Pager Blast : अंबाला डेस्क। 17 सितंबर, 2024 को दुनिया के एक देश में ऐसा हमला हुआ जिसकी उम्मीद भी नहीं की जा सकती थी और न ही इस बारे में किसी ने सोचा होगा कि ऐसा भी हो सकता है। लेबनान और सीरिया के कई शहरों में 17 सितंबर, 2024 की दोपहर 3:30 बजे एक साथ हजारों धमाके हुए जिसमें 11 लोगों के मारे जाने और सैकड़ों घायल हो गए।
1914 के प्रथम विश्व युद्ध और 1939 के दूसरे विश्व युद्ध को ऐसा संग्राम माना जाता है जिसे एक तरह से हथियारों की प्रदर्शनी की गई थी। इसमें हजारों सैनिकों के साथ-साथ लोगों ने भी जान गंवा दी। खासकर दूसरे विश्व युद्ध में ऐसे आधुनिक हथियारों का प्रदर्शन किया गया था जिनमें बारे में पहले किसी ने न कभी सोचा था और न सुना था और न कभी देखा था।
दूसरे विश्व युद्ध में ही अगस्त, 1945 में इस संसार में एटम बम का प्रयोग पहली बार किया गया था जिसमें जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पूरी तरह से तबाह हो गए थे। इसमें भारी जान-माल की हानि हुई थी। इस प्रयोग ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था। इसके बाद तो अमरीका, रूस, चीन जैसी विश्व शक्तियों में तो एक से एक शक्तिशाली परमाणु बम बनाने की होड़ लग गई थी। इस समय विश्व के अनेक देशों के पास परमाणु बमों के भंडार लगे पड़े हैं जो पृथ्वी को पूरी तरह से तबाह करने के लिए काफी हैं।
कोरोना वायरस का फैलना
दिसंबर, 2019 से चीन के वुहान शहर से दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस को लेकर आज तक स्थिति साफ नहीं हो पाई है कि यह पशु-पक्षियों से मनुष्यों में फैला था या इसे लैब में तैयार किया गया था। शक जताया गया था कि चीन ने इसे वुहान की एक लैब में इसलिए तैयार किया था ताकि सही समय आने पर इसे दुनियाभर में फैलाया जा सके और दुनिया पर राज किया जा सके लेकिन यह दांव उसी पर भारी पड़ गया।
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यह वायरस चीन से दुनिया भर में ऐसा फैला कि लाखों लोगों की जान ले बैठा। चीन में ही हजारों लोग इस वायरस की वजह बिन मौत मारे गए। इस वायरस की वजह से दुनिया भर की इकोनॉकी की हालत ऐसी खराब हुई कि अभी तक उबर नहीं पाई है। अगर यह वायरस लैब में तैयार किया गया है तो ऐसे और भी खतरनाक वायरस लैब में तैयार किए जा सकते हैं जिससे दुनियाभर के लोगों की जान फिर से आफत में आ सकती है।
रूस और यूक्रेन में जंग
रूस और यूक्रेन में फरवरी, 2022 से जंग जारी है। इस जंग में दोनों देशों की तरह से एक से एक आधुनिक हथियारों, फाइटर प्लेन, मिसाइलों के साथ आधुनिक हथियारों और टेक्नोलॉजी से लैस ड्रोन आदि का भी प्रयोग किया जा रहा है। ड्रोन का इस्तेमाल इससे पहले अमरीका अफगानिस्तान में तालिबान के लड़ाकों के खिलाफ कर चुका है। रूस और यूक्रेन की जंग में भी सैकड़ों जानें जा चुकी हैं लेकिन यह जंग कब तक चलेगी और कितनी जानें और लेगी, सभी भविष्य के गर्भ में है।
‘टेक्नोलॉजी’ की जंग
इजरायल को टेक्नोलॉजी में महारत हासिल है। इजरायल ने एक से एक आधुनिक हथियार का निर्माण किया है। इजरायल और गाजा के संबंध कभी भी अच्छे नहीं रहे हैं। इनमें अक्सर छोटी-मोटी जंग छिड़ती रही थी लेकिन अक्तूबर, 2023 से इजरायल और हमास के बीच छिड़ी जंग अब खतरनाक रूप से ले चुकी है। इस जंग की आंच ने लेबनान और सीरिया को भी चपेट में ले लिया है।
इजरायल अक्सर जंग में टेक्नोलॉजी का बखूबी इस्तेमाल कर अपने दुश्मन को संभलने का मौका तक नहीं देता। इजरायल ने हमास, हिजबुल्ला, लेबनान, सीरिया के साथ छिड़ी जंग में एक से एक आधुनिक हथियारों के साथ-साथ टेक्नोलॉजी का भी बखूबी इस्तेमाल किया है। इसका उदाहरण 17 सितंबर, 2024 को लेबनान और सीरिया के कई शहरों में देखने को मिला। गत मंगलवार को लेबनान और सीरिया में हिजबुल्ला पर ‘पेजर अटैक’ हुआ जोकि अपनी तरह का दुनिया में पहला मामला है। गत मंगलवार की दोपहर 3:30 बजे एक साथ हजारों धमाके हुए।
ये ऐसा हमला था जिसके बारे में इससे पहले किसी ने भी सोचा नहीं था। रिपोर्ट के अनुसार हिजबुल्लाह के लड़ाकों के पास बातचीत के लिए जो पेजर थे, वो एक के बाद एक फट गए। ऐसे करीब 5 हजार धमाके बताए जा रहे हैं जिसमें एक बच्ची सहित 11 लोग मारे गए, जबकि 4,000 से ज्यादा घायल हो गए। इसके अगले दिन 18 सितंबर, 2024 को वॉकी-टॉकी के ब्लास्ट होने पर 3 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए।
