आज समाज डिजिटल, पानीपत :
पानीपत। गुरुवार को श्री कृष्ण कृपा जीओ गीता सेवा समिति पानीपत की ओर से आयोजित 5 दिवसीय दिव्य गीता ज्ञान सत्संग के दूसरे दिवस पर कार्यक्रम का आरम्भ ज्योत प्रज्वलित व गीता जी का पूजन मुख्य यजमान चन्दर शेखर शर्मा, विजय जैन समिति प्रधान सुरेश अरोड़ा व मुख्य अतिथियों ललित जावा मुकेश मदान, वेद मक्कड़, रमेश माटा द्वारा किया गया। शहर के प्रमुख पूर्व मेयर भूपेन्द्र सिंह, मेघराज, कृष्ण छोकर, इन्दु कुकरेजा, अरूण बब्बर, राधे श्याम, विकी कत्याल, राजेश चौधरी डिस्ट्रिक्ट ऑटरनी, राकेश शर्मा इंस्पेक्टर, ने महाराज श्री का आशीर्वाद प्राप्त किया। बहन कान्ता देवी महाराज प्रेम मंदिर का आशीर्वाद भी सबको मिला।
11वें अध्याय के स्तुति श्लोकों से कार्यक्रम का आरम्भ हुआ
सुरेश शर्मा महासचिव, श्री कृष्ण कृपा जीओ गीता सेवा समिति पानीपत ने बताया कि गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के मुखारविंद से गीता जी के 11वें अध्याय के स्तुति श्लोकों से कार्यक्रम का आरम्भ हुआ। गीता के प्रथम अध्याय में अर्जुन की मनोदशा का वर्णन है जैसे डॉक्टर रोगी की बिमारी का इतिहास जानना चाहते हैं, ऐसे ही इस अध्याय में भगवान ने अर्जुन की मनोदशा को जाना। सिर्फ अर्जुन की नब्ज ही नहीं टटोली, समय की परिस्थति को भी देखा। प्रभु तो सब जानने वाले हैं भूत वर्तमान भविष्य के ज्ञाता हैं जो भी उस समय की स्थिति थी गीता के गीत द्वारा उसका समाधान अर्जुन को समझाया। पुराणों में कथा में लीलाओं का वर्णन होता है।
मूल समस्या का हल करती है गीता
भगवद् गीता मन की स्थितियों को देख उसके समाधान का ग्रंथ है। मूल समस्या का हल करती है गीता। भगवान ने अर्जुन को जो शोक ग्रस्त था, जब निराश हो कर कहाकि प्रभु मैं आप की शरण में हूं आप का शिष्य हूँ जो भी उचित मार्ग हो मुझे वो ज्ञान दें। मुझे विषाद से उभारे। जब तक जीव अपने अहम् में रहता है प्रभु उद्धार नहीं करते, जब निराश हो कर जीव प्रभु को पुकारता है कि मेरी रक्षा करो आप का ही सहारा है तब प्रभु अवश्य पुकार सुनते हैं। इस अवसर पर श्री कृष्ण कृपा जीओ गीता सेवा समिति के सभी सदस्य उपस्थित रहे।