पानीपत। मानवता की सेवा और भलाई का कार्य करना हो तो उम्र की कोई सीमा नहीं होती। कुछ ऐसे महान लोग हैं जो नेक कार्यों के लिए जन्म जन्मांतर तक याद रखे जाते हैं। उनमें से एक हैं डॉ मनोहर लाल अरोड़ा। पानीपत मॉडल टाउन निवासी 77 वर्षीय डॉ मनोहर लाल अरोड़ा जो कि 35 वर्षों से समालखा स्थित चंडीगढ़ हॉस्पिटल समालखा में हमेशा मानवता की सेवा के लिए भरपूर योगदान देते रहे और मरण उपरांत भी उनके पार्थिव शरीर ने सेवा का कार्य करना नहीं छोड़ा। अपने घर संसार में परिवार के साथ सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे थे, जो थोड़ा अस्वस्थ हुए और प्रभु जी को प्यारे हो गए, लेकिन अपने जीवन काल में उन्होंने मनसा जाहिर की कि मेरे मरण उपरांत मेरी आंखों का दान कर देना।
निष्काम भाव से करते थे गरीब मरीजों का
उनके सुपुत्र तरुण अरोड़ा और उनके परिवार ने मिलकर निर्णय लिया और अपने पिताजी के नेत्रों का दान कर दिया। उनके दो नेत्र का दान समाज की सेवा में दो नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए बेशक वह अंतिम दृष्टि थी, लेकिन किन्ही दो अंधों के लिए वह प्रथम दृष्टि बन जाएगी। अपने जीवन काल में उनके पास अगर कोई गरीब व्यक्ति दवाई लेने आ जाता था, अगर उसके पास पैसे नहीं होते थे तो वह उनका निष्काम भाव से उनका इलाज करते थे।
जीते जी रक्तदान और जाते-जाते नेत्रदान जरूर करना चाहिए
उनकी आंखों से दुनिया देखने वाला व्यक्ति इस परिवार के लिए हमेशा दुआएं अरदास प्रार्थनाएं करते रहेंगे और दिवंगत जीवात्मा स्वर्ग में बैठकर भी खुश होगी कि उनके बच्चों ने उनकी इस भावना को पूर्ण किया एवं समाज को एक राह दिखा कर गए। डॉ मनोहर लाल अरोड़ा यह संदेश देकर गए समाज को जीते जी रक्तदान और जाते-जाते नेत्रदान जरूर करना चाहिए। इस सेवा के अंदर जन सेवा दल एवं माधव नेत्र बैंक करनाल के सेवादारों ने इस सेवा को संपूर्ण किया। प्रधान किशन मनचंदा, चमन गुलाटी, कमल गुलाटी, अनिल आर्य व उनकी धर्मपत्नी वीना आर्य ने इस सेवा के कार्य में सहयोग दिया।