Aaj Samaj (आज समाज), Prajapita Brahmakumaris Ishwariya University, पानीपत: शनिवार को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेक्टर-25 स्थित उप सेवा केंद्र में जगदंबा सरस्वती का समृति दिवस मनाया गया। उपसेवा केंद्र की संचालिका बीके अंजना बहन ने संस्था का परिचय परिचय देते हुए जगदंबा सरस्वती की विशेषताओं के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि ईश्वरीय विश्वविद्यालय की स्थापना 1937 में हैदराबाद सिंध में हुई। परमात्मा शिव ने प्रजापिता ब्रह्मा के तन में प्रवेश करके विश्व की स्थापना करने के लिए एक कारवां शुरू किया छोटे से सत्संग के रूप में जिसमें सबसे पहले प्रजापिता ब्रह्मा स्वयं समर्पित हुए और उनको सुनने के लिए अनेक माताएं बहने और भाई हजारों की संख्या में आने लगे।
एक कुशल प्रशासिका सिद्ध हुई
तब धीरे-धीरे एक प्रतिभा उभर कर सामने आई, जिसको उस समय ओम राधे के नाम से जानते थे। सब ने महसूस किया कि सत्संग में 17 वर्षीय एक कन्या बहुत मासूम दिखने वाली है बहुत पवित्र आत्मा है। पहले ओम राधे बहुत मधुर कंठ से ओम ध्वनि करती थी। सभी मंत्र मुग्ध होकर गहरी एकाग्रता में जाकर सुख का अनुभव करते थे। धीरे-धीरे सब उस 17 वर्षीय कन्या को साधारण न देखते हुए उनमें मां के दर्शन करने लगे उनके लिए उन्होंने मम्मा नाम उच्चारित कर दिया। शिव परमात्मा ने स्वयं अपने मुख कमल द्वारा मम्मा को मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती नाम दिया। मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती उन हजारों भाई बहनों की एक कुशल प्रशासिका सिद्ध हुई।
मम्मा गुणों की खान थी
मां बनकर के सबको असीम प्यार और उनके प्रोग्रेस का कारण बनने लगी। मम्मा का अलौकिक जन्म 1920 में एक मध्यम परिवार में माता रोचा व पिता पोकर दास के घर अमृतसर पंजाब में हुआ था। मम्मा बहुत निर्भय, शक्ति स्वरूपा थी। मम्मा की विशेष धारणा थी गंभीरता। मम्मा गुणों की खान थी। 28 वर्ष के निरंतर ज्ञान मंथन व तीव्र पुरुषार्थ के बाद 24 जून 1965 में मम्मा संपूर्ण बन गई और विश्व परिवर्तन के महान कार्य अर्थात शिव बाबा का हाथ पकड़कर उड़ गई। शनिवार को भाई बहनों ने मिलकर जगदंबा सरस्वती को श्रद्धांजलि अर्पित की और सभी ने ब्रह्मा भोजन स्वीकार किया। इस मौके पर कृष्ण जैन, सुखबीर मलिक, बलवीर, सुरेश मोर, गरिमा, बिमला कादियान आदि मौजूद रहे।