Aaj Samaj (आज समाज) पानीपत: सनातन शास्त्रों में प्राय अस्थि विसर्जन की व्याख्या मिलती है। ईश्वर द्वारा प्राप्त आयु की पूंजी पूर्ण कर लेने के जीव के पास केवल अस्थि मज्जा रह जाती है, जिसका वजन प्राप्त जन्म के समय जितना ही होता है अस्थियों को गंगा जी के श्री चरणों में विधि विधान से विसर्जन करने एक गूढ़ रहस्य है। अस्थियों की मजबूती कैल्शियम के कारण होती है। गंगा का पावन जल दूर तक खेत खलियान में जाता है। वह कैल्शियम का प्रभाव जल के माध्यम से फलीभूत होता है। अस्थियां विसर्जन के बाद के सभी क्रिया संस्कारों की पूर्ति वह शुद्धता मानी जाती है। धर्म शांति हेतु परिवारिक विधि का विधान है।
गंगा के जल को अति पावन कल्याणकारी व मोक्ष दायक माना गया है
पतित पावनी गंगा जी में विसर्जन से ही वैज्ञानिक धार्मिक संस्कारित महत्व माना गया है। गंगा के जल को अति पावन कल्याणकारी व मोक्ष दायक माना गया है। सनातन संस्कृत में गंगा ही मोक्ष दायिनी है। गंगा तट पर कुल पुरोहित द्वारा वैदिक सनातन मंत्रों के आह्वान पूजन से विसर्जन पुरोहित के विधिवत मंत्र उच्चारण से ही दिवंगत जीव को मोक्ष व पीछे घर परिवार के संबंधियों को सुख शांति का पूर्वाभास होने लगता है। इसे हम लोग धर्म शांति की संज्ञा देते हैं। कुल पुरोहित अस्थि विसर्जन की पूजा में पिंडदान कर आते हैं और दिवंगत प्राणी को परिवार के पुरुषों में समाहित होने का विश्वास दिलाते हैं, जिसे जीव मोक्ष गति को स्वीकृत प्रदान की जाती है।
29 तारीख को 2 बस हरिद्वार के लिए कुल विसर्जन के लिए जाएंगे
इसलिए जन सेवा दल इनके फूलों को हरिद्वार विसर्जित करता है। इसमें दशहरे कमेटी से श्री भीम सचदेवा, सुभाष गुलाटी, सनातन धर्म से श्री युधिष्ठिर शर्मा, लेखराज जताना सभी ने मिलकर इनके बारे में चर्चा सचिव चमन गुलाटी ने सभी से प्रार्थना कर रहा है। जन सेवा दल आप भी इन्हें अपने अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए कल देवी मंदिर में पहुंचे वह भी किसी परिवार के पिता माता बहन भाई बच्चे हैं। 29 तारीख को 2 बस हरिद्वार के लिए कुल विसर्जन के लिए जाएंगे। प्रधान किशन मनचंदा, राजकुमार मनोचा कपिल ग्रोवर, अशोक मिगलानी, अशोक कपूर, सुभाष, यस बंगा, सुभाष बटला, राकेश गांधी और कपिल मल्होत्रा, राजू कथूरिया, लाजपत मल्होत्रा, नारायण कपूर आदि मौजूद रहे।