- सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान की टीम ने डॉ. राकेश कुमार, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक के नेतृत्व में
- सगंधित गेंदे की खेती कर रहे किसानों के खेतों का दौरा
(Palampur News) आज समाज -पालमपुर। सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (csir-ihbt) की टीम ने डॉ. राकेश कुमार, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक के नेतृत्व में कांगड़ा जिले के बैजनाथ तहसील के देओल, कंडकोसरी और लुलानी गांवों तथा पालमपुर तहसील के बला और नगरी गांवों में सगंधित गेंदे की खेती कर रहे किसानों के खेतों का दौरा किया।
इस दौरे में जन कल्याण सभा बैजनाथ के प्रधान चुनी लाल एवं अन्य सदस्य भी शामिल हुये।
सीएसआईआर अरोमा मिशन के तहत टीम ने किसानों को खेती की तकनीकों, फसल चक्र के दौरान की जाने वाली कृषि गतिविधियों, और कटाई के तरीकों पर प्रशिक्षण प्रदान किया।
तकनीकी सलाह के साथ-साथ टीम ने किसानों को सगंधित गेंदे से प्राप्त होने वाले सगंधित तेलों की संभावनाओं के बारे में भी जानकारी दी।
यह फसल जंगली जानवरों और आवारा पशुओं और अनिश्चित मौसम की चुनौतियों से अप्रभावित रहने के कारण पारंपरिक खेती का एक लाभदायक विकल्प साबित हो रही है, जो अब किसानों के लिए कम लाभकारी होती जा रही है।
सीएसआईआर अरोमा मिशन, जिसका उद्देश्य बंजर और परती भूमि पर सगंधित फसलों की खेती को बढ़ावा देना है, अब अपने तीसरे चरण में है। इसमें सीएसआईआर- आईएचबीटी पालमपुर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डॉ. सुदेश कुमार यादव (csir-ihbt director dr suresh yadav) ने कहा कि संस्थान मिशन परियोजनाओं के तहत किसानों की क्षमता निर्माण और कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से सहायता कर रहा है।
किसानों को उन्नत किस्मों के बीज एवं पौध उपलब्ध कारवाई जा रही है।उन्होंने कहा,हमारा लक्ष्य कृषि समुदाय की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना और सगंधित एवं औद्योगिक फसलों की खेती के माध्यम से किसानों की आय को दोगुना करना है।
सीएसआईआर अरोमा मिशन (csir aroma mission) के सह-नोडल अधिकारी, डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि जैविक और औद्योगिक फसलों ने वर्षा पर निर्भर क्षेत्रों और जानवरों के खतरे से प्रभावित क्षेत्रों में किसानों के लिए लाभदायक विकल्प प्रस्तुत किया है।
कंडकोसरी और लुलानी गांवों के युवा किसानों राजेश एवं शनि कुमार ने बताया की उन्होने गाँव की पिछले 15-20 वर्षों से खाली पड़ी 200 कनाल जमीन में सगंधित गेंदे की खेती की है।
इस फसल को जंगली जानवरों व अन्य पशुओं द्वारा कोई नुकसान नहीं पहुँचाया गया। वह कोरोना काल में सोलन से अपने गाँव वापस आ गए थे।
गाँव में बंजर एवं जंगली जानवरों के कारण खाली पड़ी जमीन पर उन्होने जून 2024 में सगंधित गेंदे की खेती आरंभ की। इसके लिए उन्हे सीएसआईआर-आईएचबीटीपालमपुर द्वारा प्रशिक्षित किया गया।
इस फसल का बीज उन्हे सीएसआईआर अरोमा मिशन से जुड़े जन कल्याण सभा बैजनाथ के प्रधान चुनी लाल के माध्यम से सीएसआईआर-आईएचबीटी से प्राप्त हुआ था।
सीएसआईआर अरोमा मिशन से कांगड़ा में सगंधित गेंदे की खेती को और भी मजबूती मिलने की उम्मीद है, जो किसानों को एक स्थायी और आर्थिक रूप से लाभकारी विकल्प प्रदान कर सकता है।
किसानों ने वैज्ञानिकों द्वारा गाँव में पहुँच कर किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए धन्यवाद किया ।