Aaj Samaj (आज समाज), Pakistan Upset, इस्लामाबाद: पाकिस्तान में लगातार आतंकियों के मारे जाने पर आतंकी संगठन बौखला गए हैं। साथ ही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई भी इससे काफी परेशान है। उसपर लगातार दबाव पड़ रहा है कि जब पाकिस्तान में ही आतंकी सुरक्षित नहीं हैं तो खुफिया एजेंसी के लिए काम करने का उनसे क्या फायदा लिया जा सकता है।

  • दिल्ली, पंजाब और जम्मू-कश्मीर को निशाना बनाने को कहा

आतंकियों का मनोबल बढ़ाने के लिए एक नया प्लान

आईएसआई ने आतंकियों का मनोबल बढ़ाने के लिए एक नया प्लान बनाया है। इसके तहत आतंकी संगठनों ने हिज्बुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाउद्दीन की अध्यक्षता में बैठक की और स्पष्ट तौर पर कहा कि आतंकी कैंपों से लगातार आतंकियों को भारत भेजा जाए। खुफिया अलर्ट के मुताबिक इन बैठकों के दौरान लश्कर कमांडर अबू कासिम उर्फ रियाज अहमद की पाकिस्तान में मारे जाने को लेकर चर्चा हुई। पाकिस्तान के भिंबर कोटली अब्बासपुर रावलकोट हजीराबाद में आयोजित बैठक में अन्य आतंकी संगठनों के अलावा लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन के कई प्रमुख कमांडर शामिल थे।

भारत में हमलों के लिए बढ़ाया आतंकियों को उकसाया

बैठक में कहा गया कि जो आतंकी पाकिस्तान में मारे गए हैं और उनका बदला लेने के लिए यह जरूरी है कि भारत के विभिन्न शहरों में हमले किए जाएं। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी समेत आतंकी कमांडरों ने आतंकियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि वह दिल्ली, पंजाब और जम्मू-कश्मीर को अपना निशाना बनाएं और अपने स्लीपर सेल का भी इन हमलों के लिए इस्तेमाल करें।

इसके लिए हथियारों और गोला बारूद को भी स्लीपर सेल के जरिए एक जगह से दूसरी का पहुंचने के निर्देश दिए गए। बैठक में इस बात के स्पष्ट निर्देश दिए गए कि वह जम्मू-कश्मीर, पंजाब और दिल्ली में ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने की कोशिश करें, जिससे जो आतंकवादी मारे गए हैं उनके बदले की बात कहकर आतंकवादी संगठनों में नया उत्साह भरा जा सके।

घुसपैठ कराने वालों का पैसा बढ़ाया

आतंकी कमांडरों और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के अधिकारियों के बीच हुई इस बैठक के दौरान आतंकियों को भारत में घुसपैठ कराने वाले गाइडों के पैसे में भी इजाफा किया गया है और अब उन्हें 10000 की जगह 15000 प्रति महीना दिया जाएगा। बैठक में बात उठी थी कि पाकिस्तान से भारत में घुसपैठ कराने वाले गाइड अब ज्यादा खतरा लेने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि वह इस बात पर जोर दे रहे हैं कि उन्हें जो पैसा दिया जाता है वह बेहद कम है।

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