अनुरेखा लांबरा, पानीपत :
पानीपत। गौसेवा कोई शराब नहीं है जिसे मुफ्त दिला सकते हैं.. गौसेवा जज्बातों का नशा है, जो कसाई को कभी चढ़ेगा नहीं और गौसेवक का कभी उतरेगा नहीं..!! गौमाता में हैं समस्त तीर्थ….गाय, गोपाल, गीता, गायत्री तथा गंगा धर्मप्राण भारत के प्राण हैं, आधार हैं। इनमें मैं गौमाता का सर्वोपरि महत्व है। पूजनीय गौमाता हमारी ऐसी मां है, जिसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता है। यह कहना है पानीपत जिले के समालखा कस्बे के गांव भापरा निवासी गौसेवक प्रदीप पांचाल का। जिसने गौमाता के प्राण बचाने के लिए कभी अपने प्राणों की परवाह नहीं की, कसाइयों से गौमाता/गौवंश को बचाते हुए न जाने कितनी बार खुद मौत के मुंह से बचे।
आंखों के सामने हुई एक घटना ने बना दिया गौरक्षक
प्रदीप भापरा करीब 10 वर्षों से गौसेवा के कार्य से जुड़े हैं। हुआ यूं कि करीब 10 साल पहले प्रदीप अपने घर पर थे, तभी उनके घर के सामने से रात के समय एक वाहन में कुछ लोग गायों को लोड करके यूपी की तरफ लेकर जा रहे थे। प्रदीप को उनकी भाषाशैली और हावभाव से मामला संदिग्ध लगा और प्रदीप ने उन्हें रोका और वहां पुलिस बुलाई। जांच के दौरान खुलासा हुआ कि गायों को काटने के लिए यूपी ले जाया जा रहा था। बस वो दिन और वो घड़ी गौमाता को कसाइयों से बचाकर जो सुकून प्रदीप ने महसूस किया, उसमें साथ ही एक दर्द की कसक भी थी, कि ऐसे ही न जाने कितनी गऊ इन कसाइयों के चाबुक का शिकार होती होंगी, कितनी दर्द पीड़ा सहती होंगी। बस उस घटना ने प्रदीप को गौमाता की सेवा/रक्षा के लिए प्रेरित किया।
रोजाना करीबन 4-5 जख्मी गायों की मरहम पट्टी करते है
प्रदीप न केवल गौमाता को कसाइयों से बचाने के लिए प्रयासरत हैं, बल्कि जख्मी गायों की सेवा, उनका इलाज, बेसहारा गौवंशो को गौशाला पहुंचाना, उनके लिए चारा, गुड आदि की व्यवस्था करना आदि सेवा में अपनी टीम के साथ जुटे रहते हैं। प्रदीप ने गौ रक्षा दल के साथ मिलकर अब तक हजारों गायों को कसाइयों से बचाया है, रोजाना करीबन 4-5 जख्मी गायों की मरहम पट्टी करते है। प्रदीप ने बताया कि करीब तीन साल पहले उन्होंने एक एनजीओ कान्हा गौवंश रक्षा उपचार एवं कल्याण संस्था, समालखा का गठन किया। जिसमें उनके साथ बहुत से युवा साथी सहयोगी हैं।
मात्र एक फोन कॉल या सूचना पर पहुंच जाती टीम
गौरक्षा के भाव के दृष्टिगत संस्था ने आपसी सहयोग से एक पुराना गौ रक्षा वाहन खरीदा और एक बोलेरो पुरानी श्रीकृष्ण समिति ने डोनेट की, दोनों वाहनों की मरम्मत करवाकर संस्था सड़क हादसों या अन्य किसी कारण से जख्मी गायों को उपचार लिए अस्पताल लेकर जाती हैं और कसाइयों से गौवंश को कटने से बचाती है। इसके साथ ही जिले के कई गांवों में करीब 90 खोरे गौमाता के लिए रखवाई गई हैं, ताकि खोरों में साफ सुथरा हरा चारा गायों को मिले, जमीन पर, कांच, प्लास्टिक या कोई नुकीली चीजे चारे में मिल जाती हैं, जिसे खाने से गौमाता की सेहत को नुकसान पहुंचता है। इसके अलावा गायों के लिए जगह -जगह पानी के ड्रम की भी व्यवस्था की हुई है। गायों को छतों से उतरना हो या नदी – नालों से निकलना हो, कसाइयों से बचाना हो या घायल का उपचार कराना हो यह संस्था पूरे हरियाणा में गौ रक्षा दल के साथ मिलकर गौमाता की सेवा व सुरक्षा के लिए मात्र एक फोन कॉल या सूचना पर पहुंच जाती है।
सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय
सिर्फ गौसेवा ही नहीं प्रदीप पांचाल सामाजिक सेवाओं में भी सक्रिय हैं। संस्था के सदस्यों के सहयोग से गरीबों को, रेलवे स्टेशन, फुटपाथ, बस स्टैंड आदि पर बेसहारा लोगों को चाय, बिस्किट आदि की सेवा भी करते हैं। प्रदीप बताते हैं कि लॉकडाउन में भी उन्होंने जरूरतमंदों की सेवा की है। भोजन खिलाने की सेवा हो या महामारी के दौरान अपने घर वापिस लौटने वाले प्रवासियों को जूते चप्पल पहनाने की सेवा हो। प्रदीप की टीम मंकी और डॉगी की भी सेवा और सुरक्षा में मदद करती हैं।
हर वक्त जोखिम में जान
प्रदीप के अनुसार जो इंसान तन- मन- धन से, दिल से इस काम में लग गया, वो इस काम को कभी भी नहीं छोड़ सकता, फिर जान की जोखिम ही क्यों ना हो। शुरू में जब प्रदीप गौरक्षा के कार्यों में सक्रिय हुए और एक जुनून के साथ निरंतर आगे बढ़ते रहे तो इनके साथ कसाइयों ने मारपीट भी की, गोलियां भी झेली, कई बार जानलेवा हमले भी हुए तो इन सबके खौफ से कई बार उनकी माता उन्हें इस काम से रोकती थी, रोके भी क्यों ना जन्म देने वाली मां के सामने करीब 10 बार मौत के मुंह से पुनर्जीवित हुआ है उनका बेटा। लेकिन बेटे के हौसले और जज्बे के आगे मां की ममता भी हार गई, और आज वहीं मां कहती है, बेटा दिल जान से गौमाता की सेवा करते रहना।
सम्मान और अवार्ड
गौरक्षा और सेवा के कार्यों को देखते हुइ प्रदीप को जिले भर की बहुत सी संस्थाओं ने, जिला प्रशासन ने सम्मानित भी किया है। 15 अगस्त 2022 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी प्रदीप को उनके नेक कार्यों के लिए सम्मानित किया। प्रदीप इसका श्रेय अपनी पूरी टीम को देते हैं, जिनके सहयोग से ये सब संभव हो रहा है। मंदीप भापरा, प्रिंस वर्मा, गौरव समालखा, संचित अरोड़ा, जगबीर सैनी भापरा, हैप्पी शर्मा, गौरव वर्मा, अंकित उप्पल, सागर कश्यप, राहुल कश्यप, लवीष पांचाल, पीयूष पांचाल, जयदीप शर्मा, अंकित छौक्कर, आशीष गोयल, पवन जैन, भगवत वशिष्ठ बिहौली, विकास शर्मा, रामफल पांचाल के साथ सैंकड़ों गौभक्त साथी जुड़ कर सेवा कर रहे हैं।
बातों में गौमाता के लिए झलकता है दर्द
प्रदीप कहते हैं कि कहां कहां से बचाऊं मैं अपनी गौमाता को, पूरे देश और प्रदेश में न जाने रोजाना कितनी गायों को मारा जा रहा है। मेवात हरियाणा में ही सुर्योदय होने से पहले करीब 5 हजार गायों को काट दिया जाता है, तो और जगह भी कितनी बड़ी तादाद में गौमाता को काटा जाता होगा। प्रदीप ने एक कविता के जरिए गौमाता की मार्मिक पुकार को आमजन तक पहुंचाने का प्रयास किया है :
ए हिंद देश के लोगों, सुन लो मेरी दर्द कहानी।
क्यों दया धर्म विसराया, क्यों दुनिया हुई वीरानी।
जब सबको दूध पिलाया, मैं गौ माता कहलाई,
क्या है अपराध हमारा, जो काटे आज कसाई।
बस भीख प्राण की दे दो, मैं द्वार तिहारे आई,
मैं सबसे निर्बल प्राणी, मत करो आज मनमानी॥
जब जाऊं कसाईखाने, चाबुक से पीटी जाती,
उस उबले जल को तन पर, मैं सहन नहीं कर पाती।
जब यंत्र मौत का आता, मेरी रुह तक कम्प जाती,
मेरा कोई साथ न देता, यहां सब की प्रीत पहचानी॥