ओजोन परत दिवस भी इससे अछूता नहीं है। कहते है पृथ्वी संरक्षित होगी तो मानव जीवन भी सुरक्षित होगा। सबसे पहले यह जानना जरुरी है की यह ओजोन परत है क्या और इससे हमें किस बात का खतरा है। ओजोन आॅक्सीजन का अपर रूप होता है यानि ओजोन एक हल्के नीले रंग की गैस होती है। ओजोन आॅक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनने वाली एक गैस है जो कि वातावरण में बहुत कम मात्रा में पाई जाती है। ओजोन परत सामान्यत धरती से 10 किलोमीटर से 50 किमी की ऊंचाई के बीच पाई जाती है। जिस प्रकार छाता बारिश से हम को बचाता है वैसे ही यह ओजोन सूर्य के भीषण ताप से पृथ्वी को बचाती है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह पृथ्वी और पर्यावरण के लिए एक सुरक्षा कवच का कार्य करती है और सूर्य की खतरनाक पराबैंगनी (अल्ट्रा वायलेट) किरणों से हमें बचाती है। ओजोन परत, गैस की एक नाजुक ढाल है। पृथ्वी को सूर्य की किरणों के हानिकारक प्रभाव से बचाकर हमारे जीवन को संरक्षित रखने में हमारी मदद करती है। बिना ओजोन परत के हम जिंदा नहीं रह सकते क्योंकि इन किरणों के कारण कैंसर जैसी भयावह बीमारी, फसलों को नुकसान और समुद्री जीवों को खतरा पैदा हो सकता है। वैज्ञानिकों का मानना हैं कि ओजोन परत के बिना धरती पर जीवन का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। संतुलन बिगड़ता है, सर्दियों की तुलना में अधिक गर्मी होती है, सर्दियां अनियमित रूप से आती हैं और ग्लेशियर पिघलने शुरू हो जाते हैं। ग्लोबलाइजेशन के चलते वातावरण में तापमान बढ़ने से ओजोन परत में छेद हो गया है। ओजोन परत में छेद होने से हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच रहा है। विभिन्न संस्थाओं के अध्ययन के अनुसार फ्रिज, एयरकंडीशनर, इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों की सफाई, अग्निशमन यंत्र, वाहनों और कल कारखानों के धुंवे आदि में क्लोरोफ्लोरो कार्बन्स के उपयोग में लगातार वृद्धि होने से ओजोन परत के क्षरण की दर लगातार बढ़ रही है। वृक्षों की अंधाधुंध कटाई के कारण भी ओजोन के सुरक्षा कवच को बहुत बड़ी हानि हुई है।पृथ्वी अनमोल है। इसी पर आकाश है, जल, अग्नि, और हवा है। इन सबके मेल से सुंदर प्रकृति है। आज हमारी पृथ्वी पर जो इतना बड़ा संकट आ खड़ा है यदि समय रहते इसका निदान-निराकरण नहीं हुआ तो हमें बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अगर हमें पृथ्वी को बचाना है तो हमें विश्व ओजोन परत दिवस पर संकल्प लेना चाहिए कि हम पृथ्वी और उसके वातावरण को बचाने का प्रयास करेंगे। धरती को प्रदूषित होने से बचाएंगे।
बिजली कि बचत करेंगे और वातावरण को शुद्ध बनाने के हर कार्य को जिम्मेदारी से निभाएंगे ताकि हमारी पृथ्वी और आकाश को हरदृष्टि से सुरक्षित और संरक्षित रखा जा सके। पृथ्वी को संकट से बचाने के लिए स्वयं अपनी ओर से हमें शुरूआत करनी चाहिए। पानी को नष्ट होने से बचाना चाहिए। वृक्षारोपण को बढ़ावा देना चाहिए। अपने परिवेश को साफ-स्वच्छ रखना चाहिए। पृथ्वी के सभी तत्वों को संरक्षण देने का संकल्प लेना चाहिए।
बाल मुकुन्द ओझा