समाज सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं : सुरेश आहूजा

0
399
Panipat News/No religion is bigger than social service: Suresh Ahuja
Panipat News/No religion is bigger than social service: Suresh Ahuja
आज समाज डिजिटल, Panipat News :
पानीपत। वो ख़ुदा.. ये कायनात… ये फिजाएं रहमतों की उस पर ख़ूब बारिश करती है, जिसके कर्मों में समाज सेवा और भावनाओं में सामाजिक सेवा भरी रहती है।। कुछ ऐसी ही शख्सियत हैं शहर के महार्षि दयानंद संस्थान वेद मन्दिर के प्रधान सुरेश आहूजा। सुरेश वर्ष 2010 से समाज सेवी कार्यों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। सुरेश के अनुसार उन्हें शुरू से परिवारिक महौल समाजसेवा का ही मिला। 2010 में उनके पिता तुल्य समाजसेवी चमनलाल आर्य ने प्रेरित किया। जो आर्य समाज के लिए समर्पित थे और आर्य समाज मॉडल टाऊन मे सक्रिय थे। उनका मुर्दुल व्यवहार व सेवाभाव किसी के भी जीवन पर अमिट छाप छोड़ता है। इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने अपने जीवन में आर्य समाज के जितने भी बड़े कार्यक्रम किए। उनके प्यार और व्यवहार के कारण उसमें लाखों की संख्या में लोग जमा हुए।

ग्रामीण संस्कृति से प्रेरित पंचायती आदमी थे सुरेश के पिता

सुरेश के पिता ज्ञानचंद आहूजा ग्रामीण संस्कृति से प्रेरित पंचायती आदमी थे। किसी के घर आना जाना बहन बेटी को आशीर्वाद के रुप में कुछ न कुछ देना या किसी भाई के काम को लेकर उसकी समाजिक या आर्थिक मदद करना उनके स्वभाव में था। सुरेश की माता सुमित्रा देवी का हर सामाजिक कार्यों में उन्हे भरपूर सहयोग मिला, जोकि सहज व विन्रम स्वभाव की खुशमिजाज व मिलनसार महिला थी। सुरेश ने बताया कि माँ भी किसी बहन बेटी को घर से खाली नहीं भेजती थी। सुबह चार पाँच बजे ही लोग अपनी समस्या लेकर घर आ जाते थे। माताजी उनके चाय नाश्ते का प्रबन्ध करती थी। किसी का कोई भी परिवारिक या समाजिक झगड़ों का निपटारा पिताजी मित्रों को साथ लेकर करते थे। बाद में कुछ मित्र राजनैतिक व व्यापारिक कार्य में लग गए। कई बार तो पिताजी हंसी मजाक में बड़े बड़े निपटारे कर देते थे लेकिन कई बार उन्हे कठोर भी होना पड़ता था। पिता के जीवन और सामाजिक कार्यों से आपको क्या सीख मिली इस सवाल के जवाब में सुरेश ने बताया कि उन्हें जब भी कई बार पिता के साथ पंचायत में जाने का अवसर मिला तो उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला।

कई टूटते परिवारों को बचाया

उन्हें गर्व है कि उनके पीछे हमेशा हाथ बाँधकर बॉडीगार्ड की तरह खड़ा होता था। वो घर आकर अक्सर पंचायती फैसलों का जिक्र किया करते थे। काम किसी का भी सिद्ध हुआ हो लेकिन पिताजी के चेहरे का सन्तोष व प्रसन्नता बताती थी कि उन्होंने किस तरह से एक परिवार को टूटने से बचाया और उनके सम्बन्धों को ठीक किया। कहीं ना कहीं हमें भी गौरवान्वित करती थी। एक बार तो एक बुजुर्ग महिला दो-तीन महीने हमारे घर रही। समझौता कराकर उसे घर भेजा। सुरेश बताते हैं कि अभी भी बहुत से लोग अक्सर मिलते है जो उनके पिताजी द्वारा उनके जीवन में किए हुए बदलाव की चर्चा करते है। बहुत से परिवारों से तो आज भी चाचा, ताया, बुआ आदि का रिश्ता बना हुआ है जो आज तक लोगों को लगता है जैसे हम सब सगे भाई बहन है। आना जाना, विवाह शादियां, लेना देना सब वैसे ही चलता है जैसे सगे बहन भाईयों में चलता है।

