- पंजाब के मुख्य मंत्री का एस वाई एल पानी पर उच्चतम न्यायलय का फैसला दुर्भाग्य पुर्ण : डा. अर्चना
- हरियाणा अपने हक का पानी लेकर रहेगा : डा. अर्चना
आज समाज डिजिटल, पानीपत :
पानीपत। एसवाईएल नहर के निमार्ण से काम से पंजाब के मुख्य मंत्री भगवंत सिंह मान द्वारा मुकरना हरियाणा के हक पर डाका है। यही उनका हरियाणा को एस वाई एल के पानी की एक बूंद ना देने का ब्यान भी दुर्भाग्य पुर्ण है। हम पंजाब में मुख्य मंत्री भगवंत मान के रवैए तथा ब्यान की निंदा करते है। ये शब्द जिला भाजपा अध्यक्ष डा अर्चना गुप्ता ने अपने हुडा स्तिथ कार्यलय से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहे। डा. अर्चना ने कहा कि उच्चतम न्यायलय ने माना है एस वाई एल के पानी पर हरियाणा का हक, हरियाणा के हक में ही उच्चतम न्यायालय ने फैसला दिया था।
हरियाणा का एस वाई एल के पानी पर पूरा हक
पानी देने से मुकरना हरियाणे के हितों के साथ खिलवाड़ है और उच्चतम न्यायलय के फैसले की ने पालना ना करना निंदनीय है। हरियाणा के हितों से खिलवाड़ है। अर्चना ने कहा कि इस से साफ है की पंजाब हरियाणा के हितों पर कुंडली मारकर बैठा है। डा. अर्चना ने कहा हद इस बाद की है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी पंजाब दरकिनार कर रहा है। एस वाई एल के निमार्ण के संबंध कई दौर की वार्ता हो चुकी है पंजाब के अधिकारी ढुल मूल रवैया अपनाए हुए है। उनको पता है एस वाई एल के पानी पर हरियाणा का पक्ष मजबूत है। पंजाब पक्ष इस मामले में कोई दलील नही दे पा रहा है। मामले को बेवजह लंबा खीच रहे है।
पंजाब की आप पार्टी सरकार हरियाणा के हितों पर कुठाराघात कर रही है
डा. अर्चना ने कहा एक और दिल्ली आप पार्टी की सरकार हरियाणा से अधिक पानी की मांग कर रही है। दूसरी ओर पंजाब की आप पार्टी की सरकार हरियाणा को एक बूंद पानी नहीं दे रही। हरियाणा अपने हिस्से का पानी देकर दिल्ली के लोगो की प्यास बुझा रहा है। ऐसा कर पंजाब की आप पार्टी सरकार हरियाणा के हितों पर कुठाराघात कर रही है। चुनाव पूर्व एस वाई का पानी हरियाणा में लाने का दम भरने वाले आप पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल अब अपने वादे से मुकर गए है ये उनकी नियत दर्शाने को काफी है। आम आदमी पार्टी, केजरीवाल व भगवंत मान का हरियाणा विरोधी चेहरा जग जाहिर हो गया है।
पानी नहीं मिलने से हरियाणा का इतना नुकसान हो चुका है, जिसकी भरपाई नहीं हो सकी
डा. अर्चना ने आगे कहा एस वाई एल का पानी नहीं मिलने से हरियाणा का इतना नुकसान हो चुका है, जिसकी भरपाई नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि यदि एस वाई एल का पानी हरियाणा को मिलता तो 10.8 लाख भुमि सिंचित होगी तथा प्रदेश की प्यास बुझेगी तथा लाखों किसानों की फायदा होगा। एस वाई एल का पानी ने मिलने से दक्षिण हरियाणा में भूजल स्तर बहुत अधिक गिर रहा है। किसानों को सिंचाई के लिए नलकूप पर निर्भर रहना पड़ता तथा बिजली व डीजल से काम चलाना पड़ता है जिससे उनके 100 करोड़ से 150 करोड़ का सालाना नुकसान हो रहा है। पंजाब क्षेत्र में एस वाई एल का पंजाब क्षेत्र में निमार्ण ने होने से हरियाणा क्षेत्र में 10.8 लाख एकड़ की सृजित सिंचाई क्षमता बेकार पड़ी है।
