Panipat News : एसडी पीजी कॉलेज में राज्य स्तरीय सात दिवसीय ‘पानीपत महोत्सव तृतीय पुस्तक मेला’ का चौथा दिन

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Fourth day of seven day state level 'Panipat Mahotsav Third Book Fair' at SD PG College

(Panipat News) पानीपत। एसडी पीजी कॉलेज में राज्य स्तरीय सात दिवसीय ‘पानीपत महोत्सव – तृतीय पुस्तक मेला’ के चौथे दिन बतौर मुख्य अतिथि अरुण भार्गव डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर पानीपत ने शिरकत की। बतौर मुख्य वक्ता शेरे कश्मीर विश्वविद्यालय जम्मू से पधारे कृषि विषय में स्कोलर विकल्प ने कार्यक्रम में शिरकत की। उनके साथ प्रदीप कल्याण एग्जीक्यूटिव इंजीनियर म्युनिसिपल कार्पोरेशन और एनके जिंदल पूर्व कार्पोरेशन इंजिनियर ने कार्यक्रम की शोभा बढाई। म्युनिसिपल कार्पोरेशन से मंजीत राठी, अजय छोकर, दीपक और जिला निर्वाचन कार्यालय से हितेश ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया। मेहमानों का स्वागत प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा, डॉ संगीता गुप्ता, डॉ संतोष कुमारी और डॉ राकेश गर्ग ने शाल, पौधा रोपित गमले और पुस्तकें भेंट करके किया। चौथे दिन का थीम ‘प्रदुषण मुक्त हो शहर हमारा’ रहा। कार्यक्रम में व्यवस्था और अनुशासन का जिम्मा राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों और अधिकारियों ने संभाला।

विकल्प मुख्य वक्ता ने कहा कि थिएटर, लोकप्रिय मीडिया आदि पर्यावरण बचाने और संजोने का सबसे बड़ा हथियार है

मुख्य वक्ता विकल्प और अध्यापिका कुसुम लता द्वारा गाये गए गीत और रागिनी को सभी ने सराहा ख़ास तौर पर विकल्प द्वारा पठित कविता ‘शोर इन परिंदों ने मचाया होगा’ की प्रस्तुति बहुत मार्मिक रही। दूसरी तरफ पुस्तक मेले में देशभर से आये 40 से अधिक प्रकाशकों ने हज़ारों की संख्या में अपनी पुस्तकों को प्रदर्शित किया जिसे लेकर छात्र-छात्राओं, प्राध्यापकों और आगुन्तकों में उत्साह नज़र आया। अरुण भार्गव डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर पानीपत ने कहा कि जब तक हम साहित्यिक रूप से खुद को विकसित नहीं करेंगे तब तक आर्थिक रूप से विकसित होने का कोई अर्थ न होगा। विकल्प मुख्य वक्ता ने कहा कि थिएटर, लोकप्रिय मीडिया आदि पर्यावरण बचाने और संजोने का सबसे बड़ा हथियार है। हमें ऐसी भाषा और जुबान में आमजन से संवाद करना होगा जिसे वे समझते है और जो उन्हें पसंद हो। एनके जिंदल ने कहा कि पानीपत की हवा, पानी और मिट्टी सभी आज बुरी अवस्था में है और इसको बचाने का कार्य केवल सरकार या एमसी नहीं कर सकता जब तक इस अभियान से लोग खुद को न जोड़े। डॉ अनुपम अरोड़ा ने कहा कि हमें अपने चारों ओर के वातावरण को संरक्षित करने का तथा उसे जीवन के अनुकूल बनाए रखने का प्रयास निरंतर करना होगा।