Former Chief Minister and Leader of Opposition Bhupinder Singh Hooda :अनाज मंडियों का दौरा करने पहुंचे भूपेंद्र सिंह हुड्डा, किसान – मजदूर व आढ़तियों से की मुलाकात

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Panipat News/Former Chief Minister and Leader of Opposition Bhupinder Singh Hooda
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  • कहा- पोर्टल के नाम पर पंगू बनी सारी व्यवस्था, मंडियों में नहीं हो रही सुचारू खरीद
  • टूटा दाना, छोटा दाना, नमी व लस्टर लॉस में किसानों को और छूट दे सरकार- हुड्डा
  • बेहद धीमी रफ्तार से चल रही है गिरदावरी, मुआवजे के इंतजार में बैठे किसान- हुड्डा
  • सरकार ने पूरा नहीं किया लेट पेमेंट पर ब्याज देने का वादा, किसान व आढ़तियों का करोड़ों रुपया बकाया- हुड्डा

 

 

आज समाज डिजिटल, पानीपत :

 

पानीपत :  पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आज समालखा अनाज मंडी और पानीपत अनाज मंडी का दौरा किया। उन्होंने मंडी में किसान, मजदूर और आढ़तियों से बात की व गेहूं और सरसों की खरीद का जायजा लिया। हुड्डा ने मंडी में सरकारी खरीद नहीं होने पर नाराजगी जाहिर की और अधिकारियों को सुचारू रूप से खरीद करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बीजेपी-जेजेपी सरकार के इसी ढुलमुल रवैये के चलते पहले किसान की सरसों पिटी। किसानों को एमएसपी से 500-1000 रुपए कम रेट पर अपनी फसल बेचनी पड़ी। अब यहीं हाल गेहूं का हो रहा है। नमी और डिस्कलर का बहाना बनाकर सरकार खरीद करने से इंकार कर रही है। पहले से मौसम की मार झेल रहे किसानों को और परेशान किया जा रहा है।

 

 

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17 लाख एकड़ से ज्यादा फसल खराबे की शिकायत की है

पिछले दिनों हुई बारिश के चलते किसानों ने 17 लाख एकड़ से ज्यादा फसल खराबे की शिकायत की है। लेकिन अब तक सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी मुश्किल से 10% फसल की ही गिरदावरी कर पाई है। गेहूं की कटाई शुरू हो चुकी है, ऐसे में कब गिरदावरी पूरी होगी और कब किसानों को मुआवजा मिलेगा। किसानों का कहना है कि सरकार के दबाव के चलते अधिकारी गिरदावरी में कम से कम खराबा दिखा रहे हैं, ताकि किसानों को कम मुआवजे में टरकाया जा सके। कांग्रेस की मांग है कि किसानों के नुकसान को देखते हुए 25,000 से लेकर 50,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए और एमएसपी पर भी 500 रुपये बोनस दिया जाए, ताकि किसान को कुछ राहत मिल सके।

नमी में किसानों का नहीं मौसम का दोष

उन्होंने यह भी कहा कि इस बार किसानों को फूटे दाने, छोटे दाने, नमी और लस्टर लॉस की लिमिट में भरपूर छूट दी जाए। क्योंकि, इस बार मौसम की भयंकर मार के चलते 9% से 15% तक गेहूं का दाना फूटा हुआ है। लेकिन सरकार सिर्फ 6% तक ही खरीद कर रही है। इसी तरह 4% से 8% तक दाना डिस्कलर है लेकिन खरीद सिर्फ 2% से नीचे की हो रही है। सरकार को समझना चाहिए लस्टर लॉस और नमी में किसानों का नहीं मौसम का दोष है।

 

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भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हैफेड और एफसीआई के एमडी से भी बात की

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हैफेड और एफसीआई के एमडी से भी बात की और उन्हें जल्द से जल्द खरीद के लिए कहा। हुड्डा ने कहा कि मंडियों में खरीद का काम व ‘मेरी फसल, मेरा ब्योरा’ पोर्टल कई दिन से बंद पड़ा है। हर फसली सीजन में जरुरत के वक्त पोर्टल काम करना बंद कर देता है। पोर्टल के नाम पर सरकार ने पूरी व्यवस्था को पंगू बना दिया है। जबकि, कांग्रेस कार्यकाल में बिना पोर्टल की झंझट के किसानों की फसल खरीदी जाती थी। प्रदेश में फिर से कांग्रेस सरकार बनने पर दोबारा ऐसी व्यवस्था स्थापित की जाएगी जिससे किसानों को ना फसल बेचने में देरी हो और ना ही उसके भुगतान में।

किसानों के साथ आढ़तियों ने भी अपनी समस्याएं रखीं

हुड्डा के सामने किसानों के साथ आढ़तियों ने भी अपनी समस्याएं रखीं। उन्होंने बताया कि सरकार ने एक दुकान एक लाइसेंस नीति लागू की है। जबकि एक दुकान पर एक से ज्यादा पार्टनर या परिवार के एक से ज्यादा सदस्य काम करते हैं। इतना ही नहीं, मार्केट कमेटी की के अलावा अब मंडी में टैक्स वसूली का कार्य सिवरेज पानी  देने के नाम पर नगर निगम द्वारा किया जा रहा है। इससे मंडी में काम करना महंगा पड़ रहा है। इससे व्यापारी पर दुगुना भार पड़ रहा है।

सरकार को समय रहते ही व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना चाहिए था

इस बार आढ़त को भी 53 रुपये से घटाकर 46 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। कोरोना काल में सरकार ने लेट पेमेंट पर ब्याज के साथ भुगतान का वादा किया गया था। आज तक भी आढ़तियों के करोड़ों रुपये की पेमेंट नहीं हुई है। इसी तरह सरकार ने लेट पेमेंट पर किसानों को ब्याज देने का वादा किया था। उसका भी सरकार ने भुगतान नहीं किया। हुड्डा ने कहा सरकार को समय रहते ही व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना चाहिए था, ताकि मंडी में आने वाले किसानों को किसी तरह की परेशानी ना हो। फसल की आवक को देखते हुए सरकार को मंडियों में बारदाना, लेबर से लेकर उतराई, बिजली-पानी और साफ-सफाई की पुख्ता व्यवस्था करनी चाहिए।

 

 

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