आज समाज डिजिटल, पानीपत :
पानीपत। सावन कृपाल रूहानी मिशन (कृपाल आश्रम पानीपत) के मीडिया प्रभारी चमन गुलाटी ने बताया कि सावन कृपाल रूहानी मिशन के प्रमुख संत राजिन्दर सिंह जी महाराज की अध्यक्षता में दर्शन एजूकेशन फाउंडेशन का रजत जयंती समारोह का कार्यक्रम नई दिल्ली स्थित तालकटोरा स्टेडियम में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। यह शिक्षा संस्थान पूरे विश्वभर में पिछले 25 वर्षों से प्रेम, एकता, शांति और बच्चों के चहुमुखी विकास के लिए प्रयासरत है।
कार्यक्रम की शुरूआत में परम पूजनीय संत राजिन्दर सिंह जी महाराज, पूजनीय माता रीटा, डेनमार्क के राजदूत फ्रेडी स्वाने, भूतपूर्व केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन, त्रिनाद और टोबेको रिपब्लिक के मुख्य अधिकारी रोज़र गोपोल और नोर्थ इस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी शिलोंग के वाईस चांसलर प्रोफेसर प्रभा शंकर शुक्ला और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। दर्शन एकेडमी के बच्चों द्वारा इन सभी का फूलों के गुलदस्ते देकर स्वागत किया गया।
पिछले कुछ सालों में ध्यान-अभ्यास के प्रति लोगों का रूझान बढ़ा
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने अपने विचार रखते हुए कहा कि हम परम संत कृपाल सिंह जी महाराज और दयाल पुरुष संत दर्शन सिंह जी महाराज के द्वारा बहुत सालों से ध्यान-अभ्यास के बारे में परिचित हैं। शिक्षा के द्वारा हम अपनी संस्कृति और अन्य कई चीजें सीखते है और सिर्फ बाहरी तौर पर ही रह जाते हैं। दर्शन एकेडमी में पहला पिरीयड ध्यान-अभ्यास पर रखा गया है ताकि बच्चे नैतिक गुणों को सीखें, उन्हें अपने जीवन में धारण करते हुए यह जानें कि अलग-अलग धर्म, संस्कृति और बाहरी तौर-तरीकों के होते हुए भी हम एक आत्मा हैं जोकि पिता-परमेश्वर की अंश है। इसके साथ-साथ हम यह भी अनुभव करेंगे कि हम सब आपस में एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, जिससे कि हमारे आपसी मनमुटाव खत्म होंगे।
अनुभव करें कि हम एक आत्मा हैं ताकि पूरे विश्व में शांति की स्थापना हो सके
उन्होंने आगे कहा कि पिता-परमेश्वर इस सृष्टि को चलाने वाले हैं और पिछले कुछ सालों में ध्यान-अभ्यास के प्रति लोगों का रूझान बढ़ा है। जिस तरह हम अपने शरीर को छूकर महसूस कर सकते हैं, ठीक उसी तरह ध्यान-अभ्यास के द्वारा हम अपनी आत्मा का भी अनुभव कर सकते हैं। आज के समय में हम सभी जागृति की बात करते हैं। दर्शन एकेडमी के द्वारा इस पर ज़ोर दिया जाता है कि हम ध्यान-अभ्यास के द्वारा हम यह अनुभव करें कि हम एक आत्मा हैं ताकि पूरे विश्व में शांति की स्थापना हो सके।
शिक्षा में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को जोड़ दिया जाए तो परिणाम और भी बेहतर होंगे
भूतपूर्व केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा.हर्षवर्धन ने अपने विचार रखते हुए कहा कि यह शिक्षा संस्थान न केवल भारत बल्कि पूरे विश्वभर में शांति और एकता के लिए कार्य कर रहा है। संत राजिन्दर सिंह जी महाराज न केवल इस शिक्षा संस्थान के ज़रिये लोगों का मार्गदर्शन कर रहे हैं बल्कि वे आध्यात्मिक तौर पर भी पूरे विश्वभर में सभी को ध्यान-अभ्यास की तकनीक सिखा रहे हैं। बाहरी शिक्षा हमें सिर्फ एक डिग्री देती है लेकिन इस शिक्षा में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को जोड़ दिया जाए तो परिणाम और भी बेहतर और आश्चर्यजनक हो सकते हैं।
फाउंडेशन के इतिहास में एक यादगार दिन के रूप में मनाया
