पानीपत। श्रावणी पर्व दूसरे दिन महर्षि दयानंद संस्थान वेद मन्दिर में बड़ी श्रद्धापूर्वक मनाया गया। चार दिन चलने वाले इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उद्योगपति व समाजसेवी सुरेन्द्र रेवड़ी एवं समाज-सुधारिका विजयलक्ष्मी पालीवाल रही। विशिष्ट अतिथि कृष्णा एवं सुरेश गोयल भगवती होम वाले रहे। सम्मानित अतिथि पुष्पा एवं जगन्नाथ मुटनेजा एवं सुमन अनिल पाहवा स्टोर, जेपी मार्ट अंसल रहे।
सुरीले भजनों द्वारा प्रांगण में एक विशेष छटा बिखेर दी
कार्यक्रम का शुभारंभ आचार्य संजीव विद्यालंकार ने मंत्रोच्चारण द्वारा यज्ञ कराकर किया। यज्ञ उपरांत भजनों प्रेषक आचार्य कुलदीप भास्कर ने सुरीले भजनों द्वारा प्रांगण में एक विशेष छटा बिखेर दी। उन के भजनों में बड़े ही सुरीले ढंग से बड़ी-बड़ी बातों का भजन द्वारा ईश्वर भक्ति व देश भक्ति में बड़े सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया। उनका भजन आसरा जहाँ का मिले ना मिले, मुझे तेरा सहारा सदा चाहिए और लगन तेरी लगा बैठे जो होगा देखा जाएगा, तुम्हे अपना बना बैठे जो होगा देखा जाएगा और बज गया नगाड़ा वेदां दा, जब से आये दयानंद प्यारे, खुल गए सारे धर्मद्वारे।
कुछ लोभी पांखडी कर्मकांडी पण्डितों ने धर्म की हानि की है
राजस्थान से आमंत्रित ब्रह्मचारी क्रांतिवीर युवा संत स्वामी सच्चिदानंद जी महाराज ने अपने प्रवचनों द्वारा सबकी चेतना को जगा दिया। धर्म के प्रति लोगों का निष्ठुर हो जाना ही धर्म की हानि है। धर्म की हानि करने वाले कोई ओर नहीं केवल हिन्दू ही है। कुछ लोभी पांखडी कर्मकांडी पण्डितों ने धर्म की हानि की है। केवल आर्य समाज ने, स्वामी दयानंद ने ही वेदो का रास्ता दिखाकर दुनिया को राह दिखाने का प्रयत्न किया। आज के यजमान सुदर्शन कृष्ण आर्य, सुनीता सुरेश आर्य, शारदा आत्मप्रकाश बरेजा, वीरेद्र कुमार खरबन्दा, नंदकिशोर छाबड़ा, संतोष चांदना, वीना भाटिया आदि गणमान्य लोग रहे।