- पाइट में सात दिवसीय चलो थियेटर महोत्सव संपन्न, बॉलीवुड स्टार मुकेश तिवारी ने कलाकारों को किया सम्मानित
आज समाज डिजिटल, पानीपत :
पानीपत (समालखा)। आंखों में आंसू लिए मां गांधारी ने अपने पुत्रों के शोक में भगवान श्रीकृष्ण को महाश्राप दे दिया। श्रीकृष्ण ने इस श्राप का भी स्वागत करते हुए कहा, मां मुझे तुम्हारा श्राप स्वीकार्य है। यहां जो भी सैनिक धराशायी हुआ, वो मेरा ही था। अश्वथामा नहीं, युगयुगांतर तक मैं ही पीड़ा को भोगूंगा। और ये कहते हुए उसी समय बहेलिया प्रकट होता है जो श्रीकृष्ण पर बाण छोड़ देता है। इसी के साथ महाभारत युद्ध के आखिरी दिन का अध्याय समाप्त हो जाता है। यह अध्याय रास कला मंच की ओर से सात दिवसीय चलो थियेटर महोत्सव के अंतिम दिन प्रस्तुत नाटक अंधायुग में दर्शाया गया। मणिपुर से आई टीम के इस नाटक को देखते हुए दर्शक सीट पर खड़े हो गए, दस मिनट तक तालियों से हॉल गूंज उठा।
जीवन में कड़ी मेहनत करें
थियेटर एवं बॉलीवुड के मशहूर कलाकार मुकेश तिवारी नाटक में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे। एसडीएम अमित कुमार ने कलाकारों का हौसला बढ़ाया। पाइट के सचिव सुरेश तायल ने कहा कि सात दिन तक चले महोत्सव ने हमें सिखाया है कि मेहनत करके ही सफलता हासिल की जा सकती है। कलाकार दिन-रात स्टेज पर अभ्यास करते हैं। तब जाकर नाटक के दिन अपनी शानदार प्रस्तुति देते हैं। ठीक इसी तरह जीवन में कड़ी मेहनत करें। तरक्की के रास्ते खुल जाएंगे। इस अवसर पर चेयरमैन हरिओम तायल, बोर्ड सदस्य शुभम तायल, निदेशक डॉ.शक्ति कुमार, डीन डॉ.बीबी शर्मा, सतीश भारद्वाज मौजूद रहे।
मुकेश तिवारी ने सुनाया पनवेल डॉयलॉग
गंगाजल मूवी के इंस्पेक्टर एवं गोलमाल के वसूली भाई ने मंच पर दर्शकों को हंसाया। कलाकारों में से ही एक युवक को मंच पर बुलाया। गोलमाल के मशहूर डॉयलॉग को सुनाया। अबे जल्दी बोल, कल सुबह पनवेल निकलना है। इस पर दर्शकों ने खूब तालियां बजाईं। उन्होंने कहा कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। अपनी मंजिल से पीछे नहीं हटना चाहिए।
रवि मोहन को नोटों की माला पहनाई
समालखा की गोल्डन पार्क सोसाइटी के सदस्यों ने रास कला मंच के निदेशक रवि मोहन को नोटों की माला पहनाई। कुलभूषण अरोड़ा ने कहा कि मंच बनाना आसान है, लेकिन उसे जीवंत करना बेहद मुश्किल। देशभर के कलाकारों को रवि मोहन ने एक जगह पर एकत्र किया। सात दिन तक भारतीय संस्कृति से रूबरू कराया। रवि मोहन ने बताया कि हरियाणा कला परिषद, संस्कृति मंत्रालय व गीता सरोवर पोर्टिको का भी सहयोग रहा।
कथानक – रोशनी और संगीत का ताल, महाभारत का अंतिम दिन
महाभारत के अंतिम दिन को इस नाटक में प्रस्तुत किया गया। रोशनी और संगीत के तालमेल से सजे इस नाटक में अश्वथामा की भूमिका महत्वपूर्ण थी। वह उत्तरा के गर्भ में ब्रह़मास्त्र छोड़ देता है। तब उसे युग युगांतर तक माथे पर घाव सहित जीने का श्रीकृष्ण श्राप देते हैं। अंत में माता गांधारी भी श्रीकृष्ण को श्राप देते हुए कहती है, तुम्हारे वंश का अंत हो जाएगा। तुम खुद अपने वंश का खात्मा करोगे। कमजोर बहेलिया तुम्हारी जान लेगी। जॉय मैसनाम ने नाटक का निर्देशन किया। साजिदा ने गांधारी, मोहम्मद शहनवाज ने अश्वथामा, सैफ सिदि़धकी ने दुर्योधन, आदित्य वर्मा ने कीर्त की, मधुसुदन ने भीम, कृपचार्य की साहिल ने भूमिका निभाई।
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