हरियाणा अपने हक का पानी पाने के लिए आर पार की लड़ाई लड़ने को भी तैयार
हरियाणा को 42 लाख टन खाद्यान्न का भी हर वर्ष भारी नुक्सान हो रहा। यदि 1981 के समझौते के अनुसार यदि 1983 में एस वाई एल नहर निर्माण हो जाता तो हरियाणा 130 लाख टन अतिरिक्त खाद्यान व अन्य अनाज पैदा कर लेता। 15000 रुपए प्रति टन की दर से उस पैदावार का कुल मूल्य 19500 करोड़ रुपए होते। डा. अर्चना ने आगे कहा हरियाणा सरकार को अब पंजाब सरकार से किसी पर की वार्ता, बात या कोई बैठके ना करे, इससे कोई हल नहीं निकलेगा। अब केंद्र सरकार व उच्चतम न्यायालय ही अपनी आपनी भूमिका अदा करे। हरियाणा अपने हक का पानी पाने के लिए आर पार की लड़ाई लड़ने को भी तैयार है। हम अपने हिस्से के पानी की एक एक बूंद लेकर रहेंगे। अब केंद्र सरकार या उच्चतम न्यायलय को जिम्मेदारी लेनी चाहिए, ताकि हरियाणा को पर्याप्त पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करे।
दोनों राज्यों के मुख्य्मंत्री आपस में समस्या का समाधान निकाले
डा. अर्चना ने याद दिलाया कि मामले में 2002 उच्चतम न्यायालय ने हरियाणा के हक में फैसला सुनाया था तथा पंजाब को एक साल ने नहर निर्माण का निर्देश दिया था। वही साल 2004 में पंजाब की याचिका के बाद अपने पुराने फ़ैसले को बरकरार रखा ओर पंजाब की याचिका खारिज कर दी। इसके बाद पंजाब कानून पास हरियाणा के एस वाई एल नहर परियोजना के समझौते को रद्द कर दिया। इस मामले में शीर्ष न्यायलय ने कहा कि प्रकृति संसाधनों को सांझा किया जाना चाहिए। इस लिए दोनों राज्यों के मुख्य्मंत्री आपस में समस्या का समाधान निकाले। कोई भी राज्य या शहर ये नहीं कह सकता की केवल उसी की पानी की जरूरत है।
पानी जैसे प्राकृतिक संसाधन को आपस में सांझा करे
बड़ा दृष्टिकोण रखते हुए पानी जैसे प्राकृतिक संसाधन को आपस में सांझा करे। डा. अर्चना ने बताया कि पंजाब राज्य पुर्नगठन अधिनियम 1966 के प्रावधान के अनुसार भारत सरकार के आदेश 24_3_1976 के अनुसार हरियाणा रावी व्यास के फालतू पानी में से 3.5 एमएएफ का आबंटन हुआ था। एस वाई एल नहर का निमार्ण ने होने के कारण हरियाणा केवल 1.62 3एम ए एफ पानी का ही इस्तेमाल कर रहा है। पंजाब अपने क्षेत्र एस वाई एल नहर का निमार्ण ने करके हरियाणा के हिस्से का 1.9 लाख एम ए एफ जल का गैर कानूनी ढंग से उपयोग कर रहा है।
हरियाणा की जनता सब जान व समझ चुकी है
डा. अर्चना ने कहा कि जब दोनों राज्यों में आप पार्टी की सरकार है फिर भी आप पार्टी सुप्रीमो तथा दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल चुप्पी साधे बैठे है। भगवंत सिंह मान मुख्य मंत्री पंजाब पर किसी प्रकार का दबाव नहीं कर रहे। हरियाणा के हितों की बलि चढ़ा रहे है। हरियाणा की जनता सब जान व समझ चुकी है। हम पंजाब की आम आदमी पार्टी पंजाब के मुख्य मंत्री भगवंत सिंह मान की हरियाणा के हितों पर कुंडी मारे बैठने के रुख की कड़ी निन्दा करते है। दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल का हरियाणा के हितों को पंजाब सरकार द्वारा मारने को मूक सहमति देने के रवैया की भी कड़ी भर्त्सना करते है।
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