किसानों के भरोसे पर खरा उतर रहा कृषि विज्ञान केंद्र ऊझा: कुलपति प्रो.बलदेव राज कम्बोज

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Panipat News/District level agriculture fair organized at Krishi Vigyan Kendra Ujha
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  • कृषि मेले में विभिन्न नामचीन कंपनियों ने प्रदर्शित की धान की नई-नई किस्में
  • प्रगतिशील किसानों को मेले में किया गया सम्मानित
  • कुलपति ने जागरूकता वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया
आज समाज डिजिटल, पानीपत :
पानीपत। कृषि विज्ञान केंद्र ऊझा के प्रांगण में गुरुवार को आयोजित किए गए जिला स्तरीय कृषि मेले में चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय एवं गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रो.बलदेव राज कम्बोज ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत कर किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र पानीपत की गिनती देश के उत्तम के.वी. के. में होती है। केंद्र के वैज्ञानिकों का किसानों तक नई-नई तकनीकों को पहुंचाने में अहम योगदान रहा है। फसल अवशेषों का अच्छी तरह से प्रबंधन कृषि वैज्ञानिकों की मेहनत को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2023-24 में लगभग 20 हजार एकड़ को प्राकृतिक खेती के तहत लाने का फैसला किया है। किसान प्राकृतिक खेती में अपनी भूमिका दर्ज करें व छोटे क्षेत्र वाले किसान प्राकृतिक खेती को जरूर अपनाये। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषण अनाज वर्ष मनाने की घोषणा की है।

 

Panipat News/District level agriculture fair organized at Krishi Vigyan Kendra Ujha
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मोटे अनाज का खान-पान में प्रचलन कम हुआ

उन्होंने बताया कि भारत बाजरे का एक प्रमुख उत्पादक है, जो एशिया के उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत और वैश्विक उत्पादन का 20 प्रतिशत हिस्सा है। यह सदियों से मध्य भारत का प्रमुख भोजन रहा है लेकिन हाल के वर्षों में मोटे अनाज का खान-पान में प्रचलन कम हुआ है। मोटे अनाज की मांग बढ़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है ताकि भारतीय मोटे अनाज (बाजरा), व्यंजनों, मूल्य वर्धित उत्पादों को विश्व स्तर पर स्वीकार किया जा सके। मेले में प्रगतिशील किसानों को भी सम्मानित किया गया। इस मौके पर कुलपति प्रो.बलदेव राज कम्बोज ने जागरूकता वैन को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। मेले में आये किसानों ने केंद्र का भ्रमण भी किया।

किसानों को जागरूक होने की आवश्यकता

मेले में विस्तार शिक्षा निदेशक बलवान सिंह मंडल ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में मार्च माह में तापमान में वृद्धि होने से गेहूं की फसल प्रभावित हुई है। इसके लिए किसानों को जागरूक होने की आवश्यकता है। इस स्थिति में फसल के अंदर हल्की सिंचाई की आवश्यकता है। उन्होंने फसल विविधीकरण अपनाने पर बल दिया। कृषि मेले में केंद्र के वरिष्ठ संयोजक डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि केंद्र वर्ष 1994 से फसल अवशेष प्रबंधन, फसल विविधीकरण, पोषण प्रबंधन पर कार्य करता आ रहा है। फसल अवशेष प्रबंधन में बासमती धान की छोटी अवधि की किस्मों का उल्लेखनीय योगदान है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे सरसों के खेत में ग्रीष्मकालीन मूंग की बिजाई करें और इसका लाभ लें।

 

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अनेक कृषि योजनाओं को किसानों के सामने रखा

कृषि मेले में कृषि उप निदेशक डॉ. वजीर ने कहा कि जल जैसे बहुमूल्य उपहार को सोच विचार कर इस्तेमाल करना चाहिये। सरकार ने मेरा पानी, मेरी विरासत योजना प्रारंभ की है जिसके तहत किसान धान की फसल को छोड़कर बाजरा, ज्वार, मूंग व कपास की खेती कर सकते हैं। उन्होंने इस मौके पर किसानों के लिए प्रारंभ की गई अनेक कृषि योजनाओं को किसानों के सामने रखा। मेले में जिले के बड़ी संख्या में किसानों को सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वाले किसानों में महिला हरमीत कौर, महक के अलावा किसान सतेंद्र सिंह, संदीप रावल, नन्ही, जयपाल, राकेश, जोगिंद्र, विकास, प्रमोद, रितिक रावल, राजपाल रावल, शिवराज, गुरूलाल, मनिषा, बलवीर सिंह, प्रीतम सिंह,सुशील शर्मा,रणजीत,महल सिंह, जयपाल आदि के नाम प्रमुख हैं।

मेले में प्रमुख कंपनियों ने अपने बेहतरीन उत्पादों का प्रदर्शन किया

मेले में प्रमुख कंपनियों ने अपने बेहतरीन उत्पादों का प्रदर्शन किया। इनमें धान की प्रमुख किस्मों में पीबी 1847, पी बी 1885, पीबी 1886, पीबी 1692, पीबी 1718 के अलावा कई और किस्में थी। मेले में कृषि रसायन व नई मशीनरी को भी प्रदर्शित किया गया। इस मौके पर विभिन्न संबंधित विभागों के विभागाध्यक्षों  के अलावा केवीके के कृषि वैज्ञानिक डॉ. सतपाल, डॉ. राजेंद्र, सुनील, कुलदीप, माहित, डॉ. सीमस दहिया,डॉ.आशीष ने भी किसानों के साथ अपने अनुभव साझा किये। मेले में पहुंचे किसानों ने फसल अवशेष प्रबंधन, प्राकृतिक खेती व अन्न उत्पादन और खपत विषय पर नई-नई जानकारी हासिल की।