फसल अवशेषों का खेत में ही मिलने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में होता है इजाफा होता : डा.गर्ग

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Organization of district level awareness program on special crop management

Aaj Samaj (आज समाज),पानीपत : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्रऊझापानीपत के प्रांगण में फसल विशेष प्रबंध पर जिला स्तरीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य फसल अवशेष प्रबंधन के लिए प्रयोग होने वाली तकनीक के बारे में जागरूक करना था। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ राजबीर गर्ग ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की उन्होंने बताया कि धान-गेहूं फसल चक्र पानीपत जिले में काफी लोकप्रिय है। धान की कटाई के बाद काफी मात्रा में फसल अवशेष उत्पन्न होते हैं जिनका विभिन्न तकनीकों के माध्यम से प्रबंध किया जा सकता है।

 

जिसमें किसान की लागत कम हो जाती है

उन्होंने बताया कि पूसा वेस्ट डीकम्पोजर के प्रयोग से कम खर्चे में धान के अवशेषों का प्रबंध हो जाता हैयह तकनीक मिट्टी विभाग वातावरण के लिए अति उत्तम है। उन्होंने बताया कि धान की कटाई हाथ द्वारा करने के बाद जीरो टिलेज तकनीक द्वारा गेहूं की सीधी बिजाई की जा सकती है, जिसमें किसान की लागत कम हो जाती है व साथ की साथ गेहूं की समय पर बिजाई हो जाती है। इसके अतिरिक्त किसान भाई धान की कटाई कंबाइन हार्वेस्टर से करवाने के बाद हैप्पी सीडर मशीन से सीधी बजाई कर सकते हैं। इसके अलावा सुपर सीडर मशीन भी फसल अवशेष प्रबंधन में काफी लोकप्रिय है। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर सतपाल सिंह ने कृषि विज्ञान केंद्र की विभिन्न गतिविधियों की विस्तार से जानकारी दीउन्होंने मेरी फसल मेरा ब्योरा पर पंजीकरण के लिए किसान भाइयों को प्रेरित किया।

 

वर्मी कंपोस्ट का महत्व बताया

डॉक्टर सुनील सांगवानमृदा वैज्ञानिकने जैव उर्वरक के बारे में विस्तार से चर्चा कीउन्होंने बताया कि अजोटोबेक्टर व पी.एस.बी. के द्वारा गेहूं के बीज का उपचार करने से न केवल उत्पादन बढ़ता है बल्कि नाइट्रोजन व फास्फोरस धारी उर्वरकों का कम मात्रा में प्रयोग करना पड़ता है। उन्होंने बताया फसल अवशेषों का खेत में ही मिलने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में इजाफा होता है व प्रदूषण से छुटकारा मिलता है। इस अवसर पर डॉक्टर कुलदीप डुड़ी ने पशु प्रबंधन के बारे में विस्तार से बताया और वर्मी कंपोस्ट का महत्व बताया। डॉक्टर मोहित सहल ने किसानों को फसल बीमा योजना व फार्म रिकॉर्डस के महत्व के बारे में जानकारी दी

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