18 वर्ष पहले मजदूर आंदोलन के दौरान जीटी रोड जाम करने वाले उद्योगपतियों को पुलिस द्वारा क्लीन चिट देने का मामला

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  • पुलिस ने अनट्रेस बता कर वर्षों पहले जो केस फाइल बंद कर दी थी
  • लोकायुक्त कोर्ट में आरटीआई एक्टिविस्ट की शिकायत पर केस री ओपन हुआ
  •  कई उद्योगपतियों की हो सकती है गिरफ्तारी 
Aaj Samaj (आज समाज) पानीपत : करीब अठारह वर्ष पहले 12 नवंबर 2005 को बरसत रोड के सामने 4 घंटे तक जीटी रोड जाम करने वाले उद्योगपतियों को जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ सकता है। तत्कालीन सिटी थाना प्रभारी लक्ष्मण सिंह द्वारा जाम लगाने वाले उद्योग पतियों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज करवाई गई थी और पुलिस ने बाद फरवरी 2007 में इस केस को अनट्रेस बता कर केस फाइल बंद कर दी थी, लेकिन वर्ष 2017 में पुलिस की इस मिलीभगत के खिलाफ आरटीआई एक्टिविस्ट ने जीटी रोड जाम करने की न्यूज क्लिपिंग (जिनमे फैक्ट्री मालिकों के चेहरे साफ पहचाने जा रहे थे) सहित शिकायत लोकायुक्त को कर के सभी दोषी फैक्ट्री मालिकों को अरेस्ट कराने व उन्हें क्लीन चिट देने वाले सभी पुलिस जांच अधिकारियों को दंडित करने की मांग की तो लोकायुक्त जांच उपरांत ये केस दोबारा खुल गया। गत 18 अप्रैल को लोकायुक्त जस्टिस हरी पाल वर्मा के समक्ष पानीपत सिटी पुलिस स्टेशन के एएसआई परमिंदर सिंह ने पेश हो कर बताया कि सीजेएम संदीप सिंह की कोर्ट ने पुलिस द्वारा इस इस केस की अनट्रेस क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया है,मामला कोर्ट में लंबित है और अब इसमें आगामी जांच होगी।

ये है मामला 

करीब 18 वर्ष पहले पानीपत में मजदूर नेता पीपी कपूर की अगुआई में टेक्सटाइल मजदूरों का बहुत बड़ा आंदोलन चलाया जा रहा था। फैक्ट्री मालिकों और मजदूरों में भारी टकराव, धरने प्रदर्शन, हड़तालें, हिंसक घटनाएं चल रही थी। इसी दौरान 12 नवंबर 2005 को बरसत रोड पर एक फैक्ट्री में मालिकों और मजदूरों का झगड़ा हुआ तो श्रमिक नेता पीपी कपूर की गिरफ्तारी की मांग को लेकर फैक्ट्री मालिकों ने जीटी रोड पर चार घंटे तक जाम लगा दिया। कपूर व उसके साथियों पर एफ आई आर दर्ज होने के बाद ही जाम खोला गया। तत्कालीन एसएचओ पानीपत  सिटी लक्ष्मण सिंह ने कई फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ भी जीटी रोड़ जाम करने के जुर्म में केस दर्ज कर लिया ।एक ओर जहां कपूर को करीब सवा साल बाद गिरफ्तार कर लिया जिस कारण कपूर को करीब सवा दो साल जेल में रहना पड़ा। वहीं पुलिस ने जीटी रोड जाम के आरोपी सभी फैक्ट्री मालिकों को क्लीन चिट देते हुए केस को  अनट्रेस बताते हुए बंद कर दिया। कपूर ने आरटीआई में सारा रिकॉर्ड निकलवा कर और घटना के वक्त की पुरानी अखबारों की न्यूज़ क्लिपिंग लगा कर लोकायुक्त को अगस्त 2017 में शिकायत कर दी।

अदालत ने पुलिस द्वारा पेश की गई अनट्रेस रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया 

लोकायुक्त द्वारा कराई गई जांच में एसपी पानीपत ने पहले तो बताया कि केस को अनट्रेस होने पर कोर्ट में रिपोर्ट दे दी थी और कोर्ट से केस बंद हो चुका है। जब लोकायुक्त ने पानीपत पुलिस से कोर्ट में केस बंद होने की क्लोजर रिपोर्ट मांगी तो पुलिस नहीं दे पाई और जब लोकायुक्त ने जिला पुलिस से अपनी क्लोजर रिपोर्ट व केस फाइल मांगी तो पुलिस वो भी नहीं दे पाई। जीटी रोड जाम की फोटो सहित सबूतों शिकायत का कोई जवाब पानीपत पुलिस नहीं दे पाई। लोकायुक्त रजिस्ट्रार ने अपनी जांच में इसे अत्यंत गंभीर लापरवाही बताते हुए पूरे मामले की किसी सीनियर आईपीएस के नेतृत्व में एसआईटी गठित कर जांच कराने की सिफारिश की तो जिला पुलिस नींद से जागी। गत 18 अप्रैल को लोकायुक्त जस्टिस हरि पाल वर्मा के समक्ष सुनवाई में पानीपत सिटी पुलिस स्टेशन के एएसआई परमिंदर सिंह ने बताया कि इस केस में चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट संदीप चौहान की अदालत ने पुलिस द्वारा पेश की गई अनट्रेस रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया है और इस मामले की अभी आगे जांच होगी।

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