यह दिन दर्शन एजूकेशन फाउंडेशन के इतिहास में एक यादगार दिन के रूप में मनाया गया, जिसमें विश्वभर में स्थित दर्शन एकेडमी के प्रिंसिपल, विद्यार्थी, शिक्षक और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने उपस्थित होकर भाग लिया। पिछले 25 वर्षों से इस शिक्षा संस्थान द्वारा जिसमें शिक्षा के साथ-साथ आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी बच्चों का विकास किया जाता है ताकि वो अपने जीवन में नैतिक गुणों का धारण कर एक सच्चे इंसान बन सकें। दर्शन एजूकेशन फाउंडेशन के संस्थापक चैयरमेन संत राजिन्दर सिंह जी महाराज के अनुसार यदि हम विश्व स्तर पर सही मायनों में अपनी शिक्षा व्यवस्था में आध्यात्मिक शिक्षा को लाना चाहते हैं तो उसमें कम से कम 25 सालों का समय लगता है। तभी हम अपने हृदयों में दूसरों के प्रति दया और प्रेम के भाव को पनपने देंगे। हमारा यह प्रयास एक ऐसे युग का निर्माण करेगा जिसमें लोग अपने लिए कुछ जमा न करने की अपेक्षा एक-दूसरे की मदद करने की कोशिश करेंगे।
सेमिनार का आयोजन
इस मौके पर “25 साल स्पार्कलिंग सोल्स स्प्रेडिंग पीस” विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें डेनमार्क के राजदूत फ्रेडी स्वाने, भूतपूर्व केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन, त्रिनाद और टोबेको रिपब्लिक के मुख्य अधिकारी माननीय रोज़र गोपोल और नोर्थ इस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी शिलोंग के वाईस चांसलर प्रोफेसर प्रभा शंकर शुक्ला ने शिक्षा, विश्व शांति, भाईचारे और आत्मिक शांति जैसे विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर “मैथ ऑफ शेयरिंग पुस्तक और स्मारिका-2022 का संत राजिन्दर सिंह जी महाराज द्वारा विमोचन किया गया।
शिक्षा के साथ-साथ नैतिक और आध्यात्मिक शिक्षा भी जरूरी
आज की इस दौड़ती भागती ज़िंदगी में बच्चों को एक ऐसे शिक्षा संस्थान की जरूरत है जहाँ वे बाहरी शिक्षा के साथ-साथ नैतिक और आध्यात्मिक शिक्षा भी ग्रहण कर सकें ताकि वे विश्वभर में शांति की स्थापना में अपना योगदान दे सकें। दर्शन एजूकेशन फाउंडेशन के द्वारा “पढ़ेंगे तो बढ़ेंगे” कार्यक्रम के अंतर्गत गरीब व बेसहारा बच्चों को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है, ताकि वे भी दूसरों बच्चों की तुलना में आत्म-निर्भर बन सकें। इस शिक्षा संस्थान की एक और कार्यक्रम “टीच पीस, रीच पीस” के अंतर्गत बच्चों को न केवल बाहरी शांति बल्कि आंतरिक शांति के बारे में भी जानकारी देकर उसका अनुभव भी कराया जाता है, जिससे कि हमारे चारों ओर शांति फैल सके।
23 दर्शन एकेडमियों के विभिन्न छात्रों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया
सावन कृपाल रूहानी मिशन (कृपाल आश्रम पानीपत) के मीडिया प्रभारी चमन गुलाटी ने बताया कि एक अन्य कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों को विभिन्न भाषाओं का पढ़ाया जाता है ताकि वे एक-दूसरे की संस्कृति और विचारों को समझ सकें, जिससे कि एकता की भावना को बढ़ावा मिल सके। कार्यक्रम में 23 दर्शन एकेडमियों के विभिन्न छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया गया। दर्शन एजूकेशन फाउंडेशन की स्थापना सुप्रसिद्ध सूफी शायर संत दर्शन सिंह के नाम पर सन् 1995 में की गई थी, जो आज उच्च स्तर और नैतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा के लिए पूरे विश्वभर में जाना जाता है।
फाउंडेशन ने छात्रों को जीवन के हर क्षेत्र में शिक्षा प्रदान की है
पिछले 25 वर्षों में दर्शन एजूकेशन फाउंडेशन ने छात्रों को जीवन के हर क्षेत्र में शिक्षा प्रदान की है, जिसका आधार आध्यात्मिकता है। आज पूरे भारत में 23 दर्शन एकेडमियों के अलावा कोलंबिया, दक्षिण अमेरिका में भी दर्शन एजूकेशन फाउंडेशन शिक्षा प्रदान कर रहा है। आज जहाँ पूरे विश्व में छात्रों को सिर्फ शारीरिक शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, कला, सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों में ही शिक्षा देकर उनकी नींव को मजबूत किया जाता है लेकिन आज दर्शन एकेडमी को जिस करके पूरे विश्व में एक अलग पहचान मिली है, वह है छात्रों के आध्यात्मिक विकास पर ध्यान देना। यह शिक्षा संस्थान संत राजिन्दर सिंह जी महाराज के मार्गदर्शन में पूरे संसार में उन्नति कर रहा है।