नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने एनआरसी, सीएए और अर्थवयवस्था को लेकर पार्लियामेंट एनेक्सी में बैठक की। इस बैठक का उद्देश्य यह था कि इन मुद्दों पर सत्ताधारी पार्टी भाजपा को किस प्रकार से एक जुट होकर घेरा जाए। लेकिन विपक्षी दलों की एकता में छेद दिखे। विपक्षी दलों में से कई ने कांग्रेस की इस बैठक से किनारा किया। इसमें वह शामिल नहीं हुए। कांग्रेस की अगुवाई वाली विपक्ष की बैठक में आठ पार्टियों ने शामिल होने से मना किया या वह आज की बैठक में शामिल नहीं हुए। इनमें शिवसेना, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की ओर से किसी ने शिरकत नहीं की। जबकि बैठक में एनसीपी, आरजेडी समेत 20 दलों के लोगों हिस्सा लिया। एक ओर जहां ममता बनर्जी ने बैठक से किनारा किया वहीं बसपा सुप्रीमों मायावती ने भी ठीक पहले बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया। लेकिन, कांग्रेस को यह उम्मीद थी कि मायावती की बीएसपी और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी से जरुर कोई प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल होगा। मायावती ने विपक्षी दलों की बैठक में न जाने के फैसले से पहले कई ट्वीट किए। इन ट्वीट्स में मायावती ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि राजस्थान में गहलोत सरकार को बाहर से समर्थन देने के बावजूद उनके विधायकों को लालच दिया गया। मायावती ने कहा कि कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्षी दलों की बैठक में इस परिस्थिति में जाने का मतलब होगा राजस्थान में पार्टी नेताओं के मनोबल का गिराना।