पानीपत। महर्षि दयानन्द संस्थान वेद मन्दिर में रविवार को महाशिवरात्रि व ऋर्षिबोध उत्सव का कार्यक्रम रहा। वेद मन्दिर के मार्गदर्शक आदरणीय आचार्य संजीव वेदालंकार जी ने बड़े अध्यामिक ढ़ग से वेद मन्त्रोच्चारण द्वारा यज्ञ की आहुतियाँ डलवाते हुए यज्ञमहिमा को बड़ी सुक्ष्मता से समझाया। यज्ञ में जलसेचन का अर्थ मात्र यह कि पहले यज्ञकुण्ड जमीन पर विस्थापित होते थे और लोगों में नित्य प्रति यज्ञ करने का प्रचलन था इसलिए यज्ञ में अग्नि प्रवज्जलित करने से पहले यज्ञ के चारों एक नाली में जलसेचन किया जाता था, ताकि यज्ञ में किसी प्रकार के कीट आदि जीवों का प्रवेश न हो और शुद्ध रुप से ईश्वर की तरफ ध्यान लगे। शिव का अर्थ कल्याण और लिंग का अर्थ चिन्ह होता है।
धर्म अब धर्म नहीं महज एक दिखावा बनकर रह गया
यह लिंग अर्थात चिन्ह जिस पर स्थापित होता है उसके चारों भी जलसेचन के लिए एक नाली बनाई जाती है, लेकिन दुर्भाग्यवश कामनायुक्त पंडित पुरोहितो ने इसे किसी ओर से ही जोड़ दिया। जब किसी असाध्य रोग हो जाने हम किसी स्पैलिस्ट डाक्टर को ढूंढते है परन्तु धर्म के ज्ञान के लिए बिना किसी की विद्या जाने हम किसी भी पंडित पुरोहित को पकड़ लेते है इसी से धर्म की हानि होती है। धर्म अब धर्म नहीं महज एक दिखावा बनकर रह गया है। बड़े बड़े डेरे, बड़ी गाडियाँ बड़ी भीड़, बड़ा प्रचार सब धर्म का व्यापारीकरण है। धर्म जब आचार्य से निकलकर व्यापारियों के हाथ चला जायेगा। समझना, वहाँ धर्म नहीं व्यापार होता है। मिलता कुछ नहीं सिवाय दिखावे के। धर्म तो दया, ममता, करुणा सिखाता है जो गुरुकुलों में मिलती है।
ईश्वरीय गीतों से सबको मन्त्रमुग्ध किया
राम, कॄष्ण सब गुरुकुलों में पढ़े वो भगवान बने हम सबके मार्गदर्शक बने। मुख्यातिथि नवीन मुंजाल, अध्यक्ष आदर्श एक विश्वास संस्था से रहे, जोकि चिकित्सा क्षेत्र में लोगों को नि:शुल्क इलाज मुहैया करवाते है। प्रधाना सरिता आहूजा जी ने अपनी मीठी वाणी से ऋषि दयानंद के जीवन चरित्र भजन सुनाकर सबको भक्ति विभौर कर दिया तथा ईश्वरीय गीतों से सबको मन्त्रमुग्ध किया। हर बार की तरह मंच संचालन धीरज कपूर ने बड़ी कुशलता से आए अतिथियों का स्वागत किया। प्रधान सुरेश आहूजा व स्वागताध्यक्ष विजय शर्मा ने सभी अतिथियों शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। शान्तिपाठ द्वारा कार्यक्रम का समापन हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्यतौर पर प्रो. हरिसिंह, सुशीला भाटिया, किरणपाल आर्या, सुनील अरोड़ा, ज्योति शक्ति ठकराल, जगदीश, मोनू गांधी आदि उपस्थित रहे।