Panipat News : एसडी पीजी कॉलेज में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर एनएसएस कार्यकर्ताओं को किया गया जागरूक 

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NSS workers were made aware on the occasion of World Suicide Prevention Day in SD PG College
(Panipat News) पानीपत। एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर एनएसएस कार्यकर्ताओं एवं विद्यार्थियों को जागरूक करने हेतु स्वास्थ्य विभाग पानीपत के जिला मानसिक स्वास्थ्य प्रोग्राम द्वारा एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। डिप्टी सीएमओ डॉ ललित वर्मा के मार्गदर्शन में विनोद कुमार मनोचिकित्सक एवं सामाजिक कार्यकर्ता और संगीता सामुदायिक नर्स ने कॉलेज में पधारकर एनएसएस कार्यकर्ताओं और विद्यार्थियों को बढती आत्महत्या की प्रवृति के कारणों और इसके निदान के उपायों के बारे विस्तार से चर्चा की। उनके साथ प्रीती परामर्शदात्री, आरती, आकाश और शिवम ने भी कार्यक्रम में शिरकत की। मेहमानों का स्वागत प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा, एनएसएस प्रभारी डॉ राकेश गर्ग और डॉ संतोष कुमारी ने किया।
विनोद कुमार ने कहा कि सकारात्मक विचार हमें आत्महत्या के विचारों से दूर ले जा सकते है। सकारात्मक विचार हमारे दिमाग में डोपामाइन एवं नॉरपेनेफ्रिन जैसे रासायनिक द्रव्य की सक्रियता को बढ़ाते हैं, जिससे व्यक्ति को खुशी एवं आनंद की अनुभूति होती है। सकारात्मक सोच के कारण उपापचय संतुलित होता है जिसके कारण मन में मनोविकार उत्पन्न नहीं होते हैं। सकारात्मक सोच तनाव को ऊर्जा में रूपांतरित करके व्यक्ति की ताकत बना देते हैं। इसलिए उन्होनें नशीले पदार्थों के सेवन से दूर रहने की सलाह दी और विद्यार्थियों को व्यायाम, योग, प्राणायाम, डायरी लिखना, पेंटिंग करना और अच्छे साहित्य को पढ़ने की सलाह दी।
संगीता ने कहा कि प्रत्येक वर्ष लाखों लोग आत्महत्या करके अपनी जान को गवां बैठते हैं और इसमें सबसे बड़ी संख्या युवाओं की है जिनकी उम्र 15 से 30 साल के बीच होती है । ऐसे व्यक्तियों को अगर सही और समय पर मदद मिले तो इन्हें ऐसा करने से रोका जा सकता है। डॉ अनुपम अरोड़ा ने कहा कि बच्चों के स्वभाव में सतत परिवर्तन दिखाई दे तो हमें सतर्क हो जाना चाहिए। नींद में कमी, भोजन में अरुचि, अकेला रहने की आदत, चिड़चिड़ापन, नकारात्मक प्रवृत्ति, आक्रामकता, संवेगिक अस्थिरता आदि मनोवैज्ञानिक एवं शारीरिक लक्षणों को हमें कभी भी अनदेखा नहीं करना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर हमें मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक की सलाह लेनी चाहिए।