अनुरेखा लांबरा
पानीपत। ‘अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में पानी’।
कवि मैथिलीशरण गुप्त की इन पंक्तियों से मुक्त होकर आज नारी हर क्षेत्र में अपने कदम रखकर ये साबित कर रही हैं कि ‘सबला जीवन आज तुम्हारी यही कहानी आंचल में है दूध, इरादों की ठानी’। जीवन की कंटीली पगडंडियों पर अपने रास्ते बनाती नारी कभी किसी समस्या से घबराती नहीं है। इरादे मजबूत कर ले तो पीछे हटती नहीं है। लाख संकट सामने हों फिर भी कभी लड़खड़ाती नहीं है। भूमिका चाहे फिर एक मां की हो या पत्नी या बहन की.. हर रूप में उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं…हर तरह का संघर्ष कर समाज के लिए आदर्श प्रस्तुत कर रही हैं ऐसी सशक्त महिलाएं। ऐसे ही पानीपत की एक बेटी ने घर परिवार को थामते हुए, जॉब के साथ अपने पैशन के लिए इरादों को मजबूत किया और समाज में अपनी भूमिका से सबको हतप्रभ कर दिया है।
राइजिंग इंडिया वूमेन अचीवर अवार्ड 2023 से सम्मानित
जी हां, आज महिला दिवस पर ऐसी सशक्त महिला शख्सियत से आपको रूबरू कराते हैं, जिसने जिंदगी की हर जंग को अपने बलबूते जीता है। लिहाजा विपरीत हालातों में भी वह आशावादी और सकारात्मक सोच से जिंदगी जीने में विश्वास रखती हैं। सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल सिर्फ कंप्यूटर की दुनिया ही नहीं मॉडलिंग में भी रूतबा बना सकते हैं। यह साबित कर दिखाया है पानीपत की बेटी छवि धीमान ने। छवि बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल है। पानीपत शहर लिए ये गर्व की बात है कि छवि को अभी एक मार्च को महिला दिवस के उपलक्ष्य में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, दिल्ली में आयोजित राइजिंग इंडिया वूमेन अचीवर अवार्ड 2023 से सम्मानित किया गया। इसके लिए देश भर से विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी 21 महिलाओं का चयन हुआ, जिनमें पानीपत की बेटी छवि धीमान भी शामिल हैं। इसके साथ ही छवि को साड़ी में ई कॉमर्स का एक फोटो शूट करने का भी मौका मिला।
मिसेज बेस्ट वॉक का उप खिताब
छवि ने हाल ही में दिसंबर 2022 में थाईलैंड के पटाया में आयोजित नेशनल पेजेंट मिसेज इंडिया माई आइडेंटिटी 2022 के ग्रैंड फिनाले में मिसेज बेस्ट वॉक का उप खिताब जीता। छवि धीमान ने बताया कि पटाया में भारतीय महिलाओं के लिए प्रतियोगिता आयोजित की गई थी, उसमें उन्होंने भी रैंप वॉक के लिए आवेदन किया और उनका इस प्रतियोगिता के लिए चयन हो गया। हजारों आवेदनों और एक संपूर्ण स्क्रीनिंग प्रक्रिया से देश भर से 35 फाइनलिस्ट चुने गए। उन्होंने प्रतियोगिता में प्रस्तुति दी और बेस्ट वॉक का खिताब अपने नाम कर लिया।
एक सशक्त और सुलझी हुई महिला हैं छवि
छवि धीमान के व्यक्तित्व में एक सशक्त और सुलझी हुई महिला की छवि साफ झलकती है। गौरतलब है छवि की इंस्पायरिंग स्टोरी से बड़े बड़े फोरम्स में भी छवि को बतौर मुख्यवक्ता, वूमेन पैनलिस्ट आमंत्रित किया जा रहा है। छवि की मां कुसुम धीमान पानीपत में आर्ट ऑफ लिविंग की स्टेट कोऑर्डिनेटर हैं और साथ ही हैप्पीनेस प्रोग्राम और सहज समाधि ध्यान की टीचर भी हैं, जिन्हें छवि अपनी प्रेरणा स्त्रोत मानती हैं।
जोखिम लेने से डरना नहीं चाहिए
छवि ने बताया कि जजों ने सुंदरता पर सवाल पूछा था तब उन्होंने जवाब दिया कि आंतरिक सुंदरता बाहरी सुंदरता जितनी ही महत्वपूर्ण है। रंग के आधार पर किसी से भेदभाव नहीं होना चाहिए। जूरी में डॉ दिव्या पाटीदार जोशी, मिसेज यूनिवर्स सेंट्रल एशिया 2021, कविता मोहरकर मिसेज यूनिवर्स साउथ पैसिफिक एशिया, गायक और अभिनेता ईशान साहनी, बॉलीवुड अभिनेता व मॉडल सनी सचदेवा शामिल थे। छवि का कहना है कि हमें अपने सपनों के प्रति काम करना चाहिए, अपनी मानसिक बाधाओं को तोड़ना चाहिए। और जोखिम लेने से डरना नहीं चाहिए। खुद पर विश्वास रखें तो सब कुछ संभव है। खुद पर विश्वास रखें तो कुछ भी संभव है। इस प्रतियोगिता ने उनके विश्वास को बदल दिया है और अपने आप में आत्मीयता और गौरव बढ़ा दिया है।
कुछ अलग और बड़ा करने का जुनून
छवि ने पानीपत के सेंट्रल स्कूल से 12वीं पास की। एसडी कॉलेज से बीसीए की। छवि आईटी सेक्टर में जाना चाहती थी तो अपने सपने को साकार करने के लिए एमसीए की। उनका एक 14 साल का बेटा आहान है, जो कक्षा 10वीं का छात्र है। छवि के अंदर जॉब के साथ साथ कुछ अलग और बड़ा करने का जुनून भी है, जिसके चलते, घर, जॉब सब संभालते हुए छवि न केवल एक सफल जिंदगी जी रही है, बल्कि हजारों महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनी है। उनका आत्मबल उन्हें हर राह पर आगे ले जा रहा है।
महिलाओं के लिए संदेश
छवि का महिला दिवस पर तमाम महिलाओं के लिए यही संदेश है कि समाज में उपेक्षित भाव से देखी जाने वाली नारी चाहरदीवारी में कैद होकर सबकी चाकरी करने वाली समझी जाती है। अलबत्ता मां-बहू के रुप में कठिन परिक्षाओं से गुजरती हर कदम पर तानों, व्यंग्य बाणों और अत्याचारों को सहन करती है। इन्हीं जंजीरों में बंधी नारी अपने लिए कोई निर्णय ले ही नहीं पाती। अकसर देखने में आता है कि पुरुष प्रधान समाज में स्त्री की राय की कोई कीमत नहीं। अपनी अभिलाषाओं का गला घोटना उसे बखूबी आता है, लेकिन अब समय ने करवट बदली और बहुत सी महिलाओं ने अपने को संवारा है। आज नारी बदलती विचारधारा की मजबूत चट्टान है। उसे समाज का, परिवार का, किसी के व्यंग्य बाणों का कोई भय नहीं है। उसे फर्क ही नहीं पड़ता कि लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं। नौकरी, घर परिवार को संभालते ऐसी महिलाएं दोहरी भूमिका निभाने के कारण देश के लिए अभिमान करने वाली बन जाती है। उन्होंने आह्वान किया कि जिंदगी की लड़ाई खुद चुने, खुद लड़े, अपनी शक्ति को पहचाने। आप एक शक्ति हो जो सब कुछ संभाल सकती हो।