फरीदाबाद की क्रीस्टीना ग्रोवर सगंधित फसलों से बढ़ा रही महिलायों की आमदनी
Palampur News : आज समाज-पालमपुर। फरीदाबाद की क्रीस्टीना ग्रोवर, जो 22 साल तक एक मार्केटिंग प्रोफेशनल रही हैं, ने कोविड-19 के बाद अपना करियर बदलने का बड़ा फैसला लिया और हिमाचल प्रदेश में कृषि क्षेत्र में कदम रखा। क्षेत्र में रोजगार की कमी के कारण उन्होंने सगंधित पौधों की खेती में अपना भविष्य देखा। यह कदम न केवल उनके व्यक्तिगत लक्ष्य के साथ मेल खाता था, बल्कि हिमालयी क्षेत्र की बढ़ती कृषि संभावनाओं का भी लाभ उठाने का अवसर था, जहां ज्यादातर लोग कृषि से अपनी आजीविका चलाते हैं।
क्रीस्टीना ने सी.एस.आई.आर.-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर के वैज्ञानिकों से मार्गदर्शन लिया और उनकी सहायता से उन्होंने हिमाचल प्रदेश के निचले हिस्सों में पशुओं से प्रभावित और बंजर जमीन पर लेमनग्रास उगाने की शुरुआत की।
क्रीस्टीना के प्रोजेक्ट को गति मिली जब तीन स्थानीय किसान बहनों, स्नेह गुप्ता, रमा तंडन, और शारदा परगल ने गांव घुरनुन, तहसील नुरपुर, जिला कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश में पांच एकड़ जमीन का योगदान किया। इसके बाद, क्रीस्टीना और उनके साझीदार रवि गुप्ता ने 20 एकड़ भूमि पर खेती शुरू की और आठ महिलाओं को रोजगार दिया, जिससे महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिला।
सफलता यह दिखाती है कि पारंपरिक खेती में भी नवाचार के माध्यम से सफलता प्राप्त की जा सकती है
सी.एस.आई.आर.-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के सहयोग से क्रीस्टीना को 2.5 लाख उच्च गुणवत्ता वाले लेमनग्रास के पौधे और सगंध तेल निकालने की तकनीकी सहायता प्रदान की गई। पहले साल ही उन्होंने 0.8 प्रतिशत तेल उत्पादन हासिल किया, जो आमतौर पर 0.3-0.5 प्रतिशत होता है। यह सफलता यह दिखाती है कि पारंपरिक खेती में भी नवाचार के माध्यम से सफलता प्राप्त की जा सकती है।
क्रीस्टीना का अगला कदम एक किसान उत्पादक संगठन (FPO) बनाने का है
क्रीस्टीना का अगला कदम एक किसान उत्पादक संगठन (FPO) बनाने का है, जो सगंधित और औषधीय पौधों की खेती पर केंद्रित होगा। इस संगठन में ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को शामिल कर वह उनकी खेती को और बेहतर बनाना चाहती हैं ताकि उनकी आजीविका में सुधार हो सके।
उद्देश्य स्थानीय महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना है, ताकि वे भी अपनी आजीविका कमा सकें और खेती के काम में योगदान दे सकें
क्रीस्टीना की सोच सिर्फ खेती तक सीमित नहीं है। उनका उद्देश्य स्थानीय महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना है, ताकि वे भी अपनी आजीविका कमा सकें और खेती के काम में योगदान दे सकें। वह एक बाईबैक गारंटी योजना भी शुरू करने जा रही है, ताकि जो किसान लेमनग्रास उगाते हैं, उन्हें सही मूल्य मिले और वे आत्मनिर्भर हो सकें।
क्रीस्टीना ने सगंध तेलों से फ्लोर क्लीनर, हर्बल चाय, साबुन और हाइड्रोसोल जैसे पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद विकसित किए हैं। उनका लक्ष्य अपने व्यवसाय को और बढ़ाना, अधिक भूमि प्राप्त करना और उच्च मूल्य वाली सगंधित पौधों की खेती करना है, जिससे स्थानीय आय में बढ़ोतरी हो और पूरे क्षेत्र का विकास हो सके।
सही दृष्टिकोण, नवाचार और समुदाय के साथ मिलकर काम करने से किसी भी चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है
क्रीस्टीना ग्रोवर की यात्रा यह दिखाती है कि सही दृष्टिकोण, नवाचार और समुदाय के साथ मिलकर काम करने से किसी भी चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है। सी.एस.आई.आर.-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के सहयोग से, वह न सिर्फ कृषि के क्षेत्र में बदलाव ला रही हैं, बल्कि एक समृद्ध और आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए मार्ग भी प्रशस्त कर रही हैं। उनका यह काम इस बात को प्रमाणित करता है कि यदि सही मार्गदर्शन और दृष्टिकोण हो, तो कृषि न केवल लाभकारी हो सकती है, बल्कि यह महिलाओं और ग्रामीण समुदायों के लिए एक परिवर्तनकारी ताकत बन सकती है।
संस्थान ने देश भर में 3000 हेक्टेयर क्षेत्र में सगंधित फसलों का विस्तार किया है, जो क्रीस्टीना जैसे उद्यमियों को समर्थ बना रहा है– डॉ. राकेश कुमार
सगंधित फसलों को बढ़ावा देने के लिए संस्थान कृषि और प्रसंस्करण तकनीकों में प्रशिक्षण, गुणवत्ता वाले पौधों का वितरण और उद्योगों से बाजार संबंध स्थापित कर रहा है। संस्थान ने देश भर में 3000 हेक्टेयर क्षेत्र में सगंधित फसलों का विस्तार किया है, जो क्रीस्टीना जैसे उद्यमियों को समर्थ बना रहा है।- डॉ. राकेश कुमार, वरि. प्रधान वैज्ञानिक और सी.एस.आई.आर. अरोमा मिशन परियोजना के सह-नोडल।
हम महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि वे भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें-डॉ. सुदेश कुमार यादव
“हम महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि वे भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें। क्रीस्टीना के साथ हमारा सहयोग इस बात का उदाहरण है कि कैसे हम महिला नेतृत्व वाले व्यवसायों को बढ़ावा दे रहे हैं जो स्थानीय और राष्ट्रीय प्रगति में योगदान करते हैं।“- डॉ. सुदेश कुमार यादव, निदेशक, सी.एस.आई.आर.-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर।