क्‍वारंटाइन हो गए मिर्जा गालिब, शायरी-किस्‍सों और पत्रों से मिलवाया

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Panipat News/Ghalib a quarantine play staged in Piet
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  • पाइट में गालिब एक क्‍वारंटाइन नाटक का हुआ मंचन, कोविड में रचा गालिब नाटक, उसी में रम गया
आज समाज डिजिटल, पानीपत :
पानीपत (समालखा) । हजारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले। बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले। निकलना खुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन बहुत बे आबरू होकर तेरे कुचे से हम निकले। गालिब की अमर गजलों, किस्‍सों और उनके पत्रों से सरोबार नाटक गालिब के मंचन ने संस्‍कृति के हजारों रंग बिखेर दिए। हुआ यह कि लेखन की कल्‍पना से गालिब क्‍वारंटाइन हो गए। गालिब एक बंद कमरे में अपने जिंदगी के किस्‍सों से रूबरू कराते रहे। चलो थियेटर महोत्‍सव में चौथे दिन रास कला मंच की ओर से पाइट कॉलेज में नाटक का मंचन हुआ।

पर्चे पर तो किराने के सामान की सूची थी

गालिब के एक किस्‍से पर खूब ठहाके लगे। गालिब ने जोक साहब पर टिप्‍पणी कर दी थी। जोक साहब ने इसकी शिकायत बहादुरशाह जफर से कर दी। जफर ने गालिब को तलब किया। तब गालिब ने कहा कि उन्‍होंने तो गजल की एक लाइन को पूरा किया है। जफर ने उनसे पूरी गजल सुनाने को कहा। गालिब ने अपनी जेब से एक कागज निकाला और गजल सुना दी। दरअसल, उन्‍होंने कोई गजल नहीं लिखी थी। वह तो जफर से बचने के लिए उन्‍होंने नई गजल ही बना दी। इसी बीच, उनके एक शार्गिद ने उनसे वो पर्चा मांग लिया। उस पर्चे पर तो किराने के सामान की सूची थी। किस्‍सों के बीच उनकी संतान के देहांत को भी दिखाया गया। तब उन्‍होंने फरमाया, कोई उम्मीद बर नहीं आती। कोई सूरत नज़र नहीं आती। मौत का एक दिन मुअय्यन है, नींद क्‍यूं रात भर नहीं आती। आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हंसी। अब किसी बात पर नहीं आती। नाटक का शुभारंभ रास कला मंच के निदेशक रवि मोहन, पाइट के चेयरमैन हरिओम तायल, वाइस चेयरमैन राकेश तायल, बोर्ड सदस्‍य शुभम तायल, हाली पानीपत ट्रस्‍ट के महासचिव एडवोकेट राममोहन राय, डीन डॉ.बीबी शर्मा ने दीप प्रज्‍वलन के साथ किया।

निर्देशक अभिषेक भारती ने थियेटर में की है पीएचडी

जिस शायर की गजल कोठे पे तयावफ और सड़क पर फकीर गाए, वो शायर कभी नहीं मरता। इन्‍हीं लाइनों के साथ गालिब नाटक का समापन हुआ। उस्‍ताद बिस्मिल्‍ला खां युवा पुरस्‍कार से सम्‍मानित अभिषेक भारती ने इस नाटक का निर्देशन किया है। उन्‍होंने थियेटर में पीएचडी की है। मिर्जा गालिब की भूमिका बलविंद्र सिंह ने निभाई। अनु ठाकुर ने बेगम, शोभना शर्मा ने तवायफ, विशाल ने फकीर की भूमिका निभाई। रोहित वर्मा इस नाटक के लेखक हैं। नटराज नाटय कुंज की टीम  ने इसकी प्रस्‍तुति दी। भारत सरकार के संस्‍कृति मंत्रालय, हरियाणा कला परिषद व गीता सरोवर पोर्टिको का सहयोग रहा।