामाजिक चिंतक) का।
स्वेदशी के खरीदने से कच्चे माल का उत्पादन, लोगों को रोजगार मिलता है
नरेंद्र गुप्ता ने मंगलवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा कि जब भी हम किसी बाजार में जाकर सामान खरीदते है तो व दुकानदार न की अपने परिवार का भरण पोषण करता है, अपितु उस दुकान पर कामकाज करने वाले अनेक कर्मचारियों के परिवार का भी भरण पोषण होता है। उदहारण के तौर स्वेदशी के खरीदने से कच्चे माल का उत्पादन, परिवहन व अनेको लोगों को रोजगार मिलता है, जिससे सम्बन्धित व्यक्ति न केवल अपना भरण पोषण करता, बल्कि उसके ऊपर आश्रित अनेक लोगों का भरण पोषण होता है और इसके विपरीत यदि हम किसी विदेशी देश में निर्मित सामान खरीदते है तो न केवल उस व्यवसाय से संबंधित व्यक्ति का कारोबार कमजोर होता है, वरन उससे संबंधित अनेको परिवारों की आजीविका प्रभावित होती है। राष्ट्र को मिलने वाले विभिन्न करो का नुकसान होता है।
अनेकों नई इकाइयों का निर्माण होता है
नरेंद्र गुप्ता ने कहा कि अत्यधिक मात्रा में आयात करने पर हमें विदेशी मुद्रा ऊंचे दामों पर लेनी पड़ती है व देश का व्यापार घाटा भी बढ़ जाता है। जिससे की देश मे व्यापार-रोजगार के अवसर कम होते है। इसके विपरीत यदि हम सामान स्वेदशी सामान खुदरा विक्रेताओं से खरीदते है तो उसके निर्माण के लिए अनेकों नई इकाइयों का निर्माण होता है, जिसके निर्माण से लेकर उत्पादन तक के लिए देश के ही मेहनतकश व्यक्तियों को रोजगार मिलता है व अनेक परिवारों का भरण पोषण होता है व राष्ट्र को करो के रूप में मिलने वाला राजस्व देश के विकास, सेना व देश को हर तरफ से मजबूत बनाने पर खर्च होता है।
हमारी गिनती विकसित नहीं विकासशील देशों में
नरेंद्र गुप्ता ने कहा कि हमारा भारतवर्ष पुरातन काल से ही विश्व गुरु रहा है, क्योंकि उस समय भारत से अनेको वस्तुओं का निर्यात होता था, परंतु अनेक बाह्य शक्तियों द्वारा देश को बहुत समय तक गुलाम बना कर देश की बहुमूल्य प्राकृतिक संपदा को लूट कर अपनी कंपनियों के सामान का आदि बनाया गया। इसी के फलस्वरूप आज हमारी गिनती विकसित नहीं विकासशील देशों में होती है। उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोसी मुल्क में ही सबसे ज्यादा निर्यात करके हमे ही आंख दिखाते है अपितु आंतकवाद के लिए जिम्मेदार हमारे ही पड़ोसी देश को वित्त-पोषण करते है। यदि हम स्वेदशी सामान लेते है तो ऐसी ताकतों का हौसला भी टूटता है।
दीवाली की सीजन में स्वदेश में निर्मित सामान खुदरा विक्रेताओं से ही खरीदेंगे
नरेंद्र गुप्ता ने आह्वान किया कि सब मिलकर प्रण करें कि इस दीवाली की सीजन में स्वदेश में निर्मित सामान खुदरा विक्रेताओं से ही खरीदेंगे। ऐसा करने से हमारा पैसा जो के हम समान खरीदने पर दुकानदान को देते है वो अनेक लोगों के पास विभिन्न तरह से जाता है, जिसमें उत्पादन इकाई से लेकर रेहड़ी पटरी वाले विक्रेता तक शामिल है। अनेकों बार हम देखते है कि ऑनलाइन मंगवाए गए सामान के गुणवत्ता सही नहीं होती व लोगों की शिकायत होती है कि कंपनी सुनवाई नहीं कर रही, परंतु यही सामान जब हम पास के दुकानदार से खरदीते है तो यदि सामान के गुणवत्ता मानकों के अनुरूप न हो या खराब हो जाए तो दुकानदार भी आपका साथ कंपनी से उत्पाद को बदलने या ठीक करने के लिए देता है, तो आइए इस त्योहारों के सीजन में प्रण करें कि सभी प्रकार का सामान नजदीक के विक्रेता से ही खरीदूंगा व सभी को ऐसा करने के लिए प्रेरित करूंगा।