Panipat News : एसडी पीजी कॉलेज में राज्य स्तरीय सात दिवसीय ‘पानीपत महोत्सव तृतीय पुस्तक मेला’ का तीसरा दिन 

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Third day of seven day state level 'Panipat Mahotsav Third Book Fair' at SD PG College
(Panipat News) पानीपत। एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में राज्य स्तरीय सात दिवसीय ‘पानीपत महोत्सव – तृतीय पुस्तक मेला’ के तीसरे दिन बतौर मुख्य अतिथि पीके दास अध्यक्ष राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण हरियाणा ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ वीरेंद्र कुमार दहिया आई.ए.एस. उपायुक्त पानीपत ने की। उनके साथ इंडियन आयल के डीजीएमसी सुरेश कुमार, जिला शिक्षा अधिकारी राकेश बूरा और हरीओम तायल चेयरमैन पाईट समालखा ने कार्यक्रम की शोभा बढाई। मेहमानों का स्वागत कॉलेज प्रधान दिनेश गोयल और प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने पौधे रोपित गमलें भेंट करके किया। तीसरे दिन का थीम ‘प्रदुषण मुक्त हो शहर हमारा’ और ‘प्राकृतिक सुन्दरता को सुरक्षित बनाएं, भविष्य को उज्जवल बनाएं’ रहा। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई और इसके बाद पीएमसी स्कूल मॉडल टाउन पानीपत की छात्राओं ने हरियाणवी नृत्य और ‘आएगा-आएगा नया ज़माना जरुर’ गीत पेश कर सभी का मन मोह लिया। तीसरे दिन भी पुस्तक मेले किताबें देखने और खरीदने वालों की भीड़ बनी रही। पुस्तक मेले के प्रथम दिन ही लगभग 3 लाख रुपए की पुस्तकों की बिक्री हुई।
यह पुस्तक मेला प्रतिदिन सुबह 10 बजे से सायं 7 बजे तक जारी रहेगा जिसमे पानीपत के प्रत्येक नागरिक का पधारने पर स्वागत है। मंच संचालन डॉ संगीता गुप्ता और जन सम्पर्क अधिकारी राजीव रंजन ने किया। कॉलेज एनएसएस ने मेहमानों के स्वागत और अनुशासन की व्यवस्था संभाली।पीके दास अध्यक्ष राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण हरियाणा ने सर्वप्रथम सभी को रक्षाबंधन की बधाई दी। उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन पर हमें सुरक्षा का वचन लेने की बजाये विशेष सम्बन्ध बनाने पर जोर देना चाहिए। मानव जीवन का उद्देश्य पैसा कमाना नहीं होना चाहिए बल्कि इंसान को साहित्यिक, बौद्धिक और सांस्कृतिक तौर पर खुद को समृद्ध करना होना चाहिए। विशिष्ट अतिथि डॉ वीरेंद्र कुमार दहिया उपायुक्त पानीपत ने कहा कि ज्ञान से ही किसी मनुष्य के असल स्वभाव और चरित्र का पता चलता है। ज्ञान से ही हमारा स्तर बनता है। मुंशी प्रेमचंद, विलियम शेक्सपियर आदि का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अच्छे लेखकों को पढ़ने से हमारा बौद्धिक और भावनात्मक विकास होता है। डॉ अनुपम अरोड़ा ने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों का उद्देश्य छात्र-छात्राओं और समाज में प्रतिद्वन्दता के भावों को बढ़ाना नहीं बल्कि सभी के समग्र  विकास और भागीदारी को सुनिश्चित करना है।