पानीपत। डॉ. एमकेके आर्य मॉडल स्कूल पानीपत में द्वितीय ‘बी ‘कक्षा के विद्यार्थियों ने ‘अनुशासन’ विषय पर विभिन्न क्रियाकलापों द्वारा अपनी-अपनी भूमिका निभाई। इस कार्यक्रम के आयोजन में आशा ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रार्थना की मधुर गूंज से किया गया, जिसने वातावरण को पवित्र बना दिया। इसके पश्चात मुकुंद, दीक्षित, ईशान्वी, द्विज, कनिका, माधव, भाविका, पार्थ ने अपने भाषणों में बताया कि अनुशासन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। अनु+ शासन। अनु का अर्थ होता है ‘पालन’ और शासन का अर्थ होता है ‘नियम’। इसका सही अर्थ होता है नियमों का पालन।
जो खुद को अनुशासित रखता है तो वह अवश्य ही सफलता पाता है
जो व्यक्ति अपने जीवन में नियमों का पालन करके अपना जीवन बिताता है। उसे अनुशासन कहा जाता है। अगर कोई विद्यार्थी समय का सदुपयोग कर खुद को अनुशासित रखता है तो वह अवश्य ही सफलता की सीढ़ी चढ़ता है। अनुशासित रहकर विद्यार्थी नियमों का पालन भी करते हैं। बिना अनुशासन के कोई भी विद्यार्थी सफल नहीं हो सकता। उसे हमेशा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसलिए बहुत जरूरी होता है कि एक विद्यार्थी खुद को अनुशासित करके रखें। नवनीत, अक्षय, दीपी, रिशिता, पारूल, सार्थक, प्रिशा, इकनूर, आरुषि, समृद्धि, आदिल हार्दिक, भाविक, शिवांश, कनिका, नैतिक और धैर्य गांधी ने अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से बताया कि अनुशासन का पालन किए बिना हम एक सफल व्यक्ति नहीं बन सकते और जब भी बात आती है विद्यार्थी जीवन की तो अनुशासन का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
अनुशासन हमारे बेहतर चरित्र का निर्माण करता है
कक्षा के विद्यार्थियों द्वारा सामूहिक गान व नृत्य की सुंदर प्रस्तुति दी गई, जो सभी को रोमांचित करने वाली थी। अंत में बच्चों द्वारा प्रस्तुत प्रश्नोत्तरी ज्ञानवर्धक रही। विद्यालय के निदेशक रोशन लाल सैनी, प्रधानाचार्य मधुप पराशर, मीरा मारवाह एवं विद्यालय की शैक्षिक सलाहकार मंजू सेतिया ने विद्यालय के विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए संदेश दिया कि अनुशासन हमारे बेहतर चरित्र का निर्माण करता है। अनुशासन का ना होना हमें गैर जिम्मेदार और आलसी बना देता है। अनुशासन मनुष्य जीवन का अभिन्न अंग है।अनुशासन में रहकर ही हमें सफलता की प्राप्ति हो सकती है। इसीलिए बहुत जरूरी है कि हम अनुशासन के महत्व को समझें और इसे अपने जीवन में लागू करें।