करोड़ों रुपए के ओस्टिज प्लाट घोटाले में दलाल का शपथनामा सरकार की ईमानदार छवि की उड़ा रहा धज्जियां : स्वामी

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Panipat News/plot scam in Panipat
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आज समाज डिजिटल, पानीपत :
पानीपत। करोड़ों रुपए के ओस्टिज प्लाट घोटाले में दलाल का शपथनामा सरकार की ईमानदार छवि की उड़ा रहा धज्जियां यह बात जोगेंद्र स्वामी पूर्व जिला पार्षद ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में कही। उन्होंने कहा कि अब हम इन्हें प्रॉपर्टी डीलर कहे या दलाल जो किसान कोटा यानी ओस्टिज कोटे के प्लॉट अलॉट करवाने की जिम्मेदारी शहर में लेते हैं। पहले किसान से सस्ते भाव में फाइल का सौदा करते हैं फिर विभाग से पुराने रेट पर प्लाट अलाट करवा कर सरकार को करोड़ों की चपत लगाते हैं। अलॉटमेंट का तरीका भी ऐसा जिसमें ना भू मालिक आता उनकी अनुपस्थिति में यह डीलर ही विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से उस ड्रा का हिस्सा होते हैं और इसमें ना ही कोई लिखित आदेश आता, केवल इन आदेशों को स्पीकिंग ऑर्डर कहा जाता है, जिसे बाद में लिखित आर्डर मान लिया जाता है।

गड़बड़ी पिछले कई सालों से चलती आ रही है

ऐसी गड़बड़ी पिछले कई सालों से चलती आ रही है और समय-समय पर हम इसकी विभाग को शिकायतें करते रहते हैं, लेकिन बंदरबांट के चलते मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया जाता है। डीलर प्रमोद गुप्ता का यह कबूल नामा यह साबित करने के लिए काफी है कि तत्काल में मुख्य प्रशासक डी सुरेश के कार्यकाल के साथ-साथ दूसरे मुख्य प्रशासक के कार्यकाल में भी ओस्टिज कोटे के प्लाटों में कैसे बंदरबांट की गई की 1992 में ड्रा द्वारा निकाले गए। कैंसिल प्लाटों को कि फिर से अलॉटमेंट करवाई गई, जिसे मौजूदा मुख्य प्रशासक अजीत बालाजी जोशी की ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के चलते इन प्लाटों को कैंसिल कर दिया गया। इसी प्रकार इस दलाल ने एक मुख्य दलाल नवीन जिंदल के साथ मिलकर पहले भी फर्जी तरीके से 2008 के बेचे गए प्लाटों के ड्रा 16 -7-15 (प्लॉट नं. 1090,1091,1092,1094 व 16 -5- 19 (प्लॉट नं. 735 और 232ए,1061,1412,1413 व 975 सभी सेक्टर 12 पानीपत में गलत तरीके से अलाट करवाए थे।

सारा ओस्टिज प्लाट घोटाला कैसे संभव हुआ

11 अगस्त 16 की पॉलिसी में 18 मई 2019 की पॉलिसी आने के बाद यह सारा ओस्टिज प्लाट घोटाला कैसे संभव हुआ, जिसमें तत्कालीन संपदा अधिकारी गुलशन सलूजा व एकाउंटेंट ने रेट निर्धारित करने बारे मुख्य प्रशासक से कोई सलाह लिए बिना ही इन अधिकारियों द्वारा अनिल अग्रवाल कानूनी सलाहकार हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण से फर्जी तरीके से मुख्य प्रशासक की अप्रूवल के बिना इन प्लाटों को तृतीय पक्ष का अधिकार पैदा कर दिया। अब हिम्मत तो और भी बढ़ गई जब वैसे ही ग़लत काम अब मुमकिन नहीं हो सके, अब इन सभी दोषियों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कारवाही होनी चाहिए।