- पांच दिवसीय पंचान्ह्विका महोत्सव के तीसरा दिन
- आयड़ जैन तीर्थ में अनवरत बह रही धर्म ज्ञान की गंगा
Aaj Samaj (आज समाज), Panchanvika Festival , उदयपुर 08 अक्टूबर:
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में रविवार को पांच दिवसीय पंचान्ह्विका महोत्सव के तीसरे दिन विविध आयोजन हुए ।
महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ में पांच दिवसीय महोत्सव के तहत प्रात: 9.15 बजे तीसरे दिन अठारह अभिषेक विधान का आयोजन हुआ। आदिश्व भगवान का अभिषेक सुनिता, गौरव, प्रियंशी -अभिषेक जैन ने किया, शांतिनाथ भगवान की पूजा कैलाश-विमला, प्रतीक- सुनीता, रिवान, रियाव मुर्डिया ने किया। भगवान महावीर स्वामी की पूजा पुष्पा-सुरेश, जितेन्द्र-जयश्री, निर्मल, मोनिका, मोनिका, दिविशा, लिविशा, मिशिका कोठारी ने किया। वासूपूल्य स्वामी की पूजन प्रद्योत कुमार-वनमाला,प्रशाांत-हितेशी, विक्रांत-सपना, तोषित, विहान, घनीषा, अन्वेषा महात्मा ने किया। शंखेश्वर पाश्र्वनाथ भगवान की पूजा पवन कुमार-पुनित कुमार दैरासरिया ने किया। वर्धमान स्वामी की पूजा शांता देवी, लीला देवी, ललित रेखा, कुलदीप मीनू, पलक, रक्षित नाहर ने की।
नेमिनाथ भगवान की पूजा मीना- ललित कोठारी ने की। शांतिनाथ भगवान की पूजा डॉ. रंजित सिंह, राकेश चन्द्र, युवराज रूचि वजावत ने की। अजीत नाथ भगवान की पूजा पारस देवी, कौशल्या, दिनेश, शालू मेहता ने किया। शंखेश्वर भगवान की पूजा नरेन्द्र-कांता, कुलदीप-प्रियंका, नियति, निशा-नितिन, परिधि, विधि मेहता ने किया। सुपाश्र्वनाथ भगवान की पूजा लाडजी बाई, राकेश-कला, आकाश, अपेक्षा, प्रतिष्ठा, चोरडिया ने की। अंतरिक्ष पाश्र्वनाथ जिनालय की पूजा अशोक जैन ने की। जीरावाला पाश्र्वनाथ भगवान की पूजा, मंजूला, प्रीतम, मेघा, रूद्रिका कोठारी ने किया। नाग देवता-जगत सुरिश्वर की पूजा राकेश-मंजू भाणावत, बाबूलाल-रेणू, अभिषेक-रानी पितलिया ने किया।
जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि विशेष महोत्सव के उपलक्ष्य में प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा के सान्निध्य में आदिनाथ मंदिर सहित पांचों जिनालय में अठारह अभिषेक का विधान करवाया गया।
अभिषेक यानि परमात्मा का जब जन्म होता है तब चौंसठ इन्द्र अभिषेक के लिए परमात्मा को मेरु शिखर के उपर ले जाते है और वहां असंख्य देव-देवी के साथ इन्द्र महाराज की गोद में बैठे हुए भगवान का आठ जाती के कलशों के द्वारा एक कोड और साठ लाख अभिषेक होता है। यह अभिषेक परमात्मा के लिए परमात्मा तो स्वयं निर्मल है, पवित्र है उनको जरूरत नहीं लेकिन अपने कुछ प्रमाद से जाने-अनजाने में आशालना हो गई हो तो उसकी शुद्धि जरूरी है वह शुद्धि अठारह अभिषेक से होती है- यह अभिषेक विशिष्ट द्रव्य – औषधिओं के साथ मंत्रोच्चार पूर्वक कराया जाता है। ऐसा अनुपम अभिषेक का विधान ही बहुत उल्लास मय भक्तिमय वातावरण के साथ संपन्न हुआ।
चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर पांच दिवसीय पंचान्ह्विका महोत्सव के तहत सोमवार को चौथे दिन महातपस्वी मुनिराज अनेकांत विजय का 53वां पुण्य दिवस पर विविध आयोजन होंगे। प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।
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