पानीपत : पानीपत में प्रतिष्ठा फाउंडेशन की एक अलग ही प्रतिष्ठा है। हो भी क्यों ना, फाउंडेशन की चेयरपर्सन डा.कुंजल प्रतिष्ठा अपनी टीम के साथ समाज को हर उस जरूरी मुद्दे के प्रति जागरूक कर रही हैं, जिनके बारे में हम जानकर भी अनजान बन जाते हैं। जिसके चलते प्रतिष्ठा फ़ाउंडेशन को जल बचाओ, प्लास्टिक हटाओ व बाल कल्याण के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान हेतु स्वतंत्रता दिवस समारोह में राज्यसभा सांसद रामचन्द्र जांगड़ा द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर प्रतिष्ठा फ़ाउंडेशन से प्रतिष्ठा फ़ाउंडेशन से संगीता अरोरा, मीनू कमल ने मौजूद रही। उल्लेखनीय है कि प्रतिष्ठा फाउंडेशन की चेयरपर्सन डॉ कुंजल हैं, जो अपनी टीम के साथ जल बचाओ अभियान पर भी विशेष काम कर रही हैं।
फाउंडेशन ने मुख्य अभियान
1. प्लास्टिक मुक्त समाज के लिए देहरादून से बीट द प्लास्टिक कैंपेन शुरू किया है।
2. महिलाओं को स्वच्छता के प्रति जागरूक करते हैं
3. बाल कल्याण हेतु कार्य करते हैं
4. जल सरंक्षण, जिसके लिए डॉ कुंजल ने ‘ पानी की चिट्ठी’ शुरू की हुई है।
ये है पानी की चिठ्ठी की कहानी
वैसे जल सरंक्षण की कहानी अजब है, पानीपत से निकली चिट्टी अब तक 25 हजार से भी ज्यादा हाथों पहुंची चुकी है।
पानीपत में प्रतिष्ठा फाउंडेशन की पहल है। डा.कुंजल बच्चों को पानी पर चिट्टी लिखने के लिए प्रेरित करती हैं। जल संरक्षण की बात आर्मी तक बात पहुंचाई। ये शुरुआत प्यास लगने पर पानी न मिलने के बाद शुरू की। डा. कुंजल बताती हैं कि दिल्ली में परीक्षा थी। गर्मी के दिन थे। प्यास लगी लेकिन आसपास पानी नहीं मिला। पानी लेने दूर जाती तो परीक्षा छूटने का डर था। फिर एक दुकान पर पानी मिला। जो पानी घर पर बिना पैसे दिए मिल जाता, उसके लिए रुपए खर्च करने पड़े। संयोग से उसी दिन घर लौटी तो टीवी पर राजस्थान में पानी की समस्या पर डाक्यूमेंट्री चल रही थी। अखबार में हरियाणा के एक गांव में पानी की समस्या के बारे में पढ़ा। तब मन में ये ठाना था कि लोगों को पानी बचाने के लिए जागरूक करेंगी। इसी उधेड़बुन में निकला पानी की चिट्टी प्लान।
छोटे-छोटे प्रयासों से पानी बचाने की ठानी
अलबत्ता अब इंटरनेट मीडिया के इस दौर में कोई चिट्टी लिखता नहीं है। पहले जो चिट्टी आती थी, तब भावनाएं भी जुड़ी होतीं थी। उन्हीं भावनाओं को फिर से लौटाने, चिट्टी लिखने और लिखाने की ठान ली। इसका असर ये हुआ है कि लोग पानी के बारे में सोचने लगे हैं। यहां तक की ब्यास में आर्मी कैंप में भी इस प्रोजेक्ट की चर्चा हुई। पानी बचाने की उनकी ये अपील फाउंडेशन के सदस्यों के सहयोग से 25 हजार लोगों तक पहुंच चुकी है। उनके साथ अब एडवोकेट, डाक्टर, रिटायर्ड प्रिंसिपल, रिटायर्ड कर्नल, आर्मी के लोग जुड़ गए हैं। छोटे-छोटे प्रयासों से पानी बचाने की ठान ली है।