 

 

Panipat News/No religion is bigger than social service: Suresh Ahuja
Panipat News/No religion is bigger than social service: Suresh Ahuja

परिवार का भी मिलता है भरपूर सहयोग

सुरेश के अनुसार परिवार के सहयोग के बिना क्या है। जब भी उनकी संस्थाओं की मिटींग होती है तो सुरेश की पत्नी नाश्ते का प्रबन्ध करती है। उनके हर कार्य में बेटे का भी सहयोग रहा है। उन्होंने एक वाकया का जिक्र करते हुए बताया कि एक आयोजन के दौरान पिछली बार विधायक विज घर आये थे तो फोटो के टाईम विधायक विज ने सुरेश की धर्मपत्नी को रसोई से बुलाकर साथ खड़ा किया और बोले इनका भी बड़ा हाथ है इस आयोजन को सफल बनाने में।

इस तरह समाज सेवा के कार्यों में सक्रिय रहते हैं सुरेश आहूजा 

सुरेश आहूजा ने कोरोना काल में घर-घर जाकर लंगर की सेवा दी। 2020 में मुझे उन्हें आठ मरला एसोशिएसन का प्रधान चुना गया। इस दौरान मन की उड़ान संस्था की अध्यक्ष श्रीमती सरिता आहूजा जी ने बहुत सहयोग किया। मन की उड़ान संस्था के साथ मिलकर सर्दियों में गर्म कपड़े कम्बल व खाने का लंगर का आयोजन किया। विधवा अपाहिज महिलाओं को हाथ-रिक्शा व राशन आदि का सामान दिया। शहीदों का सम्मान, रामजन्म भूमि शिलान्यास, सभी राष्ट्रीय त्यौहार बड़ी श्रद्धापूर्वक आठ मरला चौंक पर मनाए गए। कोरोना काल में डीएसपी वत्स तथा पूरी पुलिस प्रशासन व सफाई कर्मचारियों के सम्मान कार्यक्रम का आयोजन भी बड़ी सफलतापूर्वक किए गए।

जिला प्रशासन पानीपत की ओर से सम्मानित किया गया

15 अगस्त 2020 को समाजसेवा के कार्यो के लिए जिला प्रशासन पानीपत की ओर से सम्मानित भी किया गया। संयुक्त व्यापार मण्डल पानीपत द्वारा उन्हें मॉडल टाऊन जोन का सचिव नियुक्त किया गया। संयुक्त व्यापार मण्डल के साथ मिलकर कोरोना काल में जरूरतमंदो को खाना बाँटने की व्यवस्था, दवाईयों व ऑक्सीजन की व्यवस्था कार्य बड़े जोर-शोर से किया गया। तिरंगा सम्मान यात्रा में आठ मरला चौंक को गेट लगाकर सजाया गया तथा एसोशिएसन की ओर सभी तिरंगा यात्रा में शामिल लोगों का सम्मान किया गया। 2021 में मुझे सर्वसम्मति से सावन भादौ पार्क वेलफेयर सोसाईटी का प्रधान चुना। सोसाईटी में पार्क, टयूबवैल, लाईटिंग आदि का रख-रखाव हमारी समिती द्वारा ही किया जाता है। विधायक विज से मिली लाईटों को आठ मरला चौंक व कालोनी में लगवाया गया और बहुत से ऐसे कार्यक्रम हुए जो मन को तसल्ली देते हैं।

