Hanuman Jayanti at Sadanand School : हनुमान जन्मोत्सव पर भजनों से भक्तिमय हुआ सदानंद स्कूल

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Panipat News/Hanuman Jayanti at Sadanand School
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  • जय श्री राम, जय हनुमान के जयकारों से गूंजा स्कूल परिसर
आज समाज डिजिटल, पानीपत :
पानीपत। कृष्णपुरा स्थित सदानंद बाल विद्या मंदिर सीसे स्कूल में हनुमान जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया। जन्मोत्सव स्कूल और सदानंद चौक मार्किट एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में मनाया गया। इस मौके पर विद्यालय में हनुमान जी की पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। विद्यालय की प्रधानाचार्या व स्टाफ द्वारा सर्वप्रथम हनुमान जी की आरती की गई। तत्पश्चात स्कूल के विद्यार्थियों ने सामुहिक हनुमान चालीसा का पाठ किया। स्कूल विद्यार्थियों द्वारा जय श्रीराम के नारे लगाते हुए रैली भी निकाली गई।

मनुष्य को शंका स्वरूप नहीं, समाधान स्वरूप होना चाहिए

प्रधानाचार्य सुधा आर्य ने कहा कि हर साल चैत्र माह की पूर्णिमा के दिन हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन संकटमोचन हनुमान जी का अवतरण हुआ था, इसलिए देशभर में इस दिन उनके जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन हनुमान जी की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। प्रधानाचार्य सुधा आर्य ने बताया कि जिस समय लक्ष्मण रण भूमि में मूर्छित हो गए, उनके प्राणों की रक्षा के लिए हनुमान जी पूरा पहाड़ उठा लाए, क्योंकि वह संजीवनी बूटी नहीं पहचानते थे। हनुमान जी यहां हमें सिखाते हैं कि मनुष्य को शंका स्वरूप नहीं, वरन समाधान स्वरूप होना चाहिए।

शक्ति का दो अलग-अलग तरीके से प्रयोग करना हनुमान जी से सीखें

स्कूल के मैनेजर राकेश सैनी ने विद्यार्थियों से कहा कि हम अक्सर अपनी शक्ति और ज्ञान का प्रदर्शन करते रहते हैं, कई बार तो वहां भी जहां उसकी आवश्यकता भी नहीं होती। हनुमान चालीसा में लिखा है,
‘सूक्ष्म रूप धरी सियंहि दिखावा,
विकट रूप धरी लंक जरावा।’
सीता के सामने उन्होंने खुद को लघु रूप में रखा, क्योंकि यहां वह पुत्र की भूमिका में थे, परन्तु संहारक के रूप में वह राक्षसों के लिए काल बन गए। एक ही स्थान पर अपनी शक्ति का दो अलग-अलग तरीके से प्रयोग करना हनुमान जी से सीखा जा सकता है।कार्यक्रम के उपरांत सभी को प्रसाद वितरण किया गया। इस मौके पर चिराग छाबड़ा, आशुतोष, प्रवीन, रामदरस, मनजीत, ज्योति शर्मा, सोनिया, अंजलि, शीना, चंचल, स्वीटी, राजू बांगा, सुरेंद्र नैन मुख्य रूप से मौजूद रहे।