आप प्रत्याशी भरत सिंह छौक्कर ने मैदान छोड़ दिया आजाद उम्मीदवार को समर्थन

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Panipat News/AAP candidate Bharat Singh Choukkar left the field to support the independent candidate
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आज समाज डिजिटल, Panipat News :
पानीपत। जिले के समालखा कस्बे में नगर निकाय चुनावों में बड़ा फेरबदल हुआ। आम आदमी पार्टी के चेयरमैन पद के उम्मीदवार भरत सिंह छौक्कर ने मतदान के बीच ही मैदान छोड़ दिया। साथ ही अपना समर्थन चेयरमैन पद के लिए मैदान में उतरे आजाद उम्मीदवार संजय बेनीवाल को दे दिया। सूत्रों के मुताबिक आम आदमी पार्टी ने भी त्वरित एक्शन लेते हुए भरत सिंह छौक्कर को पार्टी विरोध गतिविधियों में संलिप्त बताते हुए तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया है।

 

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अपनी बेइज्जती नहीं करवाना चाहते

उन्होंने कहा कि मतदान के दौरान उन्हें अपनी हार साफ तौर पर दिख रही थी और वह इस हलके के विधायक रह चुके हैं, वह अब इन चुनावों में हार कर अपनी बेइज्जती नहीं करवाना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी उनका सहयोग नहीं किया। सुबह से ही पार्टी के बूथ पर कोई कार्यकर्ता नहीं आया। दोपहर 12 बजे तक उन्होंने खुद सभी बूथों पर जिम्मेदारी संभाली। मगर इसके बाद भी उन्हें अपने पक्ष में वोटिंग होती नजर नहीं आई। इस कारण उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी संजय बेनीवाल को समर्थन दिया। भरत सिंह छौक्कर ने कहा कि एक लगभग सभी पार्टियों में रह चुके हैं।

2 जून 2022 को ही आम आदमी पार्टी जॉइन की थी

सारी बातों को ध्यान में रख कर ही आम आदमी पार्टी जॉइन की है। अब पार्टी में ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि मगर मैंने पार्टी के साथ अच्छा नहीं किया, मैंने धोखा दिया है। मुझे रखने और निकालने का फैसला पार्टी लेगी। गौरतलब है कि छोक्कर ने 2 जून 2022 को ही आम आदमी पार्टी जॉइन की थी। इसी शाम पार्टी ने उनकी टिकट फाइनल की थी। छौक्कर ने बताया कि उन्होंने चुनाव में नाम वापस लेने के बारे में पार्टी हाईकमान को भी बता दिया है। हालांकि वे लगातार इसका कारण पूछते हुए चुनाव में डटे रहने के ही बारे में कह रहे हैं। मगर चुनाव में दिखती हार को स्वीकार नहीं कर पाने की वजह से उन्होंने ये फैसला लिया है।

 

 

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छोक्कर का राजनीतिक सफर

वर्ष 1996 में बसपा से राजनीति की शुरुआत करने वाले भरत सिंह छौक्कर ने बाद में कांग्रेस का झंडा उठा लिया। भूपेंद्र हुड्डा की बदौलत 2005 में टिकट मिला और चुनाव भी जीत गए। अगला चुनाव आते-आते उनके नंबर कट गए। 2009 में कांग्रेस ने संजय छोक्कर को टिकट दे दिया। इस बात से वह नाराज हो गए। उन्होंने पार्टी छोड़ दी। समालखा से तब की हरियाणा जनहित कांग्रेस यानी हजकां की टिकट पर चुनाव लड़े धर्म सिंह छौक्कर का समर्थन कर दिया। धर्म सिंह छोक्कर जीत भी गए। इस दौरान भरत सिंह हजकां के अध्यक्ष कुलदीप बिश्नोई से भी मिले।
हजकां को छोड़ कर इन्होंने राजकुमार सैनी का समर्थन कर दिया
कुछ समय बाद इनका हजकां से भी मोह भंग हो गया। हजकां को छोड़ कर इन्होंने राजकुमार सैनी का समर्थन कर दिया। राजकुमार सैनी भाजपा छोड़कर अपनी पार्टी बना चुके थे। पर देखा कि राजकुमार सैनी के साथ रहने का फायदा नहीं है, तब उन्होंने पिछले चुनाव में भाजपा का दाम थामा। हालांकि इससे पहले भी वह भाजपा में रह चुके थे। इस बार उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें टिकट देगी, पर ऐसा नहीं हुआ। फिर भी पार्टी में बने रहे। इसके बाद किसान आंदोलन का तर्क देते हुए भाजपा को अलविदा बोल दिया है।