इस बार गीता स्थली ज्योतिसर से चुलकाना तक होगी वार्षिक यात्रा
आज समाज डिजिटल, पानीपत :
पानीपत। इस बार चुलकाना धाम यात्रा गीता स्थली ज्योतिसर से चुलकाना तक होगी। शुक्रवार को वार्षिक यात्रा चुलकाना धाम का उद्घाटन गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने किया। महाराज ने कहा आगामी फागुन महीने में खाटू श्याम जी की वार्षिक यात्रा 2 मार्च को होगी। उन्होंने कहा कि पानीपत क्षेत्र वृंदावन ट्रस्ट के बैनर तले हजारों श्याम भगत पिछले कई वर्षों से जा रहे हैं। उसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए यात्रा में अधिक से अधिक श्याम प्रेमी जुड़े। महाराज श्री श्याम ध्वजा यात्रा की आज घोषित की गई वट वृक्ष की मिट्टी का तिलक चुलकाना धाम यात्रा के निशान तीन बाण को और संस्था के अध्यक्ष राकेश बंसल और उनकी टीम के सभी साथियों को वट वृक्ष की मिट्टी से तिलक किया। इस अवसर पर उन्होंने दोनों पेड़ो के इतिहास को भी बतलाया, वृंदावन ट्रस्ट की ओर से इस अवसर पर गाड़ियों का काफिला पानीपत से ब्रह्मसरोवर ज्योतिसर गया। औद्योगिक, धार्मिक, सामाजिक क्षेत्र के महत्वपूर्ण लोगों ने शिरकत की। आयोजित करने वाली 11 संस्थाओं ने अपने बैनर के साथ यात्रा का आगाज किया। 29,25 सेक्टर इंडस्ट्री एरिया एसोसिएशन के प्रमुख उद्योगपतियों ने शिरकत की।
ये रहे मौजूद
इस कार्यक्रम में अपनी सहभागिता सुनिश्चित की। पानीपत के विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने खुशी जाहिर की। पानीपत में इतने बड़े स्तर पर पैदल यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। वृंदावन ट्रस्ट से विकास गोयल, राकेश बंसल, हरीश बंसल, पुनीत गर्ग, बलदेव गांधी, जोगिंदर कुंडू, प्रिंस जैन, गौरव बंसल, सुनील रावल, विशाल गुप्ता,
चुलकाना मित्र मंडल राहुल कंसल, संदीप तायल, शिवम कुमार। श्री श्याम लाल लाडला परिवार से बलवान शर्मा, राजेश शर्मा, संजय गोयल, संदीप शर्मा, अनिल शर्मा, कृपा सांवरे की परिवार से पंकज जैन, अक्षय जिंदल, पुनीत मित्तल, दीपक जैन, अजय जांगड़ा, मोरवी नंदन सेवा मंडल संजय सिंगला, कमल गोयल, शुभम गोयल, प्रवीण सिंगला, मां शाकुंभरी देवी मंडल से महेंद्र, पानीपत एसोसिएशन से सरदार प्रीतम, धनराज, भीम राणा, नवीन बंसल, भगवान बंसल, प्रताप, गौशाला के प्रधान हरिओम तायल मौजूद रहे।
कलयुग में जो खाटू श्याम की पूजा करेगा उनकी मनोकामनाएं पूरी होंगी
श्याम बाबा मंदिर को लोग महाभारत काल से जोड़कर देखते हैं। इसकी मान्यता पांडव पुत्र भीम के पौत्र बर्बरीक से जुड़ी है। कथा के अनुसार वीर बर्बरी ने अपनी माता से महाभारत युद्ध देखने की इच्छा जाहिर की थी। कौरव के 100 और पांडव के पांच यौद्धाओं के बीच युद्ध से उसकी मां को लगता था कि पांडव हार जाएंगे। उसने बर्बरी को आशीर्वाद दिया था कि बेटा जो हारे उसी का साथ देना। भगवान कृष्ण को यह उसकी वीरता और मां के आशीर्वाद का पता था। उसने ब्राह्मण वेश में उनसे शीश मांग लिया तो उसने उसे दान कर दिया। कहा जाता है कि बर्बरी का शीश चुलकाना में है, जहां समाधि बनी है। उस समय से बर्बरी को शीश का दानी कहा जाता है। कृष्ण ने उन्हें वर दिया था कि कलयुग में जो खाटू श्याम की पूजा करेगा उनकी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
दो वृक्षों का इतिहास
पौराणिक मान्यता है कि कुरुक्षेत्र, हरियाणा के ज्योतिसर तीर्थ स्थित बरगद के पेड़ के नीचे भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था। इस लिहाज से इसे देश का सबसे उम्रदराज वृक्ष भी माना
यह वटवृक्ष श्रीमद्भगवद्गीता की उत्पत्ति का साक्षी है। ऐसी भी मान्यता है कि यहां पर ज्योतिसर नाम का जो तालाब है, उस तालाब में सभी देवता प्रकट हुए थे और उन्होंने भगवान के विराट स्वरूप के दर्शन किए थे। यह अक्षय वट और सरोवर श्रीमदभगवद गीता के साक्षात साक्षी हैं।
हर बार कुछ नया
वृंदावन ट्रस्ट पानीपत हर बार कुछ नया सृजनात्मक सोचता है और उसको अंजाम भी देता है। वृंदावन ट्रस्ट के संरक्षक विकास गोयल ने कहा कि वृंदावन ट्रस्ट हर बार कुछ नया सोचता है और उसको करके भी दिखाता है। इसी श्रृंखला में वृंदावन ट्रस्ट ने इस बार हरियाणा प्रदेश के दो वृक्षों के बीच में यात्रा निकालने का निर्णय लिया है। यह वृक्ष हरियाणा में महाभारत के प्राचीन इतिहास के साक्षी हैं। दोनों ही वृक्ष महाभारत की कथा से जुड़े हैं।