पंचकूला (आज समाज): पंचकूला के एथलीट गगन सिंह बेहद गरीब परिवार से आते हैं। वह सेना में भर्ती होना चाहते थे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। गगन ने नेशनल इंटर स्टेट सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिपन में ब्रांज मेडल जीतकर शहर और परिवार का नाम रोशन किया है। गरीब परिवार के बेटे ने नेशनल इंटर स्टेट सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिपन में ब्रांज मेडल जीतकर शहर औ परिवार का नाम रोशन किया है। पंचकूला के सेक्टर-1 खड़क मंगोली निवासी गगन सिंह ने पांच किलोमीटर की दौड़ 14 मिनट 5 सेकंड में पूरी कर यह उपलब्धि हासिल की है। वहीं अगर गगन यह दौड़ एक मिनट पहले पूरी कर लेते तो वह पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर जाते। लेकिन वह वही एक मिनट के अंतर से पेरिस ओलंपिक में क्वालीफाई करने से चूक गए। गगन सिंह बेहद गरीब परिवार से हैं। उनके पिता जूस की रेहड़ी लगाते हैं। गगन ने ताऊ देवीलाल स्टेडियम में आयोजित 63वें नेशनल इंटर स्टेट सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप की पांच किलोमीटर दौड़ में कांस्य पदक जीता।
गगन का कहना है कि वह परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए सेना मे भर्ती होना चाहते थे। इसके लिए ताऊ देवीलाल स्टेडियम मे दौड़ लगाते थे। वहां कोच जितेंद्र बांगड़ ने उनका पिंजौर के सीनियर सेकेंडरी स्कूल मे एडमिशन करवाया। कोच की वजह से उन्होंने 2018 स्कूल नेशनल गेम्स में तीन किलोमीटर मे सिल्वर मेडल जीता और 800 मीटर मे ब्रांज मेडल जीता। इसके बाद पुणे में आयोजित खेलो इंडिया गेम्स मे 800 मीटर की दौड़ मे ब्रांज मेडल जीता। यूथ एशियन गेम्स के लिए छत्तीसगढ़ मे उनका चयन हुआ था। इसके बाद वह हांगकांग खेलने गए थे।
घरवालों ने उत्साहवर्धन किया
गगन सिंह ने बताया कि उनका परिवार चाहता था कि वे सेना मे भर्ती होकर घर की आर्थिक स्थिति ठीक करे। जब खेल मे अच्छा करने लगे तो घरवालों ने कहा कि एक साल और खेल ले। जब साल दर साल खेल अच्छा होता गया तो घर वालों ने उत्साहवर्धन किया और खेल मे कॅरियर बनाने दिया। परिवार सेक्टर-1 के खड़क मंगोली मे रहता है। वहां का माहौल देखकर परिजनो ने कभी वहां नहीं रहने दिया। गगन सिंह का कहना है कि वर्तमान मे खड़क मंगोली मे मम्मी और पापा रहते हैं। घरवालों ने भाई और बहन को भी वहां नहीं रहने दिया। वे ढाई साल से नागपुर मे ट्रेनिंग कर रहे हैं।
लोगों की मदद से नासिक में कर रहे ट्रेनिंग
गगन सिंह ने बताया कि 2016 से 2022 तक सेक्टर-3 के ताऊ देवीलाल स्टेडियम में अभ्यास किया। वर्तमान में नासिक के मीना ताई ठाकरे स्टेडियम में अभ्यास चल रहा है। हर माह रहने और ट्रेनिंग पर करीब 15 से 20 हजार रुपये खर्च आता है। कुछ घर वाले तो कुछ समाजसेवी लोग आर्थिक मदद करते हैं। कोच जितेंद्र बांगड़ ने लोगों को उनके बारे में बताकर आर्थिक मदद करवाई है। लोगों द्वारा आर्थिक मदद करने के कारण ही वह खेलों में अपना कॅरियर बना रहे हैं। ओलंपिक में भारत के लिए मेडल लेकर उनका सपना है।