खरखौदा। सरकारी अस्पताल की एसएमओ व स्टाफ नर्स के तबादलें की मांग को लेकर धरने पर बैठे चिकित्सकों के साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों का स्वास्थ्य विभाग ने 15 दिन का वेतन रोक दिया है। अगर आगे भी हड़ताल पर रहेंगे तो उन दिनों का भी वेतन रोक दिया जाएगा। इस मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है। जो दोषी मिलेंगे उन पर कारवाई की जाएगी। कई डॉक्टरों व अन्य स्टाफ पर भी गाज गिर सकती है। कई स्वाथ्य कर्मियों को नोटिस दे दिया गया है। इतना ही नहीं पीएचसी को छोड़कर एसडीसीएच आकर धरना देने वाले स्टाफ को भी नोटिस जारी किया गया है। सोनीपत सिविल सर्जन डा. जयकिशोर का कहना है कि उनकी तरफ से इसके अलावा भी कई स्वास्थ्य कर्मियों की जांच करके उनपर एक्शन लेने ले लिए अपनी रिपोर्ट तैयार कर मुख्यालय भेज दी गई है। खरखौदा के उपमंडल स्तरीय सिविल अस्पताल के चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों ने 16 जुलाई को एसएमओ डा. आशा सहरावत व स्टाफ नर्स राजेश पर बेवजह परेशान करने, ड्यूटी बदलने, रात्रि को ड्यूटी लगाकर मेंन पावर का मिस यूज करने सहित कई आरोप लगाते हुए धरना शुरू कर दिया था, जो अभी भी जारी है। इस धरने में खरखौदा के सरकारी अस्पताल के साथ ही इससे जुड़ी पीएचसी के चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी भी शामिल हैं। धरना देने वालों को खुद सिविल सर्जन मनाने के लिए पहुंचे थे, एसएमओ की मांग मानने के बाद भी एसएमओ नहीं माने थे। इसके साथ साथ उन पर ही चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों ने धमकाने और उनकी बात नहीं सुनने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की थी। सीएमओ का कहना है कि अब स्वास्थ्य विभाग की तरफ से धरना देने वाले सभी चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों का 15 दिनों का वेतन रोका दिया गया है।
नो वर्क नो पे नियम के तहत हड़ताल के दिनों का वेतन हड़ताल करने वालों को नही मिलेगी। उनका बजट रोक दिया गया है। सिविल सर्जन डा. जयकिशोर का कहना है कि इस कार्रवाई के साथ ही पीएचसी से आकर अस्पताल में धरना देने वाले स्टाफ को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। वहीं इसके अलावा आला अधिकारियों को मामले की रिपोर्ट भेजी गई है।
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