Organization Art of Living : वैदिक संस्कृति के प्रसार द्वारा अपनी वास्तविक जड़ों की ओर लौटते हुए दिव्य समाज निर्माण की सद्प्रेरणा: : श्री श्री रविशंकर

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समारोह में शरीक होते हुए संस्था के पदाधिकारी व अन्य। 
समारोह में शरीक होते हुए संस्था के पदाधिकारी व अन्य। 

Aaj Samaj (आज समाज), Organization Art of Living , मनोज वर्मा,कैथल:
श्री श्री रविशंकर द्वारा संचालित संस्था आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा गुरुदेव श्री श्री रविशंकर के पावन सानिध्य में वेदविज्ञान महाविद्यापीठ कपिस्थल आश्रम कैथल में गुरु-ज्ञान, अदभुत सुदर्शन क्रिया, ध्यान, मौन, विशिष्ट क्रियाओं एवं दार्शनिक वार्तालाप जैसे दिव्य रत्नों से सुसज्जित आनंद उत्सव कार्यक्रम का समापन सम्पन्न हुआ।

आचार्या कंचन सेठ एवं आर्ट ऑफ लिविंग की स्थानीय इकाई के सचिव भारत खुराना ने बताया कि वैब-कास्ट के माध्यम से गुरु श्री श्री रविशंकर के पावन सानिध्य में स्थानीय आर्ट ऑफ लिविंग आचार्या अल्पना मित्तल एवं आचार्या सोनिया मिगलानी की सहायता से आयोजित इस अदभुत एवं अद्वितीय कार्यक्रम के माध्यम से शिविर में साधकों ने योग-ध्यान, प्राणायाम, भजन-सत्संग एवं अदभुत सुदर्शन क्रिया के साथ साथ जीवन से सम्बंधित छोटे-छोटे लेकिन महत्वपूर्ण बिंदुओं की ज्ञानवर्धक व सार्थक जानकारी रोचक वार्तालाप व अनोखी प्रक्रियाओं के माध्यम से प्राप्त कर अपने व्यक्तित्व का बहुआयामी विकास करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया।

विशेष रूप से सुदर्शन क्रिया के खुशगवार प्रभाव व अनोखे अनुभव से प्रत्येक व्यक्ति अभिभूत था। साधकों द्वारा आत्मबोध, आत्मदर्शन एवं आत्मसाक्षात्कर की दिव्य अनुभूति करते हुए परमशान्ति, आत्मिक आनंद तथा दिव्य ऊर्जा का अतुल्य अनुभव इस कार्यक्रम की प्रमुख विशेषता रही। प्रतिभागियों में से प्रोफेसर राजेश देसवाल ने शिविर सम्बन्धी अनुभव सांझा करते हुए बताया कि न सिर्फ अपने दुर्लभ मानव जीवन को एक नवीन दृष्टिकोण के साथ समझने का स्वर्णिम अवसर प्राप्त हुआ अपितु जिस शीतलता, तृप्ति, दिव्य आनंद के साथ साथ रसमय एवं प्रेममय जीवन की दिव्य अनुभूति हुई उसे शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है।

वेबकास्ट के माध्यम से परमपूज्य गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने कहा कि आध्यात्म में रत साधक की उपस्थिति मात्र से ही न सिर्फ सकारात्मक वातावरण जनित हो उठता है, अपितु हर प्रकार की चुनौतियों से भी ज्ञानपूर्ण व्यवहार द्वारा सहजता से ही पार पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वैदिक संस्कृति के प्रसार द्वारा ही अपनी वास्तविक जड़ों की ओर लौटते हुए हम दिव्य समाज निर्माण के दिव्य-स्वप्न को मूर्त्त रूप प्रदान कर सकते हैं। परमपूज्य गुरुदेव श्री श्री रविशंकर द्वारा सभी साधकों को ज्ञान एवं साधना जैसे स्वर्णिम सूत्रों की मदद से अकर्मण्यता का त्याग करते हुए स्वयं को इक आदर्श कर्मयोगी के रूप में स्थापित करने के साथ साथ सभी साधकों को अपने दुर्लभ मानव जीवन को वृहद दृष्टिकोण के साथ उच्चतम धरातल पर जीने का दिव्य शुभाशीष भी प्रदान करना इस कार्यक्रम की दिव्य विशेषता रही।

सभी प्रतिभागी साधकों द्वारा स्वयं को गुरु-ज्ञान के अनुरूप ढालते हुए अपने आप को सम्पूर्ण समाज मे इक उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में स्थापित करने का संकल्प धारण करना इस शिविर की अतुलनीय विशेषता रही। आचार्या सोनिया मिगलानी ने दिनांक 22 अगस्त मंगलवार के दिन वेदविज्ञान महाविद्यापीठ कपिस्थल आश्रम, कैथल में श्रावण मास में आयोजित किए जाने वाले महारुद्राभिषेक कार्यक्रम के लिए सभी शिव-भक्तों को सपरिवार सादर आमंत्रित किया।

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