- विज्ञान और आधुनिक तकनीक के उपयोग से लुटमार व दंगाइयों के साथ कड़ाई से निपटे-शांता कुमार
(Palampur News) आज समाज-पालमपुर। पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शान्ता कुमार ने कहा कि संभल का दंगा पत्थराव, गोली काण्ड, आगजनी और लूटमार की गूंज अब लोकसभा में पहुंची है और दो दिन से वहां कोई काम नही हुआ। इस प्रकार के दंगे लूटमार और फिर लाखों करोड़ों रूपयों की सम्पत्ति को जलाने की घटनाएं दिन प्रतिदिन बढ़ रही है।
बहुत से लोग पकड़े गये, मुकदमें चलेंगे और अदालतों में कई वर्शो तक इन मुकदमों की गूंज गूंजती रहेगी। यह सब अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार की गंभीर समस्याओं के सम्बंध में नई तकनीक के आधार पर सरकार को नई योजना बनानी चाहिए। कोई घटना घटती है अन्दर ही अन्दर शरारती तत्व योजना बनाते रहते है। सरकार को सही और पूरी सूचना नहीं मिलती।
भीड़ इक्कठी होने लगती है। पुलिस रोकती है, टकराव होता है। भीड़ इतनी अधिक बढ़ जाती है कि कई बार पुलिस के शस्त्र छीन लेती है। पत्थराव होता है और फिर लाखों करोड़ो रूपयों की सम्पत्ति को आग लगा दी जाती है।
मेरे जैसा ऐसा समाचार पढ़ कर ही दहल जाता है तो उस स्थान के लोगों का क्या हाल होता होगा।
उन्होंने कहा कि विज्ञान और तकनीक बहुत आगे जा चुके है। ऐसे स्थान पर गैर कानूनी तरीके से भीड़ इक्कठी न होने दी जाए। जो लोग कानून का उलंघन करके आगे आयें उन पर ऐसी गोली मारी जाए। जिस से केवल कमर से नीचे इतनी चोट पहुंचे कि व्यक्ति खड़ा न हो सके। कसी के मरने की नौबत न आये, परन्तु चोट इतनी भयंकर लगे कि व्यक्ति लड़खडाता हुआ भाग जाए। ऐसी गोली जिससे न कोई मरे न वहीं खड़ा रह सके।
यदि भीड़ इक्कठी नहीं होगी तो उसके बाद आगजनी तक नौबत भी नहीं आयेगी। भीड़ का मनोविज्ञान व्यक्ति के मनोविज्ञान से अलग होता है। एक अच्छा व्यक्ति भीड़ में शामिल होकर बुरे से बुरे काम भी कर देता है।
उन्होने कहा मेरे घर के आंगन में फलदार पौधे लगे है। हर मौसम में बढ़ियां फलों का आनन्द लेता हूं। परन्तु इन फलों को बन्दरों से बचाना पड़ता है, बहुत सावधानी और चौकसी करनी पड़ती है।
एअरगन रखी है उसे देखते ही बन्दर भाग जाते है। यदि कभी निशाना ठीक लग जाए तो बन्दर लड़खड़ाते हुए भागते है और दुबारा कई दिनों तक इस तरफ देखते भी नहीं। इस की गोली से कोई मरता नहीं लेकिन चोट इतनी भयंकर लगती है कि वह कई दिन तक इस तरफ देखता भी नहीं।
संभल के सारे समाचारों को पढ़ने के बाद मेरे मन में विचार आया यदि मैं एक गन से पास के जंगल के बन्दरों से अपने फल बचा लेता हूं तो इसी प्रकार की और भी बढ़िया तकनीक से संभल जैसे दंगों में उन बन्दरों को रोका क्यों नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार के दंगें करने वाले दिन प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। लाखों करोड़ों की सम्पत्ति और निर्दोश लोगों का जीवन नष्ट हो जाता है। उन्होंने देश के गृहमंत्री महोदय से विशेष आग्रह किया है कि विज्ञान की नई तकनीक का उपयोग कर कहीं भी भीड़ इक्कठी न होनी दी जाए। यदि भीड़ इक्कठी नहीं होगी तो आगजनी तक की सारी कार्यवाही रूक जाएगी।