रावण, कुंभकरण व मेघनाथ के पुतलों पर खूब लुटाया गया धन
आज समाज डिजिटल, पानीपत :
पानीपत। बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व को लेकर लोगों में कितनी उत्सकुता है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां के आस्था के समक्ष कोई चीज मायने नहीं रखती। जिले में इस पर्व को मनाने के लिए करीब 40-50 लाख रुपए आग के हवाले कर दिया गया। रावण, कुंभकरण व मेघनाथ के पुतलों को बनाने के लिए करीब 40 से 50 लाख रुपए खर्च हुआ। शहर में दशहरे मनाने वाली चार बड़ी संस्थाओं के अलावा जिलेभर में करीब 15 से 20 जगहों पर रावण व उनके कुनबे को सुपुर्द-ए-आग किया गया। करीब डेढ़ माह की मेहनत के बाद इन पुतलों को तैयार किया गया था। पुतलों को अत्याधुनिक बनाने के लिए रिमोट सिस्टम का भी प्रयोग किया गया था। जिला में मुख्य रूप से देवी मंदिर, कटारिया लैंड, सेक्टर 25 हुडा सहित शिवाजी स्टेडियम, सेक्टर 13-17 में दशहरा का मेला धूमधाम से मनाया गया।
पानीपत में रावण दहन का इतिहास
उल्लेखनीय है कि पानीपत में 153 वर्ष देवी मंदिर में रामलीला कमेटी का मंचन हो रहा है। सबसे पहले दशहरे के मेेले की शुरुआत यहीं से हुई थी। पूरा शहर यहां दशहरे के मेले में जाता था। देवी मंदिर रामलीला कमेटी के प्रधान आदर्श गुप्ता ने बताया कि पहले यहां मैदान में रावण व राम सेना के बीच युद्ध होता शाम को रावण दहन होता था। पहले एक ही पुतला जलता था। बाद समय के साथ-साथ बदलाव होते गए। अब रावण,मेघनाध और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं। पिछले वर्ष कोविड का पुतला भी जलाया गया था।
कोविड के साल ही मेला नहीं भरा गया
1950 में दूसरा दशहरे का मेला सेक्टर 25 में भरा जाने लगा। दशहरा कमेटी सनौली रोड इस का आयोजन कर रही है। सनौली रोड दशहरा कमेटी के प्रधान रमेश माटा ने बताया लगातार दशहरा का मेला लगता है। कोविड के साल ही मेला नहीं भरा गया। तीसरा दशहरा पर्व का मेला शिवाजी स्टेडिम मे लगता है। सनातन धर्म सभा माडल टाउन इसका आयोजन करती है। 1964 से सनातन धर्म सभा मंदिर माडल टाउन में रामलीला का मंचन करती आ रही है। 1967 से दशहरा का मेला लगना शुरू हुआ। इसके बाद सेक्टर 13-17 दशहरा कमेटी ने दशहरा मेला सेक्टर 13-17 ग्राउंड में मनाना शुरू किया। कटारिया लैंड सेक्टर 12 में श्री कृष्णा क्लब ने दशहरे मनाया शुरू किया। यहां भी हर वर्ष रावण, मेघनाध और कुंभकर्ण की पुतले जलाए जाते हैं।
क्या कहते हैं आयोजक
लोगों की श्रीराम, रावण, कुंभकरण व मेघनाथ के साथ अटूट आस्था जुड़ी है। आस्था में पैसा कभी भी रुकावट नहीं डाल सकता। पानीपत दानियों की नगरी है, इसलिए यहां के लोगों के सहयोग से दशहरे को अच्छा मनाने का प्रयास किया जाता है। शहर सैकड़ों धार्मिक संस्थाओं ने हर दशहरा मनाने वाले कमेटियों के साथ सहयोग रहता है।
कटारिया लैंड में 101 फुट रावण का पुतला फूंका
इस बार श्री कृष्ण क्लब कटारिया लैंड में सबसे बड़ा रावण का पुतला लगाया गया था। रावण का पुतला 101 फुट, मेघनाध का पुतला 90 फुट और कुंभकर्ण का पुतला 80 फुट लगाया गया। सभी पुतलों में लाइटनिंग की गई थी। क्रेन के माध्यम से मंगलवार को पुतले लगाए गए। श्रीकृष्ण क्लब के प्रधान वीरेंद्र गुप्ता ने बताया कि ग्राउंड में 10 हजार से ज्यादा लोगों की बैठने की व्यवस्था की गई थी। बाकि सभी रामलीला कमेटी के पुतलों की लंबाई 65 फूट है। आगरा के कारीगर असगर ने पुतले बनाए है। असगर की पूरी टीम पिछले एक माह से पानीपत में पुतले बनाने में लगी हुई है। एक रामलीला कमेटी में पुतले का खर्च लगाने सहित दो लाख रुपये से अधिक आ रहा है। पैसों के खर्च का आंकलन इसी बात से लगाया जा सकता है कि अलग अलग जगह तैयार होने वाले पुतलों पर करीब डेढ़ माह पहले ही कारीगरों ने काम करना शुरू कर दिया था। पुतले तैयार करने वाले कारीगरों में सभी उत्तर प्रदेश के निवासी थे।
रावण दहन के समय हनुमान स्वरूप दशहरा स्थल पर पहुंचे
दशहरा कमेटी सनौली रोड इस बार रावण को रथ पर लाया गया। ड्रोन के माध्यम से मैदान में पुष्प वर्षा की की गई। वहीं शिवाजी स्टेडियम में लगाए गए तीनों पुतलों में 955 हनुमान बम लगाए गए। सनातन धर्म सभा के प्रधान तरुण गांधी ने बताया कि कोविड के दो साल के बाद इस बार दशहरा पर्व लेकर उत्साह अधिक देखने को मिला। सभी दशहरा स्थल पर हनुमान स्वरूप आकर्षण का केंद्र रहे।। रावण दहन के समय हनुमान स्वरूप दशहरा स्थल पर पहुंचे। देवी मंदिर में दशहरा पर्व पर स्टेज पर लीला का मंचन राम रावण युद्ध हुआ।
दशहरा स्थल पर सुरक्षा के विशेष प्रबंध
जिला पुलिस प्रशासन के साथ-साथ दशहरा कमेटियों ने स्वयं सुरक्षा के प्रबंध किए गए। सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। साथ ही ड्रोन कैमरे तैनात किए गए। दशहरा कमेटी सनौली रोड ने 15 गार्ड 10 बाउंसर मैदान में लगाए।