धार्मिक और सामाजिक कार्यों का करते हैं सफल आयोजन

2022 में सुरेश आहूजा को महार्षि दयानंद संस्थान वेद मन्दिर का प्रधान पद देकर जो सम्मान दिया गया। उन्होंने कहा कि उसके लिए मैं कर्नल सतीश ऑबरोय व अपनी पूरी टीम का ऋणी रहूँगा। जिसके तहत हमने बहुत से सफल धार्मिक एवं समाजिक कार्यक्रमों का आयोजन किया। गरीब कन्याओं के विवाह, गुरूकुल में राशन भेजने की व्यवस्था जैसे कार्यों में हमारे आचार्य संजीव वेदालंकार का विशेष योगदान रहा। एक्जीक्यूटीव मैंम्बर के रूप में सर्वजन कल्याण समिती के प्रधान सुनील वर्मा व अन्य साथियों के साथ मिलकर धर्मार्थ औषधालय चलाया। कुछ दिन पहले गरीब जरूरतमंद परिवारों को राशन वितरण का काम शुरू किया गया है। जिससे सभी सामाजिक सामर्थवान लोगों का भरपूर समर्थन मिल रहा है।

कभी कभी कुछ लोगों का रवैया कर देता है निराश

निजी कार्यों और समाज सेवा के कार्यों में कैसे सामंजस्य बनाकर चलते हैं तो इस सवाल के जवाब में सुरेश ने बताया कि कभी कभी तो वो पूरा पूरा दिन अपने काम की तरफ ध्यान नहीं दे पाते, लेकिन ईश्वर की दया से उनका सब कारोबार उनके भाई जैसे पार्टनर हैप्पी मैहता बिना किसी शिकन के सम्भालते है और उनके सभी समाजसेवा के खर्चो में बड़ी खुशी से अपना योगदान भी देते है किसी चीज की कमी नहीं आने देते। समाज सेवा के कार्यों के दौरान क्या कभी मन निराश व हताश होता है के जवाब में उन्होंने कहा कि ऐसा जीवन में चलता रहता है। 5-7 प्रतिशत लोगों के विरूद्ध बोलने से 95 प्रतिशत लोगों को तो नहीं छोड़ा जा सकता। कभी-कभी मन निराश होता है जब राजनीती और सामाजिक संस्थाओं में अपराधिक लोगों का प्रवेश होता है जो अपराधिक लोगों का ही साथ देते है। तो मन बड़ा निराश होता है। परन्तु जब कोई आस करके आता है तो फिर उसे मना करने का मन नहीं करता। कई खाली लड़कों को प्राईवेट कम्पनियों में जॉब दिलवाना भी मेरी प्राथमिकता रही है। बड़ी खुशी होती है उनसे मिलकर वो आज बड़े बड़े पदों पर काम कर रहे है।
बिना सपोर्ट के तो मैं कुछ भी नहीं
बिना किसी सहयोग और सपोर्ट के कुछ भी संभव नहीं। उन्होंने कहा कि आप लोगों सपोर्ट ही तो शक्ति देता है। उन्होंने कहा कि 95 प्रतिशत प्रतिशत लोग मेरे साथ खड़े रहे। मेरे सभी साथी भाई-बहनों का भरपूर समर्थन मिला। बहुत से नए रिश्ते बनें। बहुत से मेरे साथी भाईयों से भी ज्यादा प्यारे मिले। इसके साथ-साथ मीडिया, विधायक, सांसद, पुलिस प्रशासन सभी का बढ़िया साथ रहा। किसी कार्यक्रम के लिए टैन्ट, हलवाई, दवाई, प्रसाद आदि के लिए थोड़ा-बहुत पैसे लेकर धर्म-कर्म करने के लिए लोग खुद आगे आए। कहीं ना कहीं उन सभी का आभारी हूं। ईश्वर की कृपा से सभी ने मुझ में विश्वास जताया। जिसके कारण आज बड़े सफल आयोजन कर सका। सुरेश के अनुसार समाज सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं। जरूरतमंदों की सेवा करना ही मानवता का सबसे बड़ा धर्म हैं।