- टीबी हारेगा-देश जीतेगा कार्यक्रम के तहत लोगों को करें जागरूक: जी अनुपमा
आज समाज डिजिटल, पानीपत :
पानीपत। स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव जी अनुपमा ने वीरवार को प्रदेश के सभी उपायुक्तों व सिविल सर्जनों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से टी.बी. रोग को लेकर समीक्षा बैठक की। उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि टी.बी. नियंत्रण को लेकर टी.बी. हारेगा-देश जीतेगा कार्यक्रम के तहत कार्य करें। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी स्थानीय तौर पर आईएमए व निजी चिकित्सकों का सहयोग लेकर आम जनता को टी.बी. के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूक करें। उन्होंने कहा कि टी.बी. रोग विश्व के लिए एक अभिशाप है। यह एक संक्रामक रोग है। इसलिए टी.बी. का एक रोगी 10 से 15 व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है।
रोग का 2025 तक पूरी तरह से उन्मूलन करने का लक्ष्य रखा है
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति पर काबू पाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आजादी के अमृत महोत्सव के तहत इस रोग का 2025 तक पूरी तरह से उन्मूलन करने का लक्ष्य रखा है। यह कार्य निजी चिकित्सकों व अन्य स्वयंसेवियों तथा सामाजिक संगठनो के सहयोग से ही सम्पन्न हो सकता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा टी.बी. का नि:शुल्क ईलाज किया जाता है। इस उपरान्त जिला उपायुक्त सुशील सारवान ने अतिरिक्त मुख्य सचिव को आश्वस्त करते हुए कहा कि जिला में पहले भी टी.बी. को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न माध्यमों से जागरूकता अभियान शुरु किया हुआ है। इसे अब और गति दी जाएगी। इस अवसर पर सीएमओ जयंत आहूजा सहित अन्य सम्बंधित अधिकारी तथा कर्मचारी मौजूद रहे।
ये लक्षण दिखाई दे तो अवश्य कराएं जांच: डीसी
डीसी सुशील सारवान ने आमंजन से अपील की है कि 2 सप्ताह से ज्यादा खांसी, रात के समय में बुखार आना, बलगम में खून आना, वजन का कम होना व रात को सोते समय पसीना आना आदि लक्षण दिखाई देने पर तुरंत नजदीकी जांच केंद्र में अपनी टीबी की जांच करवानी चाहिए। उन्होंने बताया कि टीबी पाए जाने पर मरीज को सरकार द्वारा मुफ्त दवाइयां उपलब्ध करवाइ जाती है। अधिसूचित रोगी का जब तक उपचार चलता है, तब तक प्रतिमाह 500 रुपए वित्तीय सहायता प्रोत्साहन राशि निक्षय पोषण योजना के तहत सीधे मरीज के खाते में भेजी जाती है। समय-समय पर चलाए जाने वाले एक्टिव केस फाइंडिंग कार्यक्रम में स्लम एरिया, हाई रिस्क एरिया और पहले से संभावित क्षेत्रों में टीबी के संदिग्ध मरीजों की जांच की जाती है। एक्टिव केस फाइंडिंग कार्यक्रम के तहत प्रत्येक गांव में आशा वर्कर द्वारा टीबी के संभावित मरीजों के नमूने लिए जाते है।
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