Aaj Samaj (आज समाज),Panipat DC Virendra Kumar Dahiya,(अनुरेखा लांबरा)पानीपत: उपायुक्त का जिले की भलाई के लिए उत्कृष्ट नेतृत्व कौशल प्रदर्शन काफी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। यह अच्छे नेतृत्व कौशल के बिना संभव नहीं है। किसी भी अधिकारी में यह गुण होना सबसे जरूरी है। इसका बड़ा उदाहरण है पानीपत जिले के उपायुक्त वीरेन्द्र कुमार दहिया, जिन्होंने अल्प समय में जिले के अन्दर अपनी ऐसी छवि बनाई है जो अधिकारियों व खास तौर पर युवाओं के लिए प्रेरणा बन रही है।
जैसा नाम वैसा काम
उपायुक्त वीरेंद्र कुमार दहिया ने अपने नाम को अपने काम से चरितार्थ किया है, भगवान इंद्र देव की छवि शीतल भी तो शक्ति रूप भी। एक वीर पुरुष अपनी सजग और सतर्क इंद्रियों से जिले की हर खैर खबर रखने वाले, कभी भी कहीं भी अचानक मौके पर पहुंच निरीक्षण करने वाले उपायुक्त ने 1 महीना 9 दिन में पूरे दिल से जिले की सेवा कर अधिकारियों में पारदर्शिता और श्रेष्ठता वाली शक्ति को जगाने का प्रयास ही नहीं किया, बल्कि इसमें कामयाबी भी हासिल की है। अब सरकारी कार्यालयों में होने वाले कार्यों पर इसका असर साफ दिखाई देने लगा है। मृदु भाषी, हस मुख व समय पर कार्यालय पहुंचकर जनता के लाभ के लिए अपनी शक्ति और पद का उपयोग करना कोई इनसे सीखे। जिले में दिनों दिन उनके द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों का असर अब धरातल पर दिखाई पड़ने लगा है।
- अधिकारियों में पारदर्शिता और श्रेष्ठता की शक्ति जगाने में कामयाब हो रहे हैं उपायुक्त
- विकास कार्यों में अत्यंत समर्पणता, निष्पक्षता एवं नैतिकता दिखाई पड़ती है साफ
उत्कृष्ट नेतृत्व की क्षमता का बेहतरीन प्रदर्शन
उपायुक्त द्वारा जिला सचिवालय में रोजाना लगाए जाने वाले जनता दरबार में उनकी अत्यंत समर्पणता, निष्पक्षता व नैतिकता साफ दिखाई पड़ती है जो अन्य के लिए उदाहरण है। अल्प समय में अपनी कार्यकुशलता से वे जिले के युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब रहे हैं। उनमें विकास कार्यों को बेहतरी के साथ लक्ष्य की ओर ले जाने की क्षमता है। वे अच्छी लीडरशिप स्किल्स के साथ जनता के कार्य को करने में भरोसा रखते हैं। अपने उत्कृष्ट नेतृत्व की क्षमता का बेहतरीन प्रदर्शन करके अधिकारियों की अच्छी खासी टीम का गठन कर सरकार की नितियों को जन-जन तक पहुंचानें का कार्य सफलतापूर्वक कर रहे है।
सभी विषयों का अच्छा-खासा ज्ञान
नगर निगम के औचक निरीक्षण में त्वरित निर्णय से उनकी छवी को और बल मिला है। उनमें विपरीत परिस्थितियों में भी ठंडे दिमाग से स्पष्ट सोच कर विकल्पों का आलकन कर परिणामों तक पहुंचे की क्षमता है। कई बार उनके सामने ड्यूटी दौरान ऐसी स्थितियां भी आई जब उन्होंने स्थिति के आधार पर एक सुविचारित निर्णय लेकर उस पर अमल किया। यह निर्णय उनकी क्षमता को साबित करता है।उपायुक्त को सभी विषयों का अच्छा-खासा ज्ञान भी है। जो सरकारी नीतियों को प्रभावी ढंग से अमल में लाने के लिए मददगार ही साबित नहीं होता, बल्कि प्रशासनिक समस्याओं को समझने, हल करने, सरकारी मशीनरी में मौजूद खामियों को दूर करने में भी मदद करता है।
समस्या से निपटने की जबरदस्त शक्ति
जिले में उपायुक्त ने अल्प समय में जिम्मेदारी से कार्य करके उसे अच्छी प्रकार से निभाया है। कानून अनुपालन, विकास कार्य, प्रशासनिक कार्य, प्रबंधन आदि में अपना बेहतरीन प्रदर्शन किया है। उनका परिश्रमी और काम के प्रति समर्पित होना जिले के नागरिकों को अच्छा संदेश गया है। उपायुक्त अपने महीने भर के कार्य काल में सरकारी मशीनरी में भ्रष्टाचार पर लगाम कसने में काफी हद तक सफलता पाई हैं। उनके पास अपने कार्यक्षेत्र में प्रशासन, वित्त और कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेदार होने के चलते समस्या से निपटने की जबरदस्त शक्ति है। वे व्यक्तिगत रूप से ईमानदारी से लैस हैं व भ्रष्टाचार विरोधी जंग में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
गजब की कम्युनिकेशन स्किल्स
उनमें कुशल प्रशासक होने के साथ-साथ कम्युनिकेशन स्किल्स भी अच्छा है। जिले के अन्य अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठकों में बोलकर तथा लिखकर स्वयं को बेहतरीन तरीके से अभिव्यक्त करते हैं। इससे वे अन्य अधिकारियों को स्पष्ट रूप से निर्देश देते हैं जिसमें किसी भी प्रकार की गलतफहमी की गुंजाइश नहीं रहती। वे समय-समय पर विशिष्ट व्यक्तियों से भी मिलते है। इन मौकों पर भी कम्युनिकेशन स्किल्स उनके बेहतरीन काम का संदेश देता है।
सरकारी मशीनरी का निजी काम के लिए उपयोग ना करना उनके वर्क एथिक्स का हिस्सा
उपायुक्त कहते हैं कि जिले में सरकारी मशीनरी का हिस्सा होना बड़ा चुनौतीपूर्ण है। रोजाना 11 से 1 बजे तक जनता दरबार में जिले के अलग-अलग क्षेत्र से समस्याओं को लेकर आने वाले लोगों से मिलने पर इसका अहसास होता है। उनका कहना है कि लोगों की समस्याओं के निपटान को लेकर लीक से हटकर सोचना पड़ता हैं और उनकी समस्या का निदान करना पड़ता है। विदित रहे की 12 अप्रैल को उपायुक्त का पदभार सभालने से लेकर अब तक उनकी कार्य के प्रति अनुकरणीय नैतिकता साफ दिखाई पड़ी है। सरकारी मशीनरी का निजी काम के लिए उपयोग ना करना उनके वर्क एथिक्स का हिस्सा हैं। उनकी शैली अनेक बार अपने कनिष्ठों के सामने मिसाल भी पेश करती है। उम्मीद है कि जिले के प्रति उनकी निष्ठा आने वाले दिनों में और रंग लाएगी।