बच्चों को कैंप लगाकर किया जागरूक
पानी की चिट्टी किस तरह लोगों तक पहुंचे, इसके लिए डा. कुंजल ने स्कूल का रास्ता चुना। स्कूलों में कैंप लगाए। क्लास में जाकर बच्चों से पूछा कि कभी चिट्टी देखी है आपने। बच्चों ने इन्कार किया। तब उन्होंने पानी की चिट्टी दिखाई। सभी बच्चे उत्साहित हो गए। प्रतिष्ठा फाउंडेशन ने इस तरह बच्चों को चिट्टी लिखने के लिए भी प्रेरित किया। गुरुग्राम में रहने वाले उनके चाचा को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने डा. कुंजल को ब्यास में आर्मी कैंप में बुलाया। डा. कुंजल ने वहां कहा कि सेना सबसे बेहतर चिट्टी का महत्व समझती है। जिस तरह आपके स्वजन आपका कुशलक्षेम पूछने के लिए चिट्टी लिखते हैं, ठीक उसी तरह उनकी ये पानी की चिट्टी है। ये चिट्टी कहती है, मुझे आज न बचाया तो कल आने वाली पीढ़ी नहीं बचेगी। कुंजल के अनुसार अब तक 25 हजार लोगों तक उनकी चिट्टी पहुंच चुकी है। पानी की चिट्ठी पाने वालों में सीएम, सांसद विधायक भी शामिल हैं।
बच्चों ने कुंजल को भेजी चिट्टी
पानीपत में इसी तरह का कैंप लगा था। बच्चों को पानी की चिट्ठी के बारे में बताया। तब द मिलेनियम स्कूल के एक छात्रा ने कुंजल को चिट्टी भेजी। इसमें बताया कि वह भी अब पानी बचाने के लिए काम करेगी। शावर से नहाने की जगह बाल्टी का प्रयोग करेगी।
पानी बचाने के लिए ये समाधान अपनाएं
1. पानी पीने के लिए गिलास छोटा लें
2. पानी बचाने के लिए घर में छोटे गड्ढे बनाएं, बारिश का पानी इनके माध्यम से जमीन में भेजा जा सकता है
3. ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं, क्योंकि पेड़ होंगे तो पानी बचेगा। जमीन का कटाव नहीं होगा।
4. पानी बचाने के लिए प्रेरित करें, एक-दूसरे को चिट्ठी लिखें, संदेश को अपने घर की दीवार पर चिपकाएं
5. ब्रश करें तो टैप बंद कर दें, नहाते समय बाल्टी का इस्तेमाल करें।
क्या कहती है पानी की चिट्ठी
मैं पानी हूं। तेरी मेरी कहानी हूं। पर्यावरण से धरती, धरती से हम तुम। मैं पानी हूं। तेरी मेरी कहानी हूं। मैं प्रदूषित हूं। तू प्यासा है। मिलकर हमारी ङ्क्षजदगी खतरे में है। आइये, जल बचाएं, कल सजाएं। पानी को व्यर्थ न बहाएं। सबको ये बतलाएं। मैं पानी हूं। तेरी मेरी कहानी हूं।
जानिए डा. कुंजल के बारे में
कुंजल ने पालिटिकल साइंस में पीएचडी की है। करनाल के बीएड कालेज में प्रिंसिपल रही। आइबी कालेज से बीए आनर्स, एसडी कालेज से एमए इंग्लिश की। करनाल डीएवी कालेज से बीएड, कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से एमएड किया। कालेज के दिनों में जल संरक्षण व स्वच्छता अभियान पर श्रेष्ठ एनएएसएस वालंटियर का अवार्ड मिला। कुरुक्षेत्र यूनिवसिर्टी से अकेली ऐसी छात्रा थी, जिसे स्वच्छता और सौंदर्यीकरण अभियान के अवार्ड के लिए चुना गया।