- गुरु पूर्णिमा- ज्ञान का पुनर्स्मरण
Aaj Samaj (आज समाज),Gurudev Shri Shri Ravi Shankar, पानीपत : गुरु पूर्णिमा का उत्सव जीवन में ज्ञान की भूमिका का आकलन करने के लिए मनाया जाता है। हमारा जीवन ज्ञान से कितना पूर्ण है और इसका कितना अभाव है, हमने जीवन में ज्ञान को कहां ग्रहण किया है और कहां नहीं, इसका आकलन करना ही गुरु पूर्णिमा को मनाना है। ऐसा करने से आपको जो ज्ञात होता है, उससे भयभीत नहीं होना है । हममें से कुछ लोगों को ऐसा लग सकता है कि हम ज्ञान के साथ जीने में असफल रहे, लेकिन सच तो यह है कि असफलता जैसा कुछ है ही नहीं। प्रत्येक असफलता सफलता की ओर एक कदम है और सफलता एक अवधारणा से अधिक कुछ नहीं है। जब आप विशाल दृष्टिकोण अपनाते हैं तो पाते हैं कि जिसे आप सफलता मानते हैं, जीवन उससे कहीं अधिक है। जब आप किसी सफलता से खुश हो जाते हैं, तो आप पहले ही खुद को सीमित कर चुके होते हैं।
गुरु वह है जो हर तरह की झंझट से बाहर है
जीवन कभी-कभी बहुत जटिल प्रतीत होता है। इसमें सुख है, दुःख है, प्रसन्नता है, कष्ट है, उदारता है, लोभ है, राग है, वैराग्य है। जब जीवन ऐसे विपरीत मूल्यों से भरा होता है, तो हमारा मन कभी-कभी इन जटिलताओं को संभालने में असमर्थ हो जाता है और बिखर जाता है। ऐसे कठिन समय में आपका मार्गदर्शन करने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है। गुरु ही वह ज्ञान है। आपने देखा होगा कि जब आप स्वयं किसी विपत्ति में उलझे नहीं होते हैं तो आप दूसरों को अच्छी सलाह दे सकते हैं लेकिन जब आप ख़ुद मुसीबत में होते हैं तो यह संभव नहीं हो पाता। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब आप हलचल से बाहर होते हैं तभी ज्ञान का उदय होता है। गुरु वह है जो हर तरह की झंझट से बाहर है। वह अराजकता के बीच रहकर अराजकता को देखने की क्षमता रखता है।
गुरु एक परिपथ वियोजक (सर्किट-ब्रेकर) की तरह
गुरु एक परिपथ वियोजक (सर्किट-ब्रेकर) की तरह है। जब आप जीवन को संभाल नहीं पाते हैं, तो आपका गुरु आता है और आपको बचाता है ताकि आप स्वस्थ और संतुलित रहें। यदि कोई बलशाली इच्छा है जो आपको परेशान कर रही है, तो आपका गुरु सांत्वना देने के लिए उपस्थित है। गुरु के साथ होने का अर्थ है प्रत्येक क्षण विश्राम का अनुभव करना और मुस्कुराना, आत्मविश्वास के साथ चलना, निडर होना और दूरदर्शी होना। और यही ज्ञान है।
जो कुछ भी आपको मिला है उसके लिए आभारी महसूस करें
गुरु आपके अंदर एक तत्व, एक गुण के रूप में विद्यमान है। यह किसी शरीर या आकार तक सीमित नहीं है। आपके मना करने या विद्रोही होने के बावजूद गुरु आपके जीवन में आते हैं। गुरु सिद्धांत जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। प्रत्येक मनुष्य में गुरु का अंश अवश्य होता है। प्रत्येक के ह्रदय में उस ज्ञान को जगाना है। इस तत्व के जागृत होने पर जीवन से दुख दूर हो जाते हैं। जब हमारी चेतना में गुरु तत्व जीवंत होता है तो जीवन में ज्ञान का उदय होता है। जब हमारी अपनी कोई इच्छा नहीं होती, तब हमारे जीवन में गुरु तत्व का उदय होता है। जागें और देखें कि हमारा जीवन हर पल बदल रहा है और जो कुछ भी आपको मिला है उसके लिए आभारी महसूस करें।