Aaj Samaj (आज समाज),Eid-ul-Azha,पानीपत: शहर में भारी बरसात के बावजूद ईद-उल-अजहा (बकरीद) की नमाज अकीदत के साथ पढ़ी गई। नमाज के लिए शहर की ईदगाहों व मस्जिदों में भ्भारी भीड़ उमड़ी। मौसम खराब होने की वजह से कई मस्जिदों में दो से तीन बार में नमाज अदा कराई गई। नमाज के बाद देश में खुशहाली, अमन, सौहार्द व भाईचारे की दुआ की गई। नमाज के बाद जानवरों की कुर्बानी दी गई। ईद-उल-अजहा की तैयारियां चांद निकलने के बाद से शुरू हो गई थी।
- बरसात के बावजूद ईदगाहों व मस्जिदों में नमाज के लिए उमड़े लोग
- इब्राहिम अलैहिस्सलाम के दिखाए रस्ते पर चलकर मज़बूर, लाचार, परेशान लोगों की मदद करना है
सुबह से ही ईदगाहों व मस्जिदों में पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया
ईद-उल-अजहा की नमाज के लिए गुरुवार को सुबह से ही ईदगाहों व मस्जिदों में पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। माडल टाउन स्थित ईदगाह में सुबह 7:30 बजे नमाज का समय निर्धारित था। यहां छह बजे से ही लोग आना शुरू हो गए। नमाज से पहले कुर्बानी को लेकर मौलाना सादिक ने प्रशासन की हिदायतों से रूबरू कराया। नमाज के बाद खुतबा संबोधन हुआ। दुआ के बाद एक दूसरे को गले मिलकर मुबारकबाद दी गई। नमाज पढऩे के बाद सभी ने गले मिलकर एक दूसरे को बधाई दी।
बुराईयों और अंहकार की कुर्नानी जरूरी : मौलाना
मौलाना सादिक ने आज के दिन इस बकरीद पर यदि आपने किसी जानवर की कुर्बानी दी है तो आपने इब्राहिम अलैहिस्सलाम की सुन्नत को यक़ीनन जि़ंदा रखा है। लेकिन सुन्नत की अदायगी के साथ हमें इसके असली मक़सद को भी जि़ंदा करना है तभी हमारी कुर्बानी अल्लाह की बारगाह में कुबुल होगाी। हमें यह अहसास करना होगा कि जानवर की कुर्बानी तो सिफऱ् और सिफऱ् सांकेतिक है यानी सिंबौलिक है। असली कुर्बानी तो अल्लाह की राह में कीमती चीज़ों को यानी दौलत को बिना हिचकिचाहट के कुर्बान करना है जैसे इब्राहिम अलैहिस्सलाम बिना किसी हिचकिचाहट के अपनी एकलौती औलाद को कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए थे। क्योंकि हम पैगंबर नहीं हैं, हमें इब्राहिम अलैहिस्सलाम की तरह अल्लाह की राह में सबसे कीमती चीज कुर्बान करने का हुक्म नहीं दिखलाया जाएगा। हमें तो जागी हुए आंखों से मज़बूर, लाचार, परेशान लोगों को देखना है और उनकी मदद करनी है। उसे अल्लाह की राह में खर्च करने का जज़्बा पैदा करना है।
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