Foot and Mouth Disease : पशुओं को गलघोंटू व मुंह-खुर रोग से बचाने के लिए 2 लाख 37 हजार पशुओं को लगेगी वैक्सीन

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Panipat News/Foot and Mouth Disease 
Panipat News/Foot and Mouth Disease 
Aaj Samaj (आज समाज),Foot and Mouth Disease,पानीपत:जिले में दुधारू पशुओं को गलघोंटू व मुंह-खुर जैसी खतरनाक बीमारियों से बचाने को लेकर पशुपालन विभाग द्वारा वैक्सीनेशन अभियान चलाया जाएगा। विभाग के पास सभी 2 लाख 37 हजार दुधारू पशुओं के लिए वैक्सीन डोज मुख्यालय से पहुंच चुकी हैं। पशुओं को गलघोंटू और मुंह-खुर की बीमारी से बचाने के लिए पशुपालन विभाग द्वारा साल में दो बार वैक्सीनेशन अभियान चलाया जाता है। इनमें गर्भवती गाय व भैंस को छोडक़र अन्य सभी पशुओं को वैक्सीन लगाई जाती है। पशुपालन विभाग की ओर से डॉ. अशोक लोहान ने बताया कि अभियान को शुरू करने के लिए विभाग ने तैयारी पुरी कर ली है। यह अभियान जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा। विभाग की टीमें गांव-गांव पहुंचकर पशुओं को वैक्सीन लगाएंगी। इसके लिए जिले में 26 टीमों का गठन किया गया है। वेटरनरी सर्जन व वीएलडीए डॉ. को टीमों का प्रमुख बनाया गया है। यह वैक्सीन चार महीने से अधिक आयु वाले पशुओं को ही लगाई जाएंगी।
  • विभाग के पास पहुंची सभी पशुओं के लिए वैक्सीनेशन डोज
  • घर-घर जाकर किया जाएगा पशुओं का वैक्सीनेशन: डॉ. अशोक लोहान

यह होते हैं गलघोंटू बीमारी के लक्षण

डॉ. अशोक लोहान ने बताया कि गलघोंटू एक संक्रामक बीमारी है और इस बीमारी के प्रारंभिक  चरण में पशु को अचानक अत्यंत तेज बुखार हो जाता है। इसके बाद सांस लेने में दिक्कत और अंतिम चरण में खून में जीवाणु की अधिकता हो जाती है, जिससे पशु की मौत हो जाती है। तीव्र रूप में यह बीमारी अचानक होती है, जिससे पशु की मृत्यु 24 घंटों के भीतर ही हो जाती है। पशु को सांस लेने में कठिनाई होना, गले में घुड़-घुड़ की आवाज आना, मुंह से लार गिरना, नाक से बलगम आना और आंखों से पानी आना भी इस रोग के मुख्य लक्षण हैं। इसके साथ-साथ रोग से गले, गर्दन और जीभ में भी सूजन आ जाती है। पशु खाना-पीना बंद कर देता है।

बीमारी से रोकथाम के उपाय

डॉ. अशोक लोहान ने बताया कि पशुपालकों को वैक्सीनेशन अभियान के दौरान पशुओं को वैक्सीन अवश्य लगवानी चाहिए। बीमार पशु को अन्य पशुओं से दूर रखना चाहिए क्योंकि यह एक संक्रामक बीमारी है जो अन्य पशुओं में संक्रमण द्वारा फैल सकती है। जिस जगह पर पशु की मौत हुई हो वहां कीटनाशक दवाईयों का छिडक़ाव अवश्य किया जाना चाहिए। उन्होंने पशुपालकों से आह्वान करते हुए कहा कि पशुओं को बांधने वाले स्थान पर स्वच्छता का ध्यान अवश्य करें तथा रोग की संभावना होने पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें।