आज समाज डिजिटल, पानीपत :
पानीपत। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा आज का दिन योग-तपस्या दिवस के रूप में मनाया गया, क्योंकि 18 जनवरी सन् 1969 के दिन ब्रह्माकुमारीज के साकार संस्थापक पिताश्री प्रजापिता ब्रह्मा ने (योग एंव तपस्या के बल से) अपनी संपूर्ण अवस्था को प्राप्त कर लिया था। ब्रह्माकुमारीज की पानीपत सर्कल इन्चार्ज राजयोगिनी बीके सरला दीदी ने बताया कि पानीपत में स्थापित चारों मुख्य सेवाकेन्द्रों एवं उपसेवाकेन्द्रों पर शहर व आसपास के गांव से बीके भाई-बहने सवेरे ही पहुंचे गए थे। फिर दोपहर तक संगठित रूप से ध्यान-मगन रहे।
अपने तन, मन, धन को जगत कल्याण के कार्य में लगा दिया
सेवाकेन्द्र की निमित्त संचालिका बहनों द्वारा ब्रह्मा बाबा की जीवन कहानी एवं उनके अलौकिक जीवन चरित्रों का भी वर्णन किया गया। ज्ञान मानसरोवर निदेशक बीके भारत भूषण ने बताया कि 18 जनवरी का दिन सृष्टि चक्र में एक अत्यंत ऐतिहासिक दिन है। यह तिथि एक ऐसे महान व्यक्ति का महाप्रयाण दिन है, जिसने अपने तन, मन, धन को समस्त मानव जगत कल्याण के कार्य में लगा दिया, साथ ही उसका कोई भी श्रेय लेने का संकल्प तक नही किया और इस जगत से विदा हो गए।
किसी भी परिस्थिति प्रलोभन के वश भक्ति भावना और धार्मिक नियमों को नहीं छोड़ा
हुडा सेवाकेन्द्र की इन्चार्ज बीके सुनिता दीदी ने बताया कि लौकिक जीवन में जवाहरात के व्यवसाय के कारण पिताश्री ब्रह्मा का संपर्क उस काल के राजपरिवारों से घनिष्ठ हो गया। विपुल सम्पदा और मान प्रतिष्ठा पाकर भी उनके स्वभाव में नम्रता, मधुरता और परोपकार की भावना बनी रही। उन्होंने किसी भी परिस्थिति में, किसी भी प्रलोभन के वश अपनी भक्ति भावना और धार्मिक नियमों को नहीं छोड़ा।
परमात्म ज्ञान की खोज में बाबा ने 12 अलग-अलग गुरू किए
सुखदेव नगर कॉलोनी स्थित सेवाकेन्द्र की इन्चार्ज बीके कविता दीदी ने बताया कि सच्चे परमात्म ज्ञान की खोज में बाबा ने 12 अलग-अलग गुरू किए, लेकिन किसी के भी द्वारा प्राप्त ज्ञान से वे संतुष्ट नहीं हुए। एक दिन अनायास ही उनकी भक्ति भावना से प्रसन्न होकर उनके तन में परमपिता परमात्मा शिव प्रविष्ट हुए और उन्हे सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान देकर विश्व परिवर्तन जैसे असंभव दिखने वाले कार्य के निमित्त उन्हे बना दिया।
सूक्ष्म रूप में आज भी बाबा हर बच्चे को अपने साथ का अनुभव कराते हैं
बरसत रोड़ स्थित सेवाकेन्द्र की इन्चार्ज बीके बिन्दू बहन ने बताया कि भले ही पिताश्री ब्रह्मा ने अपने दैहिक कलेवर का त्याग कर संपूर्णता को प्राप्त किया। लेकिन सूक्ष्म रूप में आज भी बाबा हर बच्चे को अपने साथ का अनुभव कराते हुए कदम-कदम पर सहयोग, स्नेह एवं प्रेरणाएं प्रदान कर रहे हैं। ऐसे अलौकिक पिताश्री जी को उनकी 54वीं पुण्यतिथि पर शत् शत् नमन।