National Training Camp Gurukul Kurukshetra : आज आर्य वीरांगना शिविरों की अति आवश्यकता : आर्य सत्यवान मलिक
Aaj Samaj (आज समाज),National Training Camp Gurukul Kurukshetra,पानीपत: प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार गिरधर नवरत्न की जयंती के अवसर पर सार्वदेशिक आर्य वीरांगना दल का शारीरिक एवं बौद्धिक राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर गुरुकुल कुरुक्षेत्र के लिए एक बस को प्रबंधक राजेंद्र जागलान आर्य कन्या स्कूल प्रबंधक प्रमोद आर्य योग शिक्षक महावीर और प्रवीण प्राचार्य सत्यवान आर्य एवं आचार्य राजकुमार शास्त्री ने मंगलवार को ओम ध्वज दिखाकर रवाना किया। यह शिविर 7 से 11 जून तक बालिकाओं के लिए आयोजित किया जा रहा है। इस शिविर में आर्य बाल भारती पब्लिक स्कूल पानीपत की 40 आर्य वीरांगनाएं भाग लेने जा रही हैं।
इन शिविरों के माध्यम से ही बालिकाएं वीरांगनाएं बन सकती है
इन बच्चों को इस शिविर के अंतर्गत आत्मरक्षा हेतु लाठियों का चलाना, योगासन कराना, प्राणायाम का प्रशिक्षण, जूडो कराटे, सर्वांग सुंदर, व्यायाम, सूर्य नमस्कार, भूमि नमस्कार आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय के प्राचार्य आर्य सत्यवान मलिक ने की। मंच का संचालन उप प्राचार्य आचार्य राजकुमार शर्मा ने किया गया। उन्होंने बताया कि इस विद्यालय में भारत की प्राचीन संस्कृति एवं सभ्यता के विषय में विस्तार से जानकारी दी जाती है। बच्चों में वैदिक संस्कार दिए जाते हैं, जिससे कि बच्चे अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक हों।
प्राचार्य आर्य सत्यवान मलिक ने कहा कि इन शिविरों के माध्यम से ही हमारी बालिकाएं वीरांगनाएं बन सकती है।
40 आर्य वीरांगनाओं का जत्था लेकर के 1 बस गुरुकुल कुरुक्षेत्र के लिए रवाना की गई
आज आवश्यकता है अपने घर की बालिकाओं को इस तरह की आत्मरक्षा हेतु सभी प्रकार के प्रशिक्षण देना। आज आर्य वीरांगना शिविरों की अति आवश्यकता है, जिस देश की बालिकाएं जागरूक होती है उस देश को कभी कोई गुलाम नहीं बना सकता। इसलिए आज अपने देश की बालिकाओं को जागरूक करने की आवश्यकता है और यह कार्य आर्य बाल भारती पब्लिक स्कूल पानीपत बखूबी कर रहा है। इसी उद्देश्य को लेकर आज विद्यालय से 40 आर्य वीरांगनाओं का जत्था लेकर के 1 बस गुरुकुल कुरुक्षेत्र के लिए रवाना की गई। इस अवसर पर स्वतंत्रता सेनानी एवं हिंदी साहित्यकार गिरधर नवरत्न का जन्म दिवस मनाया गया। विश्व पर्यावरण की सुरक्षा के लिए विद्यालय के परिसर में पौधरोपण किया गया।