लेबनान में इसी तरह के ब्लास्ट कई प्रकार के इलेक्ट्रिक उपकरणों में होने बताए जा रहे हैं जैसे कि रसोई के उपकरण, कार रेडियो, सौर पैनल, फिंगरप्रिंट लॉक आदि। स्कूटर और कार के उपकरण चलते समय आग पकड़ रहे हैं। इसमें 7 लोगों की मौत और करीब 150 लोगों के घायल होने की खबर है। इस हमले का आरोप इजरायल की जासूसी संस्था मोसाद पर लगाया जा रहा है लेकिन इजरायल ने इस बारे में किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से फिलहाल इंकार कर दिया है।
‘टेक्नोलॉजी अटैक’ से भारत कितना सुरक्षित
भारत में इलेक्ट्रिक उपकरणों की भरमार है। आज के समय में भारत करीब-करीब इलेक्ट्रिक उपकरणों पर काफी हद तक निर्भर हो गया है। खतरे की बात यह है कि भारत में इलेक्ट्रिक उपकरणों का आयात ज्यादा किया जाता है। यह सामान ज्यादातर चीन से आयात किया जाता है। केवल भारत ही नहीं, दुनियाभर के देश, यहां तक कि अमरीका भी चीन से इलेक्ट्रिक उपकरणों का भारी मात्रा में आयात करता है। यह बिजनेस लाखों-अरबों डॉलर का है।
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काफी समय से भारत और चीन में संबंधों में खटास चल रही है जोकि साल 2020 की गलवान घाटी में खूनी झड़प के बाद से काफी ज्यादा बढ़ चुकी है। इस समय भारत और चीन की एक-दूसरे पर टेड़ी नजर है। चीन भारत को किसी भी मामले में नुकसान पहुंचाने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देता। चीन पड़ोसी देशों से भी संबंध बढ़ाकर, उन्हें कर्जे के जाल में फंसाकर भारत के खिलाफ चक्रव्यूह-सा रचता जा रहा है।
भारत में चीन से जो इलेक्ट्रिक उपकरण आते हैं, उनमें वो उपकरण भी शामिल हैं, जोकि लेबनान और सीरिया में ब्लास्ट हुए हैं। खैर, भारत में पेजर का इस्तेमाल वर्षों पहले बंद हो चुका है लेकिन मोबाइल फोन तो भारत के लोगों के दिलों में इस कद्र बस चुका है कि लोग खाना खाए बिना रह सकते हैं लेकिन मोबाइल फोन के बिना एक पल भी सांस नहीं ले सकते। ऐसे ही कई इलेक्ट्रिक उपकरण हैं जो भारत के लोगों के घरों में आ चुकी हैं।
भारत ने 2023 में ही चीन से 32.15 बिलियन यूएस डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल इक्यूपमेंट्स खरीदे थे। टीवी, मोबाइल फोन, सीसीटीवी कैमरे, कंप्यूटर, खिलौने, वीडियो गेम्स, एलईडी, टीवी आदि ऐसे इलेक्ट्रिक उपकरणों की श्रेणी में आते हैं और इनमें से अधिकतर या इनके किसी न किसी पार्ट का निर्माण चीन में किया जाता है।
अब खतरा यह है कि जिस प्रकार से लेबनान, सीरिया में इलेक्ट्रिक उपकरणों को हैक करके ब्लास्ट किए गए हैं, कहीं चीन भी इसी प्रकार से इलेक्ट्रिक उपकरणों को अपना अगला हथियार बनाकर अनेक देशों को निशाने पर ले सकता है। चीन की टेक्नोलॉजी किसी से छिपी नहीं है। हो सकता है कि चीन कभी न कभी इस प्रकार का हमला भारत के इलेक्ट्रिक उपकरणों जैसे मोबाइल आदि को हैक करके कर सकता है और यहां भारी जान-माल की हानि पहुंचा सकता है।
‘मेक इन इंडिया’ पर जोर
वैसे तो भारत ने पहले ही ऐसे हमले रोकने के इंतजाम कर रखे हैं। ‘मेक इन इंडिया’ के तहत अब भारत सरकार अधिकतर सामान के साथ-साथ इलेक्ट्रिक उपकरणों को भी भारत में ही इंडियन तकनीक से बनाने पर जोर दे रहा है ताकि चीन जैसे देशों की चक्रव्यूह रचना से बचा जा सके। अगर इलेक्ट्रिक उपकरणों में ब्लास्ट जैसे खतरे से भारत और यहां के लोगों को बचाना है तो इस बारे में भारत सरकार को तेजी से प्रयास करने होंगे।
भारत के 5जी तकनीक में चीन जैसे देशों की घुसपैठ को रोकने का प्रयास किया गया है। उनकी तकनीक को भारत नहीं आने दिया गया। अब ये जरूरी भी हो गया है कि ऐसे हमलों से बचने के लिए विदेशी तकनीक का इस्तेमाल देश में न होने पाए।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इसी महीने के शुरूआत में ही कहा भी था कि भारत में अपनी 5जी तकनीक बन रही है जोकि काफी ज्यादा एडवांस है। लंबे समय के लिए देश की सुरक्षा के लिए यह फायदेमंद भी होगी। उन्होंने कहा है कि विदेश से मंगवाए गए यंत्रों का इस्तेमाल भी बंद किया जाएगा। Pager Blast
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