आईबी पीजी कॉलेज में विस्तार व्याख्यान का आयोजन

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Panipat News/Extension lecture organized in IB PG College
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आज समाज डिजिटल, पानीपत :
पानीपत। जीटी रोड स्थित आईबी पीजी कॉलेज में राजनीतिक विभाग और मार्केटिंग विभाग के संयुक्त तत्वावधान में एक विस्तार व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान का विषय शहीदे आजम भगत सिंह : विचारधारा और आज के युग की प्रासंगिकता रहा। इस अवसर का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना के साथ किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अजय कुमार गर्ग ने कहा कि भगत सिंह की शहादत से न केवल अपने देश के स्वतंत्रता संघर्ष को गति मिली बल्कि नव युवकों के लिए भी है प्रेरणास्रोत बन गए। भारत और पाकिस्तान की जनता उन्हें आजादी के दीवाने के रूप में देखती है जिन्होंने अपनी सारी जिंदगी देश के लिए समर्पित कर दी। उनके जीवन पर आधारित हिंदी फिल्में भी बनी है जिसमें द लीजेंड ऑफ भगत सिंह, शहीद भगत सिंह आदि उनके बलिदान को बड़ी गंभीरता व सम्मान से याद करता है। इसी के तहत हमने उनकी जिंदगी पर एक विस्तार व्याख्यान का आयोजन किया, ताकि हमारे महाविद्यालय के विद्यार्थियों को शहीद भगत सिंह के बारे में सारी जानकारी मिल सके और उनसे प्रेरणा ले सकें।

भगत सिंह सभी नौजवानों के लिए यूथ आइकन थे

इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. रामजी लाल ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के सबसे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद भगत सिंह भारत देश की महान विभूति है। मात्र 23 साल की उम्र में उन्होंने अपने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की आजादी की लड़ाई के समय भगत सिंह सभी नौजवानों के लिए यूथ आइकन थे, जो उन्हें  देश के लिए आगे आने को प्रोत्साहित करते थे। भगत सिंह सिख परिवार में जन्मे थे। बचपन से ही उन्होंने अपने आसपास अंग्रेजों को भारतीयों पर अत्याचार करते देखा था जिससे कम उम्र में ही देश के लिए कुछ कर गुजरने की बात उनके मन में बैठ चुकी थी।

भगत सिंह का पूरा जीवन संघर्ष से भरा रहा

उनका सोचना था कि देश की नौजवान देश की काया पलट सकते हैं, इसलिए उन्हें सभी नौजवानों को एक नई दिशा दिखाने की कोशिश की। भगत सिंह का पूरा जीवन संघर्ष से भरा रहा और उनके जीवन से आज के नौजवान भी प्रेरणा ग्रहण करते हैं। इस अवसर पर राजनीतिक विभागाध्यक्षा डॉ किरण मदान ने कहा कि भगत सिंह ने देश की आजादी के लिए जिस साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुकाबला किया वह युवाओं के लिए हमेशा ही एक बहुत बड़ा आदर्श बना रहेगा।

मरने के बाद भी अपना सब कुछ देश के नाम कर दिया

भगत सिंह को हिंदी, पंजाबी, उर्दू तथा अंग्रेजी के अलावा बांग्ला भी आती थी जो उन्हें बटुकेश्वर दत्त से सीखी थी। जेल के दिनों में उनके लिखे खतों का लेखों से उनके विचारों का अंदाजा लगता है। उन्होंने भारतीय समाज में भाषा, जाति और धर्म के कारण आई दूरियों पर दुख व्यक्त किया था। इस अवसर पर मार्केटिंग विभागाध्यक्षा डॉ पूनम मदान ने कहा कि भगत सिंह ने जीते जी और मरने के बाद भी अपना सब कुछ देश के नाम कर दिया। उनकी जीवनी पढ़ते समय लोगों में जोश का उत्पन्न होना, उनके साहस के चरण को दर्शाता है। भगत सिंह के बलिदान और त्याग को पहचान कर हमें उनसे सीख लेते हुए देश की प्रगति में योगदान देना चाहिए।

आजादी हेतु अहिंसा का नहीं बल्कि ताकत का प्रयोग करते थे

उन्होंने यह भी कहा कि शहीद भगत सिंह जी गांधीवादी विचारधारा में नहीं, बल्कि लाल बाल पाल के पद चिन्हों पर चलने में विश्वास रखते थे। उन्होंने उन लोगों से हाथ मिलाया जो आजादी हेतु अहिंसा का नहीं बल्कि ताकत का प्रयोग करते थे। इस अवसर पर मंच संचालन डॉ. पूनम मदान द्वारा किया गया। अतिथि को शॉल एवं स्मृति चिन्ह भेंट करके सम्मानित किया गया। इस अवसर के आयोजन में  प्रो. निशा एवं प्रो. राहुल ने अहम भूमिका निभाई। इस व्याख्यान में लगभग 200 विद्यार्थियों और महाविद्यालय के स्टाफ सदस्यों ने सम्मिलित होकर शहीद भगत सिंह जी के बारे में काफी ज्ञान हासिल किया। इस अवसर पर डॉ रामेश्वर दास, डॉ. सुनित  शर्मा, डॉ. जोगेश, लेफ्टिनेंट राजेश, प्रो. निधि, प्रो. माधवी, प्रो. रवि आदि मौजूद रहे।

 

 

 

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